पिथौरागढ़ रखता हैं अपना ऐतिहासिक महत्व, जानें यहां के रमणीय स्थलों के बारे में

उत्तराखण्ड राज्य के पूर्व में बस हुआ पिथौरागढ़ जिला इस राज्य के सबसे दुर्गम और सुंदर जिलो में से एक है।इसे सोर घाटी के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि यहाँ पहले सात सरोवर हुआ करते थे। कहते हैं कि पृथ्वीराज चौहान के नाम पर ही इसका नाम पिथौरागढ़ पड़ा। यहां से चीन और तिब्बत की सीमा भी लगती हुई है।कई ट्रेकिंग अभियानों के बेस कैम्प भी पिथोरागढ़ ही है। आइये जानते है पिथोरागढ़ में स्थित जगहों के बारे में जहां आप बार बार जाना चाहेंगे।

नस्यारी
समुद्र की सतह से 2225 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह छोटा सा कस्बा पिथोरागढ़ से 127 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।यहां से तीन ग्लेशियर नामिक,मिलम रालम देखे जा सकते हैं।यहां गोरी गंगा नदी बहती है।चारों तरफ से बर्फ से ढके हुए हिमालय बहुत ही सुंदर लगते हैं। यहां पंचोली, नंदा देवी नंदाकोट चोटियां दिखाई देती हैं। यहां आने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम और हवाई अड्डा पंतनगर है।
चांडक

सौर घाटी में स्थित यह स्थान पिथोरागढ़ से आठ किलोमीटर दूर है।यहाँ एक मंदिर भी है जहाँ हर साल मेला लगता है।

काफनी ग्लेशियर ट्रेक
अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो आप के लिए यह जगह जन्नत है।यहां आने आए पहले आप अपने साथ लाने वाले समान की अच्छे से तैयारी कर लें।यहां से पिंडर घाटी पास ही है।यहाँ आए हिमालय की चोटी नंदाकोट दिखाई देती है।यहां बुरांश के फूलों की भरमार है जो बहुत ही सुंदर लगते हैं।
अस्कोट सेंचुरी

पिथोरागढ़ से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह सेंचुरी समुद्र तल से 5412 मीटर कि दूरी पर स्थित है।प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नही है। यहां कई तरह के वन्यजीव देखे जा सकते हैं।यहाँ कई दुर्लभ वनस्पति पाई जाती हैं।
गंगोलीहाट

यह जगह आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।यहां शक्ति पीठ भी स्थित है। यहां से पाताल भुवनेश्वर बिनसर तथा एबोट माउंट भी पास ही हैं। यहां से हिमालय की चोटी पंचचुली देखी जा सकती है।