भारत एक विशाल देश हैं जहां कई राज्य हैं और हर राज्य की अपनी अलग विशेषता और संस्कृति हैं। देश का सबसे बड़ा राज्य हैं उत्तर प्रदेश जो प्रमुख पर्यटन केंद्रों में से एक रहा है। उत्तर प्रदेश में एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल मौजूद हैं जिसमें से कुछ है यहां के किले। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार आदि कई राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी विश्व प्रसिद्ध किले हैं जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उत्तर प्रदेश के इन किलो के बारे में बताने जा रहे हैं। आप जब भी इन किलों को करीब से देखेंगे कुछ पल के लिए आपको महसूस होगा जैसे आप पुरातन के समय में पहुँच गए हों। इन ऐतिहासिक किलों पर सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विश्व के कोने-कोने से लोग घूमने के लिए आते हैं। आइये जानते हैं इन किलों के बारे में...
बटलर पैलेसबटलर पैलेस लखनऊ में स्थित एक भव्य महलनुमा इमारत है। इस शानदार इमारत की नींव 1915 में अवध के उपायुक्त सर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। प्रारंभ में राजा मोहम्मद अली मोहम्मद खान द्वारा निर्मित, इसे बाद में सर हरकोर्ट द्वारा अपने निवास के रूप में उपयोग किया गया था। हालांकि, गोमती नदी पर बाढ़ के कारण तीन बड़ी इमारतों का निर्माण अधूरा ही रह गया था। महल के सामने एक टैंक है जिसमें सुंदर दिखने वाली छतरियां और फव्वारे हैं।
अलीगढ़ किलाअलीगढ़ किला भारत के सबसे मजबूत किलों में से एक माना जाता है। इस किले का निर्माण इब्राहिम लोधी के दरबार में पीठासीन राज्यपाल के पुत्र द्वारा 16 वीं सदी में किया गया था।जीटी रोड पर स्थित यह किला एक नियमित बहुभुजाकार की तरह है तथा इसके चारों ओर एक बहुत गहरी खाई है। यह किला भारतीय और फ्रांसीसी शैली की वास्तुकला के मिश्रण का दावा करता है। अब यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, और विशेष रूप से, वनस्पति विज्ञान विभाग के नियंत्रण में है।भीतरी आंगन में एक वनस्पति उद्यान और अन्य बागानों की किस्में है।
आगरा किलाआगरा का नाम सुनते ही लोगों के जहाँ में ताजमहल की तस्वीर बनने लगती है। लेकिन आगरा का किला भी पर्यटकों के लिए बेहतरीन जगह है। आगरा के किले की विश्व स्तर पर अपनी एक अलग ही पहचान है। यह किला यमुना नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है और ताजमहल से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। किले के इतिहास की बात करे तो, इसका निर्माण बादशाह अकबर ने करवाया था, तो शाहजहाँ ने इसका नवीनीकरण कराया था। इस किले की बनावट दिल्ली के लाल किले से मिलती-जुलती है। पर्यटन के लिहाज से भी यह किला बेहद महत्वूर्ण माना जाता है। यूनेस्को इस किले को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर चुका है। ताजमहल के बाद यह किला आगरा की दूसरी विश्व धरोहर कही जाती है।
झांसी का किलाझांसी का किला उत्तर प्रदेश के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत के लिए एक गौरवपूर्ण फोर्ट है। लगभग 17वीं में राजा बीर सिंह देव द्वारा निर्माण करवाया गया यह किला रानी लक्ष्मीबाई को समर्पित है। यह राजसी पहाड़ी किला 1613 में ओरछा के राजा बीर सिंह देव द्वारा बनवाया गया था। किला एक विशाल ग्रेनाइट दीवार से घिरा हुआ है जो इसके किलेबंदी का एक हिस्सा है। बेतवा नदी के किनारे होने के चलते इस फोर्ट और इसके आसपास की जगहों पर घूमने के लिए हर महीने हजारों सैलानी पहुंचते हैं। यहाँ दस द्वार हैं जिनमें से प्रत्येक का नाम एक शासक या राज्य के मील के पत्थर के नाम पर रखा गया है। कुछ द्वार समय के साथ खराब हो गए हैं, लेकिन कुछ अभी भी मौजूद हैं जैसे झरना गेट, चांद गेट, दतिया दरवाजा, लक्ष्मी गेट और सैनयार गेट।
इलाहाबाद किलाइस किले के बारे में लोग बहुत ही कम जानते हैं, लेकिन फिर भी ये किला देखने योग्य है। इस किले का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने पवित्र नदियों गंगा और यमुना के संगम पर करवाया था। इसकी अनूठी डिजाइन और शिल्प कौशल ध्यान देने योग्य है जो इसे प्रयागराज में एक दर्शनीय स्थल बनाती है। अपने विशिष्ट बनावट, निर्माण और शिल्पकारिता के लिए जाना जाने वाला यह किला गंगा और युमाना के संगम पर स्थित है। वर्तमान में किला भारतीय सेना द्वारा कब्जा कर लिया गया है और किलों के कुछ हिस्सों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। पार्क में बलुआ पत्थर से बना 10.6 मीटर का विशाल अशोक स्तंभ भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 232 ईसा पूर्व किया गया था। पुरातत्त्वविद् और इतिहासकारों के लिए इस स्तंभ का विशेष महत्व है।
चुनार किलाउत्तर-प्रदेश में मीरजापुर से 35 किलोमीटर की दूरी पर गंगा तट पर स्थित चुनार गौरवशाली इतिहास का साक्षी रहा है। कहते हैं यह दुर्ग हजारों वर्ष पुराना है। बाद में इस दुर्ग का जीर्णोद्धार उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने कराया था। चुनार का ऐतिहासिक दुर्ग नगर की सुरक्षा का दायित्व निभाने के साथ ही नगर के अस्तित्व को भी बचाये हुए है। बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भर्तृहरि के लिए इस किले को बनवाया था। भगवान विष्णु के वामन अवतार जैसे पौराणिक कथानकों से इसका संबंध बताया जाता है, जबकि प्राचीन साहित्य में चरणाद्रि, नैनागढ़ आदि नामों से यहां का उल्लेख मिलता है। किले के अंदर 52 खंभों की छतरी और सूर्य घड़ी भी बनी हुई है। जलवायु की दृष्टि से चुनार को आदर्श स्थान बताया जाता है।
फतेहपुर सीकरी किलाआगरा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद फतेहपुर सीकरी एक ऐतिहासिक शहर है, जिसका निर्माण मुग़ल बादशाह अकबर ने करवाया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अकबर ने सिकरी को अपनी राजधानी के रूप में बनाने का तय किया था। महल में मौजूद बुलंद दरवाजा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में फेमस है। इस किला के अंदर कई फेमस और पवित्र दरगाह भी मौजूद है। फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्का की मस्जिद की नकल है और इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्तुशिल्प से लिए गए हैं। मस्जिद का प्रवेश द्वार 54 मीटर ऊँचा बुलंद दरवाजा है जिसका निर्माण 1570 ईस्वी में किया गया था। मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है जहाँ नि:संतान महिलाएँ दुआ मांगने आती हैं। आंख मिचौली, दीवान-ए-खास, बुलंद दरवाजा, पांच महल, ख्वाबगाह, अनूप तालाब फतेहपुर सीकरी के प्रमुख स्मारक हैं। बता दें यह किला अब यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों में से एक है।
कुचेसर किला
राव राज विलास के नाम से भी जाना जाने वाला यह किला 18वीं शताब्दी का किला है। यह पौराणिक धरोहर, अजीत सिंघ के परिवार की पैतृक संपत्ति है जिनकी कुचेसर में रियासत थी। सन् 1734 में बना यह किला चारों ओर से 100 एकड़ में फैले आम के बागों से घिरा हुआ है। यह किला कई सालों तक मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन भी रहा। अंत में इसे मुगल शासकों द्वारा जाट परिवार, अजीत सिंघ के परिवार को दान कर दिया गया और तब से यह उनकी पैतृक संपत्ति है। इस किले के कई हिस्सों में आपको मुगल आर्किटेक्चर की भी झलक दिख जाएँगी। किले का चारों ओर घने, हरे-भरे फार्म हैं।