भारत के सबसे चमत्काकरिक मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी, जानें इससे जुड़े 10 अनोखे रहस्य

दक्षिण भारत को अपने भव्य मंदिरों के लिए जाना जाता हैं जहां एक से बढ़कर एक चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर स्थित हैं। इन्हीं में से एक हैं देश का सबसे अमीर मंदिर भगवान वेंकटेश्व र का तिरुपति बालाजी मंदिर जो दक्षिण भारत के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन करने देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं। यहां पर हर साल पर्यटकों का करोड़ों की संख्या में आना जाना लगा रहता है। ऐसी मान्यहता है कि जो भक्तल सच्चें मन से भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं, बालाजी उनकी सभी मुरादें पूरी करते हैं। तिरुपति बालाजी से जुड़ी बहुत सी कहानियां और मान्यताएं ऐसी हैं जिनकी वजह से तिरुपति के भक्त इस मंदिर से दूर नहीं रह पाते हैं। आज हम आपको यहां तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ अनोखे रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...

मूर्ति पर लगे बाल

कहा जाता है कि मंदिर भगवान वेंकटेश्वर स्वािमी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं। ये कभी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं। मान्यैता है कि ऐसा इसलिए है कि यहां भगवान खुद विराजते हैं।

खुद प्रकट हुई थी मूर्ति

मान्यता है कि, यहां मंदिर में स्थापित काले रंग की दिव्य मूर्ति किसी ने बनाई नहीं बल्कि वह खुद ही जमीन से प्रकट हुई थी। स्वयं प्रकट होने की वजह से इसकी बहुत मान्यता है। वेंकटाचल पर्वत को लोग भगवान का ही स्वरूप मानते है और इसलिए उस पर जूते लेकर नहीं जाया जाता।

मूर्ति से सुनाई देती है आवाज

मंदिर के प्रांगढ में अगर आप भगवान बालाजी की मूर्ति को पर कान लगाते हैं, तो आपको उस मूर्ति से विशाल सागर के प्रवाहित होने की आवाज सुनाई देगी।।जो कि अपने आप में आप काफी आश्चर्य करने वाली बात है। इसी कारण भगवानबालाजी की मूर्ति में हमेसा नमी बनी रहती है। इस मंदिर में आकर आपको एक अजीब सी शांति का एहसास होगा।

प्रतिमा से आता है पसीना


मंदिर में बालाजी की जीवंत प्रतिमा एक विशेष पत्थर से बनी हुई है। ऐसा कहते हैं कि बालाजी की प्रतिमा को पसीना आता है और उनकी प्रतिमा पर पसीने की बूंदें स्पष्टि रूप से देखी जा सकती हैं। बालाजी की पीठ को जितनी बार भी साफ करो, वहां गीलापन रहता ही है। इसलिए मंदिर में तापमान कम रखा जाता है।

बाल दान करने की परंपरा

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि यहां पर बाल को दान करने से भगवान वेंकटेश्वर कुबेर से लिया गया कर्ज को चुका देना माना जाता है। तिरुपति बालाजी में बाल को भेंट करने की परंपरा को मोक्कू के नाम से जाना जाता है। यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग अपना बांध बाल दान किया करते हैं। यहां पर बाल को दान करने के लिए भी कुछ नियम है जैसे कि अगर आप यहां पर अपना बाल दान करना चाहते हैं, तो आपको मंदिर के अथॉरिटी से ब्लेड खुद लानी होगी। बाल दान करने के पश्चात स्नान करने के उपरांत कपड़े बदल कर ही आप मंदिर में तिरुपति बालाजी का दर्शन कर सकते हैं।

ठोड़ी पर चंदन

इस मंदिर के महाद्वार के सामने की ओर एक लोहे की छड़ी रखी हुई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी छड़ी से अनंत अल्वर ने भगवान को मारा था जिससे उनकी ठोड़ी से खून आ गया था। उसी के बाद से भक्त यहां आकर अपनी ठोड़ी पर चंदन लगाकर जाते हैं।

गुरुवार को लगाया जाता है चंदन का लेप

भगवान बालाजी के हृदय पर मां लक्ष्मी विराजमान रहती हैं। माता की मौजूदगी का पता तब चलता है जब हर गुरुवार को बालाजी का पूरा श्रृंगार उतारकर उन्हें स्नान करावाकर चंदन का लेप लगाया जाता है। जब चंदन लेप हटाया जाता है तो हृदय पर लगे चंदन में देवी लक्ष्मी की छवि उभर आती है।

गुप्त गांव से आता है चढ़ावा

सभी माला, फूल, दूध, मक्खन, पवित्र पत्ते, बालाजी को जो कुछ भी चढ़ाया जाता है, वह सब एक गुप्त गांव से आता है। इस गांव के बारे में बाहरी लोगों के पास एकमात्र सूचना यह है कि यह लगभग 20 किमी दूर स्थित है और निवासियों को छोड़कर किसी को भी इस गांव में प्रवेश करने या आने की अनुमति नहीं है।

कभी नहीं बुझता दीपक

बालाजी के मंदिर में एक दीपक हमेशा जलता रहता है। अचंभा यह है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता। यहां तक कि ये भी नहीं ज्ञात है कि दीपक को सबसे पहले किसने और कब प्रज्वलित किया था।

50,000 में मिलेंगे बालाजी के कपड़े


भगवान बालाजी की मू्र्ति को नीचे धोती से सजाया जाता है और ऊपर साड़ी से। मंदिर के अंदर सर्विस है जहां एक जोड़ा 50,000 की दक्षिणा देकर ये कपड़े ले सकता है। हालांकि, इसके टिकट बहुत कम होते हैं और बहुत ही कम जोड़े ये सौभाग्य प्राप्त कर पाते हैं।