भारत असंख्य मंदिरों का घर है। पूर्व भारत से लेकर पश्चिम भारत और दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। जन्माेष्टतमी के मौके पर देश भर के कृष्णं मंदिरों में विशेष प्रकार की रौनक देखने को मिलती है। प्रयेो द क मंदिर की अपनी कुछ न कुछ खास विशेषता है। भारत में भगवान श्रीकृष्ण के तमाम प्रसिद्ध मंदिर हैं जो पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक बने हुए हैं। कान्हा के इन प्रसिद्ध मंदिरों में पूरे साल भक्तों की भीड़ बनी रहती है, लेकिन जन्माष्टमी के पर्व पर इन मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है।भारत भर में श्री कृष्ण के अनेक भव्य मंदिर स्थित हैं, जो न सिर्फ़ धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक विरासत के लिए भी जाने जाते हैं। इन मंदिरों में से कुछ बहुत ही प्राचीन हैं और उनसे जुड़ी अनेक रोचक कथाएँ प्रचलित हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन करने आते हैं और भगवान कृष्ण की कृपा पाने की कामना करते हैं। इन मंदिरों में न सिर्फ़ कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का प्रदर्शन होता है, बल्कि श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सुकून का अनुभव भी होता है।
तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर भारत में स्थित किसी रहस्यमयी कृष्ण मंदिर का जिक्र होता है, तो कई लोग सबसे पहले तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर का ही नाम लेते हैं। यह प्रसिद्ध मंदिर दक्षिण भारत के केरल राज्य है, जिसका इतिहास करीब 1500 पुराना बताया जाता है। तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देश का यह एक ऐसा मंदिर है, जहां स्थापित कृष्ण की मूर्ति दुबली होती जा रही है। कई लोगों मानना है कि इस मंदिर का निर्माण किसी व्यक्ति ने नहीं, बल्कि भगवान ने किया था। जन्माष्टमी के मौके पर यहां देश के हर कोने से भक्त पहुंचते हैं। जन्माष्टमी के दिन मंदिर को लाइट्स से सजा दिया जाता है।
द्वारकाधीश मंदिर, मथुरायह मथुरा का सबसे प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की काले रंग की प्रतिमा को पूजा जाता है। यह मंदिर यमुना नदी के तट पर एक जेल की कोठरी के अंदर स्थित है, जहां पर कभी भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। मान्यता है कि इसी मंदिर की कोठरी में भगवान कृष्ण का प्राकट्य हुआ था। इस मंदिर को द्वारकाधीश मंदिर भी कहा जाता है। मथुरा में इस दिव्य मंदिर को देखने के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में लोग आते हैं। इस प्राचीन मंदिर की वास्तुकला देखते बनती है। द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन करके आपको अलग ही सुकून का आभास होगा।
द्वारकाधीश मंदिर द्वारका, गुजरातयह गुजरात का सबसे फेमस कृष्ण मंदिर है इसे जगत मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर चार धाम यात्रा का भी मुख्य हिस्सा है। चारों धामों में से यह पश्चिमी धाम है। यह मंदिर गोमती क्रीक पर स्थित है और 43 मीटर की ऊंचाई पर मुख्य मंदिर बना है। इस मंदिर की यात्रा के बिना आपकी गुजरात में धार्मिक यात्रा पूरी नहीं मानी जाएगी। जन्माष्टमी के दौरान यहां बेहद उमंग भरा माहौल देखने को मिलता है। पूरा मंदिर अंदर और बाहर से खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है।
श्री जुगल किशोर जी मंदिर
मथुरा देश का एक ऐसा शहर है जिसे भगवान कृष्ण के मंदिरों का घर बोला जाता है। मथुरा में स्थित वृन्दावन को कृष्ण नगरी के नाम से भी जाना जाता है। मथुरा में एक से एक प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर मौजूद है। जुगल किशोर मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है। मथुरा में स्थित किसी रहस्यमयी कृष्ण मंदिर का जिक्र तो कई लोग श्री जुगल किशोर जी मंदिर का ही नाम लेते हैं। मान्यता के अनुसार इस मंदिर के गर्भगृह में रखी गई मूर्ति को ओरछा के रास्ते वृन्दावन लाया गया था। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है जन्माष्टमी के मौके यहां स्वयं श्री कृष्ण विराजमान होते हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान कृष्ण यहां पर भाई दूज की रात सखी के वेश में नजर आते हैं।
श्री बांके बिहारी मंदिर, वृंदावनभगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था लेकिन उनका बचपन वृंदावन में ही बीता था। भगवान श्रीकृष्ण को बांके बिहारी भी कहा गया है, इसलिए इस मंदिर का नाम उनके नाम पर ही श्री बांके बिहारी रखा गया था। श्रीकृष्ण ने बचपन में शरारतों और रासलीला सभी वृंदावन में ही की थी। वृंदावन में इस्कॉन मंदिर, प्रेम मंदिर, और बांके बिहारी मंदिर भी दर्शनीय हैं। जन्माष्टमी के मौके पर इन मंदिरों में कान्हा के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
वेणुगोपाल स्वामी मंदिरदक्षिण भारत का कर्नाटक शहर अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में फेमस है। यह राज्य अपनी खूबसूरती के साथ-साथ प्राचीन और रहस्यमयी मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। वेणुगोपाल स्वामी मंदिर भी एक रहस्यमयी कृष्ण मंदिर माना जाता है।12वीं शताब्दी में होयसल राजवंश द्वारा निर्मित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां से आधी रात को बांसुरी की आवाज आती रहती है। कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर में स्वयं भगवान कृष्ण बांसुरी बजाते हैं। कई लोगों का मानना है कि यह मंदिर करीब 70 वर्षों तक पानी में रहा है। यहां जो भी सच्चे मन से दर्शन करने पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
उडुपी श्री कृष्ण मठ मंदिर, कर्नाटकश्री कृष्ण मठ मंदिर, भगवान कान्हा के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर 13 वीं सदी में वैष्णव संत श्री माधवाचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। भक्तों को इस मंदिर की खिड़की के नौ छिद्रो में से ही भगवान श्रीकृष्ण के करने को मिलते हैं। इस खिड़की को चमत्कारी खिड़की कहा जाता है। हर साल यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। जन्माष्टमी पर यहां की रौनक देखने लायक है। पूरे मंदिर को फूलों और लाइट्स से सजाया जाता है। भक्तों को दर्शन करने के लिए 3-4 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।
श्रीनाथजी मंदिरराजस्थान के नाथद्वारा में मौजूद श्रीनाथजी एक प्राचीन और रहस्यमयी कृष्ण मंदिर माना जाता है। इसे नाथद्वारा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि देश के हर कोने से भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। श्रीनाथजी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप श्री नाथजी का भव्य रूप इस नाथद्वारा मंदिर में स्थित है। इस मंदिर के बारे में बोला जाता है कि जन्माष्टमी के मौके यहां खुद भगवान विराजमान होते हैं। कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
जगन्नाथ पुरी, उड़ीसाउड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। जन्माष्टमी से ज्यादा रौनक यहां पर रथ यात्रा के दौरान होती है। यह रथ यात्रा धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस रथ यात्रा में भाग लेने और जगन्नाथ जी के रथ को खींचने के लिए दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस यात्रा के लिए तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं जिसमें बलराम जी का रथ सबसे आगे, फिर बहन सुभद्रा का रथ और उसके भी भगवान कृष्ण का रथ होता है।
सांवलिया सेठ मंदिर, राजस्थानयह गिरिधर गोपालजी का फेमस मंदिर है। यहां वे व्या।पारी भगवान को अपना बिजनस पार्टनर बनाने आते हैं, जिन्हेंध अपने व्या पार में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा होता है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है जिनका संबंध मीरा बाई से भी बताया जाता है। यहां मीरा के गिरिधर गोपाल को बिजनस पार्टनर होने के कारण श्रद्धालु सेठ जी नाम से भी पुकारते हैं और वह सांवलिया सेठ कहलाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सांवलिया सेठ ही मीरा बाई के वो गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह दिन रात पूजा किया करती थीं।