ये 5 संग्रहालय भारत के पर्यटन का खास हिस्सा, मिलती हैं महत्वपूर्ण जानकारी

किसी भी देश के प्राचीन इतिहास या किसी स्थान को समझने के लिए संग्रहालय या अजायबघर काफी बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह महत्वपूर्ण केंद्र अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। कुछ संग्रहालय आपको सिर्फ इतिहास की जानकारी देंगे बल्कि बहुत से अजायबघर किसी खास स्थान के विषय में अत्यधिक जानकारी के उद्देश्य को पूरा करते हैं। भारत में ऐसे कई छोटे-बड़े नए-पुराने अजायबघर मौजूद हैं। इसी क्रम में आज हमारे साथ जानिए भारत के कुछ सबसे खास म्यूजियम के बारे में जो कई सालों पहले बनवाए गए थे, और आज ये मुख्य पर्यटन केंद्र के रूप में जाने जाते हैं।

सालार जंग संग्रहालय,हैदराबाद

हैदराबाद शहर में स्थित सालारजंग संग्रहालय संभवत: देश के सबसे विख्यात संग्रहालयों में है। यहां 1.1 मिलियन कलाकृतियों एवं कला खंडों का संग्रह इसे विशद एवं भव्य बनाता है। संग्रहालय की 36 दीर्घाओं में 43 हजार से अधिक कलाकृतियां, 9 हजार पांडुलिपियां एवं 47 हजार मुद्रित पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं। कलाकृतियां अपने आप में बेजोड़ हैं।यहां के सर्वश्रेष्ठ संग्रह में से एक घड़ी कक्ष है। ऐतिहासिक समय वाली दुनिया भर की घड़ियों और समय देख-रेख उपकरणों की एक गैलरी है। इनमें 19वीं सदी की एक संगीतमय घड़ी को इंग्लैंड से लाया गया था।यहां रोम, इटली आदि देशों की कलाकृतियां भी प्रदर्शित की गई हैं। कुरान संग्रह यहां भी प्रभावशाली है।

श्रीकृष्ण संग्रहालय, कुरुक्षेत्र

भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े प्रसंगों को जानना है तो कुरूक्षेत्र में बना श्रीकृष्ण संग्रहालय अवश्य देखिए। इसका निर्माण कुरूक्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा 1987 ई। में किया गया था। इस भवन के साथ दो अन्य भवन भी हैं जिन्हें मल्टीमीडिया महाभारत और गीता गैलरी के नाम से जाना जाता है। जिसकी स्थापना 2012 ई। में की गई थी। यहां संग्रहालय में महाभारत काल के दुर्लभ पौधे भी लगाये गये हैं। वनस्पति शास्त्र के ज्ञाताओं एवं प्रेमियों के लिए यह वनस्पति वृक्ष विशेष महत्व के हैं। यहां परिजात, खेजड़ी, कदम्ब, रूद्राक्ष, सेव, चम्पा, कनक, तुलसी आदि के सैकड़ों पौधे मिलते हैं।

राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय, नई दिल्ली

ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक एवं कलात्मक कृतियों के प्रदर्शन के साथ दिल्ली का राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय राष्ट्रीय पहचान बनाता है। जनपथ पर स्थित तीन मंजिले वर्तमान संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1949 में की गई तथा इसका अपना भवन का वर्ष 1960 में बनकर तैयार हुआ और इसे जनता के खोला गया। संग्रहालय में करीब 2 लाख भारतीय एवं विदेशी मूल की वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। यहां 2700 ईसा पूर्व के टेराकोटा और काँस्य से बनी वस्तुएं, मौर्यकाल की लकड़ी से बनी मूर्तियां, दक्षिण भारत की कलात्मक वस्तुएं, सिन्धुघाटी सभ्यता, गुप्तकाल, गंधर्वकाल, मुगलकाल, बौद्धयुग तथा मोहनजोदड़ों के समय की कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं। मोहनजोदड़ों सभ्यता की नृत्य करती मूर्ति, वादय यंत्र, भित्ती चित्र, कपड़े, हथियार आदि प्रदर्शित किये गये हैं। संग्रहालय को रूचि के साथ देखने वालों को शायद एक दिन कम पड़े।
प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय,मुंबई

मुंबई में यह संग्रहालय इंडिया गेट के समीप तिमंजिले आयताकार भवन में करीब 3 एकड़ क्षेत्र में स्थित है। यहां प्राचीन भारतीय इतिहास के साथ विदेशी करीब 50 हजार वस्तुओं का अद्भुत संग्रह प्रदर्शित किया गया है।यहां सामग्री को तीन खंडों कला, पुरातत्व एवं प्राकृतिक इतिहास में विभक्त किया गया है। सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर प्राचीन गुप्त एवं मौर्य समय की एतीहसिक वस्तुओं को सजाया गया हैं। विभिन्न कालों की चित्रशैलियां, प्राचीन पांडुलिपियां, हाथीदांत,सोने,चांदी एवं अन्य धातुओं की लकाकृतियां,अस्त्र-शस्त्र, भारतीय वन्यजीव, वस्त्र गैलरी,प्रसिद्ध चित्रकारों के चित्र, खुदाई में प्राप्त अवशेष एवं मूर्तियां देखने को मिलती हैं।