राजस्थान की ब्लू सिटी में बिताए छुट्टियां, कैमल सफारी के साथ निहारे राजसी महल और किले

जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जिसे ब्लू सिटी भी कहा जाता है। जोधपुर शहर राजस्थान की रियासत काल का एक ताजा प्रतिबिंब है, जो हमें 15वीं शताब्दी में वापस ले जाता है। जोधपुर राजस्थान के कई लोकप्रिय किलों, स्थानों, झीलों और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के अन्य स्मारकों के साथ एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह शहर नीले घरों, मंदिर, स्नैक्स, मिठाईयों और स्मारकों की वास्तुकला के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है। अगर आप छुट्टियों में इन सभी चीजों का आनंद लेना चाहते हैं तो राजस्थान जाकर जोधपुर शहर की यात्रा जरूर करनी चाहिए ,यहां ऐसे कई पर्यटन स्थल हैं, जो आपको यहां बार-बार आने के लिए मजबूर कर देंगे। इस शहर में आपको पारंपरिक रूप से रॉयल्टी झलक दिखेगी। तो चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको जोधपुर के सबसे मशहूर और खूबसूरत पर्यटन स्थलों की यात्रा कराते है।

मेहरानगढ़ किला

जोधपुर अगर आप अपनी छुट्टियां बिताने आ रहे है तो अपनी लिस्ट में मेहरानगढ़ किले को टॉप पर रखे। जोधपुर में 1459 में राव जोधा द्वारा बनवाया गया मेहरानगढ़ किला देश के सबसे बड़े किलों में से एक है। यह 410 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। शहर के केंद्र में स्थित यह किला एक पहाड़ी के लगभग 5 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है। इसकी दीवारों की ऊंचाई 36 मीटर और चौड़ाई 21 मीटर है। किले की दीवारों पर जटिल नक्काशी, विशाल प्रांगण, संग्रहालय और दीर्घाएं दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। किले तक पहुंचने के लिए विजय द्वार, फतेह गेट, गोपाल गेट, भैरों गेट, डेढ़ कमरा गेट, मार्टी गेट और लोहा गेट सहित सात द्वार पार करने पड़ते हैं। इसके अलावा किले के भीतर, शीश महल और फूल महल जैसे शानदार महल हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण बने हुए है।

शीश महल

मेहरानगढ़ किले के परिसर के भीतर स्थित शीशमहल जोधपुर के प्रसिद्ध व लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है, जो जोधपुर के ग्लास पैलेस के रूप में भी जाना जाता है। वास्तुकला के इस अद्भुत टुकड़े को छत से फर्श तक जटिल दर्पण के काम के साथ सजाया गया है। जहाँ कई स्थानों पर भगवान ब्रह्मा, भगवान शिव और पार्वती, बांसुरी बजाते हुए भगवान कृष्ण और समय की कला पर धर्म और संस्कृति के मजबूत प्रभाव को दिखाने वाले भगवान राम जैसे देवताओं को दिखाते हैं। जो पर्यटकों के घूमने के लिए जोधपुर के आकर्षक स्थलों में से एक है। आपको बता दे मेहरानगढ़ का शीश महल महाराजा अजीत सिंह का शयनकक्ष था, जिसने 1679 से 1724 के बीच जोधपुर पर शासन किया था।

कैमल सफारी

जोधपुर शहर एक रेगिस्तानी इलाके में स्थित है जहाँ रेत अधिक मात्रा में पाई जाती है ऐसे में अगर आप जोधपुर आये और बिना ऊंट की सवारी किये लौटे तो समझिये आपकी जोधपुर यात्रा अधूरी रह जाएगी इसलिए जब भी आप जोधपुर घूमने आये तो ऊंट सफारी का आनंद लेना न भूले।

उम्मेद भवन

उम्मेद भवन भारत में अंतिम निर्मित स्थानों में से एक है। यह पैलेस अद्भुत डिजाइन और वास्तुकला के लिए लोकप्रिय है, जो जोधपुर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। शहर के परिसर के भीतर स्थित, यह महल जोधपुर की रियासत के लिए एक दर्पण है। वर्तमान में, उम्मेद भवन पैलेस तीन क्षेत्रों में विभाजित है, जिनमें से एक अभी भी जोधपुर शहर के शाही परिवार के स्वामित्व में है। अन्य दो में से एक को एक हेरिटेज होटल में परिवर्तित किया जा चुका है। दूसरा एक संग्रहालय है जो शाही युग की कला को दर्शाता है। महल 1943 में बनाया गया था और आज भी जोधपुर के शाही परिवार द्वारा बसा हुआ है।

घंटा घर

घंटा घर एकक्लॉक टावरहै जिसका निर्माणमहाराजा सरदार सिंहने करवाया था जो सरदार मार्किट मे ही स्थित है यह टावर तक़रीबन 100 साल से भी ज्यादा पुराना है अगर आप चाहे तो इस टावर के ऊपर भी जा सकते है जिसका किराया मात्र 10 रुपये है जहाँ से आप आस पास के बाजार और शहर की खूबसूरती देख पाएंगे हालांकि पहले इसकी इजाजत नही मिलती थी पर अब इसमें पर्यटकों को देखते हुए ऊपर जाने की अनुमति दे दी गई है|

जसवंत थाड़ा

यह भव्य स्मारक मेहरानगढ़ किले से बस कुछ ही दुरी पर स्थित है जो महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय की याद में बनवाई गई एक सुंदर स्मारक है जिसे महाराजा सरदार सिंह ने अपने पिता महाराजा जसवंत सिंह कि याद मे1899 ईस्वीमें बनवाया था। जसवंत थाडा को मारवाड़ का ताजमहल भी कहा जाता है यहाँ पर अक्सर गीत-संगीत के कार्यक्रम होते रहते है जिसकी वजह से देश भर से पर्यटक यहां आना काफी पसन्द करते है जसवंत थाडा मारवाड़ के शाही परिवार के लिए दाह संस्कार का स्थान भी है।

खेजड़ला किला

जोधपुर में कई किले और मंदिर है लेकिन यहां का खेजड़ला किला प्राचीन भारत के शाही राजाओं और रानियों के शानदार महल के रूप में पहचाना जाता है। मूल रूप से जोधपुर के महाराजा द्वारा 17 वीं शताब्दी में निर्मित, 400 साल पुरानी इमारत को एक होटल में बदल दिया गया है। यह ग्रेनाइट पत्थर और लाल बलुआ पत्थर से बना है, जो राजपूत वास्तुकला का एक तत्व है। विरासत का यह किला उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है, जो छुट्टी का आनंद लेते हुए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करना चाहते हैं।

चामुंडा माता मंदिर

यह एक अति प्राचीन और जोधपुर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जिसका निर्माण1460 ईस्वीमें जोधपुर के संस्थापक राव जोधा जी द्वारा करवाया गया था जो मेहरानगढ़ किले के बिल्कुल पास में ही स्थित है इस मंदिर में इष्ट देवी कि पूजा की जाती है यहाँ के लोग इस मंदिर को रक्षा कवच मानते है। दशहरा और नवरात्रि के समय तो इस मंदिर से काफी रौनक रहती है और इसी समय यहाँ सबसे अधिक श्रद्धालु भी मंदिर के दर्शन के लिये आते है रोजाना इस मंदिर के खुलने का समयसुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजेतक औरशाम 4 बजे से रात 9 बजेके बीच रहता है।