खेत-खलिहान के अलावा वादियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं बिहार, जानें यहां के प्रसिद्द हिल स्टेशन

भारत के विभिन्न राज्यों में से एक हैं बिहार जिसे अधिकारियों की भूमि कहा जाता हैं क्योंकि देश के कई IAS, IPS बिहार की धरती से ही निकले हैं। प्राचीन काल में बिहार को सत्ता, विद्या और संस्कृति की धुरी माना जाता था। बिहार मठों और हिंदू, बौद्ध, जैन, मुस्लिम और सिख तीर्थों की भूमि है। अगर आप यहां घूमने जाते हैं, तो आपको खेत-खलिहान और प्राकृतिक खूबसूरती देखने को मिलेगी। बिहार को अपनी अपनी नज़र से देखने वाले कभी इसे एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में नहीं देख पाए। जबकि खेत-खलिहान के अलावा बिहार वादियों के लिए भी जाना जाता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बिहार के प्रसिद्द हिल स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

रामशिला हिल

रामशिला पहाड़ी बिहार के टॉप हिल स्टेशनों में से एक है। यह गया के विष्णुपद मंदिरों से मात्र 5 किमी की दूरी पर स्थित है। ट्रेकिंग के बाद यहां पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। आसपास के लोग यहां पर हर वीकेंड को मस्ती करने के लिए पहुंचते हैं। रामायण काल में भी इस स्थान का जिक्र देखने को मिलता है। मान्यता है कि यहां पर भगवान राम ने इसी जगह पर अपने पिता दशरथ का पिंड किया था। जिस कारण यहां पर कई श्रद्धालू पिंडदान भी करने आते हैं। अक्टूबर से फरवरी के बीच का समय रामशिला पहाड़ी घूमने के लिए बेस्ट है।

ब्रह्मजुनी हिल

ब्रह्मजुनी हिल ऐतिहासिक मंदिरों से घिरी पहाड़ी जगह है, ब्रह्मजुनी हिल आपको हरे-भरे घास के मैदानों और विष्णुपद मंदिर के खूबसूरत नजारों को पेश करने में कोई कमी नहीं छोड़ता। बिहार के गया जिले में स्थित ब्रह्मजुनी पहाड़ी विष्णुपद मंदिर से 1 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहां की ब्रह्मजुनी पहाड़ियों पर आप कुछ ऐतिहासिक गुफाओं को देख सकते हैं, जहां पत्थर की दीवारों पर उकेरी गई आकर्षक नक्काशियां वाकई में देखने लायक हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये वो जगह है, जहां बुद्ध ने 1000 पुजारियों को अपने अग्नि उदेश दिए थे। कहा जाता है कि विष्णुपद मंदिर भगवान विष्णु के पैरों के निशान पर बनाया गया है जो इसे बिहार में एक शीर्ष पर्यटन स्थल बनाता है।

प्राग्बोधि हिल स्टेशन

किरियामा गाँव के बहुत पास, गया में स्थित है प्राग्बोधि हिल स्टेशन। प्राग्बोधि हिल स्टेशन को धुंगेश्वर भी कहा जाता है। इस जगह को ज्ञान की प्राप्ति का दूसरा नाम भी मानते हैं। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने जब तक ज्ञान नहीं पाया था, उसके कुछ समय पहले वो स्वयं यहाँ ठहरे थे। यहीं की एक गुफ़ा में उन्होंने सत्य की साधना की थी। यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्ध जगहों में एक तिब्बती भिक्षुओं द्वारा चलाया जाने वाला मंदिर है, जहाँ पर ध्यान साधना के लिए आपको आना चाहिए। इसके साथ ही पहाड़ी की चोटी पर पहुँचने के साथ ही आप ढेर सारे स्तूप भी देखते हैं, जहाँ पर भगवान बुद्ध की प्रतिकृति देखने मिलती है।

प्रेतशाली हिल

प्रेतशाली हिल गया से 11 किमी और रामशिला पहाड़ी से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है। इस खूबसूरत पहाड़ी के नीचे ब्रह्मा कुंड झील है, जहां तीर्थयात्री स्नान करते हैं और पिंड दान करते हैं, एक अनुष्ठान पूर्वजों और माता-पिता की दिवंगत आत्माओं को पूरा करने के लिए किया जाता था। इस पहाड़ी की चोटी पर एक मंदिर है अहिल्या बाई मंदिर, जिसे अपने वास्तु और सुन्दरता के कारण लोगों से बहुत सम्मान मिलता है। यहाँ पर पहुँचने के बाद थकान के बाद जो सुकून मिलता है, उसका आँकलन आप शायद ही कर पाएंगे।

गुरपा हिल

गया के गुरपा नाम गांव के पास बसे गुरपा चोटी को स्थानीय लोग कुक्कुटपदगिरि के नाम से पुकारते हैं। गुरपा चोटी को एक पवित्र पर्वत शिखर माना जाता है। सुकून पाने के लिए यह जगह बेस्ट है। गुरपा चोटी खूबसूरत हिंदू मंदिरों और बौद्ध अवशेषों से घिरा हुआ है। साथ ही इस स्थान का अपना ऐतिहासिक महत्व है। इस जगह को लेकर एक रोचक कहानी है, जो आपको जाननी चाहिए। भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी महा कश्यप अपने जीवन के समापन की ओर थे, उस समय वे इस पहाड़ी को चढ़ने का प्रयत्न कर रहे थे। इन्हीं में किसी चट्टान के बीच उनका पाँव फँस गया, लेकिन फिर चट्टानों ने स्वयं ख़ुद को अलग कर उनको रास्ता दिया। वे ऊपर पहुँचे और ध्यान किया। उनके ध्यान में रहते हुए चट्टान उनके चारों ओर सिमट गईं।