गणपति जी को बल के साथ अपनी बुद्धि के लिए भी जाना जाता हैं और इसलिए ही इन्हें सबसे पहले पूजा जाता हैं। माना जाता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी को हुआ था, इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन गणेश जी के मंदिर में विशेष आयोजन किये जाते हैं। आज हम आपको श्रीगणेश के ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने अनोखेपन के लिए जाने जाते हैं। यह मंदिर है आंध्र प्रदेश के चित्तूर में स्थित है, जहां की अद्भुत और चमत्कारिक मूर्ति का आकार रोजाना बढ़ता ही जा रहा है। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की मूर्ति का आकार बढ़ रहा है। यदि इसके पेट और घुटने पर नजर डाली जाए तो आपको यकीन हो जाएगा। इस मंदिर में एक भक्त ने गणेश जी को कवच भेंट किया था, लेकिन मूर्ति का आकार बढ़ते जाने की वजह से यह उसे पहनाने में मुश्किल हो गया।
यह मंदिर एक नदी के बीच में बसा हुआ है जिसकी अपनी एक अलग अनोखी कहानी है। यहां के लोग बताते हैं कि संखा और लिखिता नाम के दो भाई थे। एक दिन लंबी यात्रा करने के बाद लिखिता को जोर की भूख लगी। उसने आम का पेड़ देखा और उसे तोड़ने लगा लेकिन उसके भाई संखा ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद उसके भाई ने उसकी शिकायत वहां की पंचायत में कर दी, जहां सजा के तौर पर दोनों हाथ काट लिए गए।
लिखिता ने कनिपक्कम के पास स्थित इसी नदी में अपने हाथ डाले थे, जिसके बाद उसके हाथ फिर से जुड़ गए। तभी से इस नदी का नाम बहुदा रख दिया गया। इसका मतलब होता है आम आदमी का हाथ।