आंखों की बीमारियां दूर करने के लिए प्रसिद्द है नैना देवी मंदिर

1880 में नैनीताल में भयानक भूस्खलन आया था। इस आपदा में नैना देवी मां का मंदिर नष्ट हो गया था। इस हादसे के बाद मंदिर को फिर से बनवाया गया है। इस मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए हैं। इन नेत्र के दर्शन मात्र से मां का आशीर्वाद मिलता हैं। मंदिर के अंदर नैना देवी के संग भगवान गणेश जी और मां काली की भी मूर्तियां हैं। भारत के मंदिरों में सती के शक्तिपीठों की काफी मान्यता है। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक है नैना देवी का मंदिर। नैनादेवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में है। लोगों की आस्था है कि यहां पहुंचनेवालों की आंखों की बीमारियां दूर हो जाती हैं।

नैनी झील का धार्मिक महत्व

नैनीताल का घूमने फिरने के अलावा धार्मिक रूप से भी काफी महत्व है। नैनीताल की नैना झील धार्मिक रूप से काफी पवित्र झील हैं। स्‍कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर भी कहा गया है। नैनी झील कैसे बनी इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं, लेकिन यहां के लोगों की मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जब अत्री, पुलस्त्य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा। इस झील में बारे में कहा जाता है यहाँ डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना मानसरोवर नदी में नहाने से मिलता है। यह झील 64 शक्ति पीठों में से एक है।

मंदिर का समय

नैना देवी मंदिर जाने का सही समय सुबह 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक है। ऐसे पहुंचें-नैनादेवी मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास का एयरपोर्ट चंडीगढ़ है, यहां से मंदिर की दूरी करीब 100 किमी है। सबसे पास का रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब है। यहां से मंदिर की दूरी 30 किमी है। यह मंदिर नैशनल हाइवे 21 से जुड़ा है। चंडीगढ़ या आनंदपुर साहिब से आप टैक्सी भी हायर कर सकते हैं।

अन्य आकर्षण

मंदिर के अलावा यहां का मल्लीताल और तल्लीताल पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इन दोनों तालों को जोड़ने वाली सड़क माल रोड कहलाती है। आसपास घूमने के लिए चिड़ियाघर, राजभवन, केव गार्डन, भीमताल, नौकुचिया ताल, भुवाली और घोड़ाखाल, सातताल, मुक्तेश्वर, कैंचीधाम, रामगढ़ और रानीखेत जैसे कई दर्शनीय जगह मौजूद है।

नंदा देवी

दिर के प्रवेशद्वार पर पीपल का एक बड़ा और घना पेड़ है। यहां माता पार्वती को नंदा देवी कहा जाता है। मंदिर में नंदा अष्टमी के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि 8 दिनों तक चलता है। मंदिर परिसर में मां को चढ़ाने के लिए पूजा सामग्री मिल जाती है। नैनीताल आने वाले पर्यटक भी मंदिर की मान्यताओं को सुनकर मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।