धरती का दूसरा स्वर्ग है गंगटोक, जानें यहां के खुबसुरत पर्यटन स्थलों के बारे में

गंगटोक का शहर सिक्किम राज्य में सबसे बड़ा शहर है। पूर्वी हिमालय रेंज में शिवालिक पहाड़ियों के ऊपर 1437 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगटोक सिक्किम जाने वाले पर्यटकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण है। साल 1840 में एनचेय नाम के मठ के निर्माण के बाद, गंगटोक शहर प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में लोकप्रिय होना भी शुरू हो गया। सिक्किम चार हिस्सों में बंटा है- ईस्ट, वेस्ट, नार्थ और साउथ। ईस्ट सिक्किम में गंगटोक बेहद आकर्षक जगह है। गंगटोक को कश्मीर के बाद धरती का दूसरा स्वर्ग कहा जा सकता है। कंजनजंगा की पहाड़ियों से घिरे इस शहर की खूबसूरती ऐसी है कि बस आंखें ठहर जाती हैं।

गंगटोक का इतिहास

सिक्किम राज्य में, लोकप्रिय शहरों सहित ज्यादातर शहरों के पास उचित ऐतिहासिक जानकारी की कमी है। और ऐसा ही है गंगटोक। शहर के इतिहास के बारे में ज्यादा कुछ ज्ञात नहीं है। हालांकि, पहले के रिकॉर्ड की तिथि जो गंगटोक के अस्तित्व के बारे में बात करती है वो 1716 का साल है। उस साल हर्मिटिक गंगटोक मठ का निर्माण हुआ था। और जब तक शहर में प्रसिद्ध एंचेय मठ का निर्माण हुआ, गंगटोक काफी अनन्वेषित था। हालांकि, वर्ष 1894 में इस जगह को सिक्किम की राजधानी घोषित किये जाने के साथ इसका महत्व बढ़ना शुरू हुआ। गंगटोक में कुछ आपदायें और भूस्खलन देखे गये, जिनमें से एक सबसे बड़ा 1977 में हुआ था। उसमें करीब 38 लोग मारे गए और कई इमारतें नष्ट हो गयीं थीं। शहर ओग गंगटोक पहाड़ी के एक तरफ स्थित है।

एमजी रोड

गंगटोक के लोकप्रिय बाजार एमजी रोड से हमने शहर घूमने की शुरुआत की। किसी और हिल स्टेशन में स्थित एमजी रोड या मॉल रोड की तरह यहां की एमजी रोड की पक्की सड़कों पर वाहन पूरी तरह प्रतिबंधित है और सड़कों के बीच में गमलों में लगे पौधों और इसके इर्द-गिर्द लगी बेंचों पर लोग बैठ सकते हैं और आराम कर सकते हैं, लेकिन सबसे अच्छा हमें यहां की सड़कें लगीं, जो कि काफी साफ-सुथरी थी, इसे भारत की सबसे साफ सड़क कहना गलत नहीं होगा।

नाथुला पास

अगर कोई सिक्किम और गंगटोक घूमने जा रहा है तो इस जगह को शायद ही मिस करना चाहेगा। नाथुला पास भारत और चीन का अंतर्राष्ट्रीय सीमा और जो सैलानीयों के लिए प्रमुख जगह होती है। पंजाब में जिस तरह से बाघा बॉर्डर पूरे भरत में फेमस है उसी तरह नार्थ-ईस्ट में भारत-चीन सीमा एक दर्शनीय प्लेस है। हालांकि इस सीमा के पास जाने के लिए आपको एक परमिट की जरूरत हिती है और वो आसानी से मिल जाती है। अगर आप ट्रिप में भारत-चीन के झलक को देखना चाहते हैं तो यहां ज़रूर पहुचे। जहां पहुचे के बाद आप त्सोंगमो झील भी देख सकते हैं जो नाथुला पास के करीब का सबसे आकर्षण केंद्र हैं।

सोंगमो झील

हमारा अगला पड़ाव शांत और सुंदर सोंगमो झील था, जिसे चांगू झील के नाम से भी जाना जाता है। 12,400 फीट की ऊंचाई पर बर्फीले पर्वतों से घिरे इस झील के स्वच्छ जल में नीले आसमान का प्रतिबिंब आसानी से देखा जा सकता है। इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए यह यात्रा की जा सकती है। वहां कई याक के मालिक हमें याक की सवारी करने के लिए बुला रहे थे, लेकिन हमारे पास समय की कमी थी और हमें समय से होटल पहुंचकर कुछ गर्म जैसे तिब्बती नूडल सूप थुपका आजमना चाह रहे थे।
ताशी व्यू पॉइंट

गंगटोक में ऐसे कई व्यू पॉइंट है जहां सैलानी सालों-साल घुमने और देखने आते हैं। गंगटोक का ताशी व्यू पॉइंट उन्हीं में से एक ऐसा पॉइंट है जहां से सैलानी माउंट सनिलोच और माउंट कंचनजंगा की खूबसूरत नज़ारे का लुफ्त उठाते हैं। इस व्यू पॉइंट से बर्फ से ढके पहाड़ों की जो नज़ारा देखने को मिलाता वो शायद ही किसी पॉइंट्स से देखने को मिलती है। ताशी व्यू पॉइंट अपने खुबसुरत पहाड़ और बादलों से घिरे जगह के लिए भी बेस्ट ट्रेवल डेस्टिनेशन माना जाता है। यहां से आप हिमालय की झलक भी देख सकते हैं। यहं जगह प्रेमियों के लिए परफेक्ट माना जाता हैं।