जरा सोचिए कि आप समुद्र के बीच बने एक पुल पर सफर कर रहे हों। 1988 तक ये
ब्रिज एकमात्र तरीका था रामेश्वरम को अन्य जगहों से जोड़ने का। यहां बात हो
रही है भारत के सबसे अनोखे रेल रूट में से एक रामेश्वरम-पमबन ब्रिज रेल
रूट की। इस रेल रूट की खासियत ये है कि बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है साथ ही
साथ इसे भारत के कुछ खतरनाक ब्रिज में से एक माना जाता है। अगर समुद्र
अशांत हो तो लहरें ऊपर तक आ जाती हैं।क्या खास है इस रेल रूट में-
आपकी आंखें जहां तक देख सकेंगी वहां तक आपको सिर्फ नीला पानी दिखेगा। ये ट्रेन सफर आपको याद रहेगा। ये ब्रिज 2.5 किलोमीटर लंबा है और 1 मीटर चौड़ा है। क्योंकि ये ब्रिज इतना सकरा है इसलिए आपको ऐसा लगेगा कि ट्रेन पानी में ही चल रही है। ये एक एडवेंचर भरी यात्रा हो सकती है। ये ब्रिज 143 खंबों की मदद से समुद्र पर टिका हुआ है। ये अपने आप में किसी ट्रैवल डेस्टिनेशन से कम नहीं है।
कहां मौजूद है और कब जाएगी ट्रेनये रामेश्वरम तक पहुंचने के सबसे प्रसिद्ध मार्गों में से एक है। इस रेल रूट पर ज्यादा ट्रेन नहीं जातीं हैं इसलिए आपको अपनी ट्रिप पहले से ही प्लान करनी होगी। टिकट बुक करवाने के पहले ध्यान रखें। इस रेल रूट पर सफर करने का सबसे अच्छा तरीका है रामेश्वरम चेन्नई एक्सप्रेस के जरिए। ये शाम को 5 बजे हर रोज़ रामेश्वरम स्टेशन से गुजरती है।
इस रेल रूट के अनोखे फैक्ट्स- - इस ब्रिज को बनाने की शुरुआत 1911 में हुई थी और इसमें से पहली ट्रेन 1914 में 24 फरवरी को हुई थी। ये 2007 में metre-gauge से broad-gauge में बदला गया है।
- इसे जर्मन इंजीनियर Scherzer ने डिजाइन किया है। इस ब्रिज के नीचे से करीब 10 से 15 नाव हर महीने गुजरती हैं। ये देखना एक बेहतरीन अनुभव है।
- ये ब्रिज 1964 के चक्रवात को झेल गया था। ये वो समय था जब लोगों को लगा था कि न तो ये ब्रिज बचेगा न ही यहां से ट्रेन गुजर पाएंगी। इसके पास बसे गांव धनुषकोडी को इस चक्रवात ने पूरी तरह से तबाह कर दिया था।