सावन का महिना चल रहा हैं जिसे भक्ति का महीना माना जाता हैं क्योंकि इस महीने में आए दिन कोई ना कोई त्यौहार तो आता ही रहता हैं। ऐसा ही एक त्यौहार है नागपंचमी जो सावन शुक्ल पंचमी को आता हैं। इस दिन सभी भक्तगण नागदेवता की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। कई लोग तो ऐसे होते हैं जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता हैं जिसकी वजह से उनके जीवन में कई परेशानियाँ आती हैं। इस दोष से छुटकारा पाने के लिए नागपंचमी का दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं। आज हम आपको देश के कुछ ऐसे प्राचीन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर कालसर्प दोष योग की विशेष पूजा की जाती है। तो आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में।
मन्नारशाला
केरल के अलेप्पी जिले से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित मन्नारशाला मंदिर एक नहीं, दो नहीं बल्कि 30 हजार नागों वाला मंदिर है। 30 हजार नागों की प्रतिमाओं वाला यह मंदिर 16 एकड़ में हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है। नागराज को समर्पित इस मंदिर में नागराज तथा उनकी जीवन संगिनी नागयक्षी देवी की प्रतिमा स्थित है।
नाग वासुकि मंदिर
प्रयागराज में संगम के पास ही दारागंज क्षेत्र में नाग वासुकि का मंदिर स्थित है। नाग वासुकि मंदिर को शेषराज, सर्पनाथ, अनंत और सर्वाध्यक्ष कहा गया है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां नागपंचमी के दिन दर्शन और पूजन से कुंडली का कालसर्प दोष दूर हो जाता है। नाग पंचमी के दिन यहां एक बड़ा मेला लगता है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर
देश के प्रसिद्ध नाग मंदिरों में सबसे पहले बात करते हैं जो देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल मंदिर के परिसर में स्थित है। नाग देवता के इस मंदिर की खासियत है कि यह साल में केवल एक बार आम लोगों के दर्शन के लिए खोला जाता है। महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर भगवान शंकर और माता पार्वती फन फैलाए नाग के सिंहासन पर विराजमान हैं। मान्यता है कि नागपंचमी के दिन इस तक्षक नाग के ऊपर विराजमान शिव-पार्वती के दर्शन मात्र से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
तक्षकेश्वर नाथ
प्रयागराज स्थित तक्षकेश्वर नाथ का मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस अति प्राचीन मंदिर वर्णन पद्म पुराण के 82 पाताल खंड के प्रयाग माहात्म्य में 82वें अध्याय में मिलता है। मान्यता है कि कि इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन से न सिर्फ व्यक्ति का बल्कि उसकी आने वाली पीढ़ी का भी सर्पभय दूर हो जाता है।