केरल का अल्लेपी है पूरब का वेनिस, देता हैं रोमांचक नज़रों का आनंद

लगून, शांति और फुरसत के पल बिताने की जगह के रूप में प्रसिद्ध अलेप्पी को पूरब का वेनिस कहा जाता है। यहाँ की नहरों और पाम के पेड़ों के बीच स्थित सुन्दर जलभराव और हरियाली रोमाँच को जागृत कर आपको कल्पनाओं के नये आयाम में पहुँचा देते हैं। केरल के प्रथम योजनाबद्द तरीके से निर्मित शहरों में से एक, इस शहर में जलमार्ग के कई गलियारे हैं जो वास्तव में एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में मदद करते हैं और आपकी यात्रा को यादगार बनाते हैं।

कुट्टानाड बैकवॉटर

कुट्टानाड केरल राज्य का एक खूबसूरत उष्णकटिबंधीय क्षेत्र है, जो अपने जलमार्गो, नहर, झीलों, नदियों और छोटी सहायक नदियों के लिए जाना जाता है। यह पूरा क्षेत्र समुद्र और पहाड़ियों से घिरा हुआ है जो यहां आने वाले सैलानियों को एक यादगार अवकाश बिताने का मौका प्रदान करता है। पर्यटन के मामले में कुट्टानाड भारत का बैकवाटर पैराडाइज कहा जाता है। जहां आप एक आरामदायक क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकते हैं। कुट्टानाद की भौगोलिक विशेषताओं के साथ यहां के धान के खेत इसे एक शानदार गंतव्य बनाने का काम करते हैं। फोटोग्राफी के लिए यह एक आदर्श स्थान है। यहां की चार प्रमुख नदियां मीचिल, अचंकोविल, पम्पा और मणिमाला प्रवाह इस स्थान को ट्रैवलर्स के लिए एक हब बनाने का काम करती हैं। प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते यहां के नारियल के पेड़ काफी मनोरम दृश्य प्रदान करन का काम करते हैं।

गौरवशाली इतिहास में नौकायन

अलेप्पी नौकायन रेस यहाँ उपस्थित जलभराव के कारण अलेप्पी प्रति वर्ष नौकायन रेस की नेहरू ट्रॉफी का आयोजन करता है जिसमें आस पास के क्षेत्र के कई बोट क्लब प्रतिभाग करते हैं। ऐसा माना जाता है कि विजेता को चलवैजन्ती ट्रॉफी देने की परम्परा की शुरुआत जवाहर लाल नेहरू द्वारा उनके इस शहर के एक भ्रमण के दौरान हुई थी। अपने नौकाविहार के अनुभव से प्रसन्न होकर उन्होंने प्रथम आने वाले दल के परिश्रम और कला को सम्मानित करने का फैसला किया। यह प्रतियोगिता अब 60 वर्ष पुरानी हो गई है किन्तु अभी भी उल्लास के साथ मनाई जाती है। अगस्त महीने के दूसरे सोमवार को आयोजित होने वाली यह प्रतियोगिता अलेप्पी के शांत जल को तरंगित कर देती है और साथ ही पूरा शहर जोश से भर जाता है। जून – जुलाई की भारी बारिश के बाद का यह समय केरल की यात्रा के लिये सटीक रहता है।

कृष्णापुरम पैलेस

अल्लेपी के सबसे खूबसूरत और लोकप्रिय स्थानों में गिना जाता है। यह जगह उन लोगों के लिए है जो दक्षिण भारत की कला-संस्कृति, जीवन और रहन सहन को देखना और समझना चाहते हैं। यहां आप एक दिन बिताकर काफी आनंद की अनुभूति कर सकते हैं। यहां बिताया थोड़ा समय आपके मन, शरीर और आत्म का कायाकल्प कर सकता है। दरअसल कृष्णापुरम दक्षिण भारत का एक संग्रहालय और महल है, जिसका इतिहास 18 वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। इस महल का निर्माण अनिझम थिरुनल मार्थंद वर्मा ने करवाया था।

आध्यात्मिक्ता के पूर्ण अनुभव के लिये

विश्व के इस भाग में कदम रखते ही आप प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों के स्पर्श का अनुभव करेंगें। यदि आप इस एहसास को बढ़ाने के लिये मन्दिरों मे जाना चाहें तो अलेप्पी से आप निराश नहीं होंगें। शहर में अम्बालापुझा श्रीकृष्ण मन्दिर, मुल्लक्कल राजेश्वरी मन्दिर, चेट्टीकुलंगरा भगवती मन्दिर, मन्नारासला श्री नागराज मन्दिर जैसे कई मन्दिर और एडाथुआ चर्च, सेन्ट एन्ड्रियू चर्च, सेन्ट सेबेस्टियन चर्च, चम्पाकुलम चर्च जैसे कई चर्च हैं। ऐसा माना जाता है कि दक्षिण भारत में ईसाई धर्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भ्रमण पर निकले सेन्ट थॉमस अलेप्पी भी आये थे। केरल में बौद्ध धर्म के आगमन के अवशेषों का सरंक्षण भी सराहनीय है। बौद्धकाल से ही केरल में इस धर्म का प्रभाव फैलाना शुरू हो गया था। इसके गौरवशाली अतीत के ज्यादा अवशेष नहीं बचे हैं किन्तु अलेप्पी शहर में संरक्षित करूमडी कुट्टन नामक बुद्ध की मूर्ति में इस बात की झलक देखी जा सकती है।

एलेप्पी बीच

चमकदार रेत, क्रिस्टल की तरह साफ पानी, खूबसूरत तरंगें, मनमोहक सूर्योदय और सूर्यास्त अलाप्पुझा बीच को एलेप्पी में का सबसे खास स्थान बनाने का काम करते हैं। यह खूबसूरत समुद्री तट अपने विशाल, अंतहीन तटीय विस्तार के लिए जाना जाता है। परिवार और दोस्तों के साथ यह खास गंतव्य एक यादगार समय बिताने के लिए आदर्श विकल्प है। इसके अलावा अलाप्पुझा बीच ट्रैवलर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी खास स्थान माना जाता है। इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो पता चलता है कि अलाप्पुझा कभी केरल का प्रसिद्द बंदरगाह हुआ करता था। यहां से भारी समान अन्य जगहों तक ले जाया जाता था। यहां के समुद्र तट की यात्रा काफी उत्साही और सुखद है। इसके आसपास कई खास स्थान मौजूद हैं जिन्हें भी आप अपनी यात्रा डायरी का हिस्सा बना सकते हैं।