कर्नाटक का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है चिकमंगलूर, तुरंत बना ले यहां घूमने का प्लान

कर्नाटक का चिकमंगलूर एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो समुद्र तल से 3400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां घूमने के लिए दूर-दूर से तो लोग आते ही हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल राज्यों से भी लोग कहीं दूर जाने की बजाय यहां घूमने का ऑप्शन चुनते हैं। यह पहाड़ी इलाका कॉफी बागानों के लिए फेमस माना जाता है। यहां सुंदर साफ वातावरण के साथ हवा में घुलती हल्की कॉफी की खुशबू आपको सुकून का अहसास करवाएगी। चिकमंगलूर में घूमने के लिए बहुत सारी जगहें है, लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुछ खास जगहों के बारे में बताएंगे। यहां जाने के बाद आपका बार-बार यहां घूमने का मन होगा।

क्यों पड़ा चिकमगलूर नाम?

चिकमगलूर का शाब्दिक अर्थ ‘छोटी बेटी की भूमि’। लोक कथा है कि यह जमीन किसी सरदार ने अपनी छोटी बेटी को दहेज के रूप में दे दी थी। ऐसी मान्यता है कि कॉफी सबसे पहले चिकमगलूर में बनाई गई थी। भारत में कॉफी मुस्लिम संत बाबा बुदान लाए थे। यमन से कॉफी भारत आई थी। चिकमगलूर दूधिया-सफेद झरनों और खूबसूरत पार्कों से भरपूर है। यहां टूरिस्ट महात्मा गांधी पार्क, कॉफी संग्रहालय, हिरेकोले झील और कोडंदरामा मंदिर घूम सकते हैं। एडवेंचर प्रेमियों के लिए यह हिल स्टेशन परफेक्ट है। बीआर हिल्स कपल्स हनीमून के लिए जाते हैं। यह हनीमून डेस्टिनेशन है। यह जगह समुद्र तल से 5900 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां आप राफ्टिंग, एंगलिंग, फिशिंग और कॉर्कल बोट राइडिंग कर सकते हैं।

हेब्बे जलप्रपात

केम्मनगुंडी करीब 8 किलोमीटर ट्रेकिंग करने के बाद सफेद बहती हुई धारा की गूंज तकरीबन 3 किलोमीटर पहले ही सुनाई देने लगती है। बारिश के मौसम के तुरंत बाद कॉफी बगान में छुपे हुए हेब्बे जलप्रपात की सुंदरता अपनी चरमसीमा पर होती है। 168 मीटर की ऊंचाई से गिरता यह जलप्रपात दो भागो में विभाजित है जो कन्नड़ भाषा में 'डोड्डा (बड़ा ) हेब्बे' और 'चिक्का (छोटा) हेब्बे' के नाम से जाने जाते हैं। केम्मन्नागुंडी से हेब्बे तक का यह ट्रेकिंग रूट रोमांच से भरा है।

कुद्रेमुख ट्रेक

चिकमगलूर में कुछ गतिविधियाँ रोमांच चाहने वालों के लिए उतनी ही रोमांचकारी हैं जितनी कि कर्नाटक की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी कुद्रेमुख पर चढ़ना। यह कठिन ट्रैक आपको क्षेत्र के सबसे खूबसूरत दृश्यों के बीच, विस्तृत घास के मैदानों और गहरे जंगल से ढकी खड़ी पहाड़ियों की यात्रा करने की अनुमति देता है। यह भ्रमण उन लोगों के लिए भी अत्यधिक अनुशंसित है, जिन्हें ट्रेकिंग का कोई अनुभव नहीं है। अपनी यात्रा शुरू करने से पहले इस चिकमगलूर जगह में मंत्रमुग्ध होने के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि आप शिखर से धुंध से ढके पहाड़ों और घाटियों के आश्चर्यजनक दृश्यों का आनंद लेते हैं, जो कि 6207 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

मुरुदेश्वर

चिकमंगलूर के पास स्थित मुरुदेश्वर बहुत दर्शनीय स्थल है। वहां समुद्र किनारे महादेव का बहुत बड़ा मंदिर है, जहां महादेव की बहुत ही विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे देखकर ऐसा अनुभव होता है कि साक्षात महादेव ही वहां विराजमान हों। दिन और रात दोनों समय इस मंदिर में घूमने का अनुभव अलग-अलग होता है। रात की जगमगाहट में तो यह जगह और भी खूबसूरत व मनमोहक लगने लगती है। मान्यता है कि इसी जगह पर रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तप व पूजा-अर्चना की थी। यहां के लोग मेले व त्योहार भी खूब धूमधाम के साथ मनाते हैं।

कॉफी के बागान

यहां कॉफी के बागान है जिस कारण यह भारत का सबसे अधिक कॉफी उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। यह हिल स्टेशन मुलायनगिरी पहाड़ी की तहलटी में स्थित है। देश और विदेश से टूरिस्ट इस हिल स्टेशन की सैर के लिए आते हैं। यह हिल स्टेशन कर्नाटक के सबसे शांत और मनोरम स्थलों में से एक है। चिकमगलूर हिल स्टेशन समुद्र तल से 3400 फीट की ऊंचाई पर है। टूरिस्ट यहां के कॉफी बागान देख सकते हैं।

झारी झरना

इस झरने को लोग बटरमिल्क झरने के नाम से भी जानते हैं। इस झरने का पानी सफेद रेत जैसा दिखता है। अगर आप मानसून में जा रहे हैं, तो कोशिश करें की पानी से दूर ही रहे। यह झरना दूर से ही बहुत खूबसूरत लगता है, इसके लिए आपको पानी के करीब जाने की जरूरत नहीं है। यह स्थान बाबा बुदनगिरी से 12 किमी की दूरी पर अत्तिगुंडी के पास स्थित है। यह जगह उन लोगों को पसंद आएगा, जो चिकमंगलूर में शांत वातावरण वाली जगह ढूंढ रहे हैं।

क्यथनमक्की

यह जगह उन लोगों को पसंद आएगी, जो कुछ दिनों के लिए शहर के शोर-शराबे से दूर रहना चाहते हैं। ध्यान रखें कि यह पूरी तरह से ऑफ-रोड मार्ग है। यानी आप पूरे रास्ते अपनी गाड़ी से सफर नहीं कर सकते हैं। अगर आप अपने वाहन से जा रहे हैं, तो आपको केवल डामर रोड तक ही गाड़ी ले जाने दिया जाएगा। आपको यहां पर ही अपनी गाड़ी पार्क करनी होगी।