ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी जाना जाता हैं गुरूग्राम, जाएं तो जरूर घूमें ये 6 जगहें

जब भी कभी गुरूग्राम अर्थात गुडगांव की बात की जाती हैं तो वहां की नाईट लाइफ, डिस्को, पब और बार का ख्याल पहले मन में आता हैं और बात घूमने की हो तो यहां के मॉल, चिड़ियाघर या वाटर पार्क पर विचार किया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुरूग्राम कप अपने ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी जाना जाता हैं। हांलाकि इनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको गुरूग्राम के इन्हीं ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो घूमने के प्लान को यादगार बनाने का काम करेंगे। तो आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

फर्रुखनगर किला

फर्रुखनगर किला का निर्माण फर्रुखनगर के पहले नवाब फौजदार खान ने 1732 में एक भव्य गढ़ के रूप में करवाया था। यह एक विशाल अष्टकोणीय संरचना है जो मुगल शैली की वास्तुकला को प्रदर्शित करती है। किले की सबसे प्रभावशाली विशेषताओं में दिल्ली दरवाजा या दिल्ली गेट है। इसके अलावा, किले में झज्जरी दरवाजा और पाटली दरवाजा के साथ प्रवेश द्वार के तीन प्रवेश मार्ग बनाता है। आज इस किले का अधिकांश भाग खंडहर हो चुका है, लेकिन यह अभी भी गुरूग्राम के टॉप ऐतिहासिक स्थानों में से एक है।

शीतला माता मंदिर

नवरात्रि के पावन दिनों में गुड़गाँव स्थित शीतला माता के मंदिर में भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है। देश के सभी प्रदेशों से श्रद्धालु यहाँ मन्नत माँगने आते हैं। गुड़गाँव का शीतला माता मंदिर देश भर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहाँ साल में दो बार एक-एक माह का मेला लगता है। इसके अलावा नवरात्रि में शीतला माता के दर्शन के लिए कई प्रदेशों से लाखों की तादाद में श्रद्धालु गुड़गाँव पहुँचते हैं। शीतला माता मंदिर की कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है। लगभग 500 सालों से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहाँ पर देश के कोने-कोने से लोग पूजा-पाठ के लिए आते हैं। गुड़गांव दर्शनीय स्थल में इस मंदिर का बहुत बडा धार्मिक महत्व है।

शीश महल

शीश महल गुरूग्राम में घूमने के लिए सबसे अच्छी ऐतिहासिक जगहों में से एक है। इस महल का निर्माण फौजदार खान ने 18वीं सदी में करवाया था। इस महल को दो मंजिला संरचना के रूप में डिज़ाइन किया गया था। इस महल में एक मंडप भी है जिसमें कम से कम 12 प्रवेश द्वार हैं। महल के अंदर कई खूबसूरत शीशों का भी इस्तेमाल किया गया है, जिसके कारण इसका नाम शीश महल रखा गया। महल परिसर में फर्रुखनगर के शहीदों के लिए बनाया गया एक स्मारक भी है, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए 1857 के विद्रोह में भाग लिया था।

पटौदी पैलेस

पटौदी पैलेस गुड़गांव के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं जो अपने आकर्षण से पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। पटौदी पैलेस को इब्राहिम कोठी के रूप में भी जाना जाता है जिसका संबध पटौदी शाही परिवार से है। इस पैलेस का निर्माण साल 1935 में नवाब इब्राहिम अली खान द्वारा करवाया गया था, जिन्होंने दिल्ली में पाए जाने वाले औपनिवेशिक मकान की शैली में महल को डिजाइन करने के लिए प्रसिद्ध वास्तुकार, रॉबर्ट टोर रसेल को नियुक्त किया था। बता दें कि ये पूरा पैलेस 25 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें कई सुंदर बगीचे, लॉन और फव्वारे हैं जो महल की सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ाते हैं।

जामा मस्जिद

जामा मस्जिद गुरूग्राम के फर्रुखनगर में स्थित है। फर्रुखनगर की जामा मस्जिद फौजदार खान के बेहतरीन आर्किटेक्चर का एक और शानदार नमूना है। यह मस्जिद लाल बलुआ पत्थर से बनी है और इसमें गुंबद और मीनारें हैं। एक दिलचस्प बात यह है कि इसमें लाल बलुआ पत्थर से बने दो स्लैब हैं जो 13 वीं शताब्दी के अरबी शिलालेखों को दर्शाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये दोनों स्लैब मूल रूप से यहां लाए जाने से पहले सुल्तानपुर स्थित एक प्राचीन मस्जिद के थे।

सेठानी की छत्री

सेठानी की छत्री फर्रुखनगर शहर के झज्जर रोड पर दो मंजिला छतरी के आकार का एक विस्तृत स्मारक स्मारक है। यह एक स्तंभ गुंबद है। इस जगह की सबसे आकर्षक विशेषता यहां की रंगीन चित्रकला है जो स्मारक की छत पर खुदी हुई है और भगवान कृष्ण के जीवन का वर्णन करती है। सीलिंग फ्रेस्को के भीतर एक शिलालेख विक्रम संवत 1918, यानी 1861 ई। का है। इसमें प्रत्येक मंजिल पर आठ आर्च्ड शेप्ड एंट्रेस है और इन पर खूबसूरत फ्लोरल डिजाइन हैं। छत्री में एक आर्च्ड ओपनिंग भी है जो इस स्थान को अधिक ब्राइट और हवादार बनाता है। यह स्मारक एक समय में बहुत जीवंत था। लेकिन रखरखाव की कमी और लापरवाही के कारण आज इसकी वर्तमान स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। हालांकि इस स्मारक पर अभी भी उस असाधारण वास्तुकला को देख और महसूस किया जा सकता है जो कभी उस पर की गई थी।