राजस्थान की गर्मी से हैं परेशान, तो फ़ौरन बनायें हिमाचल के इन खास ठंडे हिलस्टेशन का प्लान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान में बदलते मौसम में गर्मी का असर अब में देखनें को मिल रहा हैं। पिछले दिनों मौसम में उतार चढ़ाव के बाद फिर से गर्मी का असर बढ़ने लगा है। पिछले सप्ताह हुई बारिश और पश्चिमी विक्षोभ में हवा के चलते तापमान में कुछ कमी आई थी लेकिन इन दिनों तापमान 40 डिग्री के पार चला गया हैं। ऐसे में दिन चढ़ने के साथ ही तेज धूप का असर सताने लगता है और दोपहरी में तो भीषण गर्मी का असर साफ नजर आने लगा है। तो ऐसे में राजस्थान के लोग गर्मियों से बचने के लिए हिल स्टेशन जैसे शिमला, धर्मशाला और पालमपुर आदि की सैर पर निकल जातें है। इन हिलस्टेशंस की खास बात यह है कि, यहां घूमते हुए आप सिर्फ गर्मी से राहत नहीं पायेंगे बल्कि कई सारे रोमांचक गतिविधियों का मजा भी ले सकेंगे। तो आइये आज हम जानते हैं कुछ बेहतरीन हिलस्टेशन के बारे में, जहां जाकर गर्मी में कुछ राहत पायी जा सके

# धर्मशाला

धर्मशाला हिमाचल प्रदेश की शीतकालीन राजधानी है। यह हिमाचल राज्य के कांगड़ा जिले का मुख्यालय है, और कांगड़ा नगर से १६ किमी की दूरी पर स्थित है। धर्मशाला के मैक्लॉडगंज उपनगर में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के मुख्यालय हैं, और इस कारण यह दलाई लामा का निवास स्थल तथा निर्वासित तिब्बती सरकार की राजधानी है। प्राकृतिक खूबसूरती समेटे यह स्थान छोटा, लेकिन काफी सुकूनदायक है। प्राचीन समय में कांगड़ा घाटी में कटोच वंश का शासन था, जिसकी खूबसूरत निशानी यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित कांगड़ा दुर्ग में देख सकते हैं। कटोच वंश के बाद ब्रिटिश राज में शहर की खूबसूरती में और इजाफा हुआ। ब्रिटिश राज में कांगड़ा घाटी में जबर्दस्त भूकंप आया था। उस समय मैक्लोडगंज व फरसेठगंज को राजधानी बनाने की तैयारी चल रही थी। 4 अप्रैल, 1905 को आए तेज भूकंप ने एक झटके में कांगड़ा घाटी के साथ धर्मशाला को भी धराशायी कर दिया था।

# कसौनी

कौसानी, गरुङ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। भारत का खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्‍थल कौसानी उत्तराखंड राज्‍य के अल्‍मोड़ा जिले से 53 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह बागेश्वर जिला में आता है। हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता कौसानी पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहां से बर्फ से ढ़के नंदा देवी पर्वत की चोटी का नजारा बडा भव्‍य दिखाई देता हैं। कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड कहलाता है। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, खेल और धार्मिक स्‍थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

# डलहौजी

डलहौजी धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित एक बहुत की खूबसूरत पर्यटक स्थल है। पांच पहाड़ों (कठलौंग, पोट्रेन, तेहरा, बकरोटा और बलुन) पर स्थित यह पर्वतीय स्थल हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का हिस्सा है। अंग्रेजों ने 1854 में इसे बसाया और विकसित किया तथा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डलहौजी के नाम पर इस जगह का नाम डलहौजी रखा गया। अंग्रेज सैनिक और नौकरशाह यहां अपनी गर्मी की छुट्टियां बिताने आते थे। मनमोहक वादियों और पहाड़ों के अलावा यहां के अन्य आकर्षण प्राचीन मंदिर, चंबा और पांगी घाटी हैं।

# शिमला

शिमला, हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। 1864 में, शिमला को भारत में ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था। एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल, शिमला को अक्सर पहाड़ों की रानी के रूप में जाना जाता है। 1814-16 के गोरखा युद्ध के बाद सैनिक टुकड़ियों के सुरक्षित जगह पर आराम के लिये 1819 में शिमला की स्थापना की गई थी। शिमला ठंडी जलवायु, सुरम्य प्राकृतिक दृश्यों, हिमाच्छादित पहाड़ी दृश्यों, चीड़ और देवदार के जंगलों और औपनिवेशिक वास्तु के आकर्षक शहरी भूदृश्य के लिये विख्यात है। इन्हीं कारणों से यह भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था। 1864 में शिमला को अंग्रेजों की राजधानी बनाया गया था। शिमला एक पर्यटक स्थल के रूप में भी मशहूर है। शिमला की खोज अंग्रेजों ने सन् 1819 में की थी। हिमाचल प्रदेश की राजधानी और ब्रिटिश कालीन समय में ग्रीष्‍म कालीन राजधानी शिमला राज्‍य का सबसे महत्‍वपूर्ण पर्यटन केन्‍द्र है। यहां का नाम देवी श्‍यामला के नाम पर रखा गया है जो काली का अवतार है। शिमला लगभग 7267 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह अर्ध चक्र आकार में बसा हुआ है, जहां पूरे वर्ष ठण्‍डी हवाएं बहने का वरदान है। यहां घाटी का सुंदर दृश्‍य दिखाई देता है और महान हिमालय पर्वती की चोटियां चारों ओर दिखाई देती है। इसके उत्तर में बर्फ मानों क्षितिज तक जमी हुई है। यहां ठण्‍डी हवाएं बहती है और ओक तथा रोडोडेंड्रॉन के वनों से गुजरती हैं। शिमला का सुखद मौसम, आसानी से पहुंच और ढेरों आकर्षण इसे उत्तर भारत का एक सर्वाधिक लोकप्रिय पर्वतीय स्‍थान बना देते हैं।

# पालमपुर

पालमपुर भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले का पहाड़ी शहर है। यह शहर अपने सुन्दर दृश्यों, बर्फ से लदे पहाड़ों एवं चाय बगानों के लिये प्रसिद्ध है। यहां शहर के विशाल चाय बागानों के कारण पालमपुर उत्तर पश्चिमी भारत की चाय राजधानी के रूप में जाना जाता है। पालमपुर की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिये चाय के बागान प्रमुख आकर्षण है। पालमपुर धर्मशाला से करीबन 30 किमी की दूरी पर स्थित है।पालमपुर समुद्र तल से 1205 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यहां सर्दी हो या गर्मी, घुमने वालों का जमावड़ा लगा रहता है।

# त्रिउंड ट्रैकिंग

झमाझम बारिश के बीच ट्रैकिंग। इस रोमांच से भीगने के लिए हिमालय की धौलाधार पर्वत श्रृंखला का एक छोटा-सा ट्रैक 'त्रिउंड', जो करीब दस हजार फुट की ऊँचाई पर है। कभी टिपटिप बारिश तो कभी तेज बौछारों के बीच फिसलन भरे पहाड़ी रास्तों पर एक-एक कदम जमाने की जद्दोजहद ने हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला से ऊपर इस ट्रैक को यादगार बना दिया। हालाँकि यह ट्रैक लंबा भी किया जा सकता है अगर लाका और बर्फीले इंद्रहार दर्रा पार करते हुए चंबा की ओर बढ़ा चला जाए, लेकिन बारिश में फिसलन भरे रास्ते के बाद, हो सकता है, आप भी हमारी तरह ऊपर चोटी की बर्फ देखने के बजाय एक रात अपने तंबू या अधपक्के घर में बादल की गर्जन-तर्जन महसूस करने के लिए रुक जाएँ। इस ट्रैक का सफर शुरू होता है मैक्लोडगंज से जो तिब्बत की निर्वासित सरकार की राजधानी है। दलाई लामा की पीठ होने के चलते यह दुनिया भर के बौद्धों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। बौद्ध मठों और बौद्ध भिक्षुओं की इस नगरी से ही खुलता है त्रिउंड का रास्ता।

# मलाना

जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है जो मलाना से 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से सीधे जुड़ा है, जो भारत के प्रमुख शहरों जुड़ा हुआ है। यात्री बाहर से कैब और टैक्सियों को किराए पर लेकर मलाना आराम से पहुँच सकते हैं। दिशा खोजें. एयर द्वारा. कुल्लू हवाई अड्डा, लगभग 25 किमी की दूरी पर स्थित, मलाना के लिए निकटतम हवाई आधार है। यह दिल्ली, चंडीगढ़, पठानकोट, धर्मशाला, और शिमला जैसे प्रमुख शहरों के हवाई अड्डों से जुड़ा है।