भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है मथुरा, दर्शन को जाएं तो जरूर चखें इन 8 जायकेदार व्यंजनों का स्वाद

जब भी कभी श्रीकृष्ण की बात आती हैं तो मथुरा का नाम सामने आता हैं जो कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली हैं। यह उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल हैं जहां हर दिन हजारों की संख्या में भक्त द्वारकाधीश के दर्शन करने पहुंचते हैं। दर्शन करने के बाद प्रसाद के रूप में यहां के पेड़े बहुत पसंद किए जाते हैं। सिर्फ पेड़े ही नहीं बल्कि यहां के कई ऐसे व्यंजन हैं जो अपने जायके से इस ट्रिप को यादगार बना देते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको मथुरा के कुछ ऐसे ही प्रसिद्द जायकेदार व्यंजनों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका स्वाद चखें बिना आपकी मथुरा यात्रा पूरी नहीं मानी जाएगी। आइये जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में...

मथुरा के पेड़े

मथुरा के लाल पेड़े पूरे भारत में मशहूर हैं। मथुरा के पेड़े न केवल आपको मथुरा शहर के अंदर मिलेंगे बल्कि अगर आप मथुरा होकर ट्रेन से कहीं जा रहे हैं तो मथुरा स्टेशन पर भी आपको पेड़े मिल जाएंगे। यह पेड़े गाय के दूध से बनाये जाते हैं और साथ में दानेदार मावा भी डाला जाता है। मथुरा यात्रा पर इनका स्वाद चखने के साथ आप इन्हे घर भी ले जा सकते हैं। यह पेड़े स्थानीय लोगों और पर्यटकों केबीच काफी लोकप्रिय है।

डुबकी वाले आलू

आलू की अलग अलग तरह की सब्जी तो आपने बहुत खाई होगी लेकिन मथुरा की डुबकी वाली आलू का स्वाद आपको केवल मथुरा में ही मिलेगा। आलू को मसालेदार ग्रेवी में डुबोकर चटनी और दही के साथ परोसा जाता है। यह एक गाढ़ी करी होती है जो टमाटर से बनाई जाती है। इसमें कई तरह के स्थानीय मसाले मिलाए जाते हैं जिससे काफी मसालेदार और तीखी होती है। इस तरह की करी को आमतौर पर मथुरा में पूरी के सथ परोसा जाता है। आप इन्हे ब्रेकफास्ट या लंच में खा सकते हैं। यह मथुरा का अनोखा फूड है।

मथुरा का देसी घेवर

घेवर को मैदे से बनाया जाता है और इसे भूनकर चाशनी में डूबोया जाता है। इसकी ड्रेसिंग रबड़ी या सूखे मेवों से की जाती है। इसका स्वाद इस पर निर्भर करता है कि इसे किस प्रकार के चूल्हे पर पकाया गया है। आप अगर घरवालों के लिए कुछ स्पेशल ले जाना चाहते हैं, तो घेवर एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है।

कचौड़ी-जलेबी

मथुरा में कचौड़ी-जलेबी साथ परोसने की परंपरा है। यानि मीठा और तीखा साथ-साथ खाने का रिवाज है। मथुरा में जलेबी को कचौड़ी के साथ खाया जाता है। उत्तर भारत के साथ कचौड़ी और जलेबी मथुरा का भी फेमस स्ट्रीट फूड है। हालांकि मथुरा में जलेबी आप सुबह नाश्ते में भी खा सकते हैं लेकिन दिल्ली में जलेबी अधिकतर शाम के समय ही बिकती है। कचौड़ी के शौकीन मथुरा में आपको हर जगह दिख जाएंगे। कचौड़ी मथुरा के हर गली नुक्कड पर बेची जाती है।

आलू चाट और गोलगप्पे

आलू चाट और गोलगप्पे यूं तो पूरे भारत में ही पसंद किए जाते हैं लेकिन मथुरा में इनको कुछ ज्यादा ही पसंद किया जाता है। गोलगप्पे की दुकाने आपको मथुरा की हर छोटी बड़ी गली में मिल जाएगी। इसके अलावा चौराहों पर भी आपको आलू चाट और गोलगप्पे बेचने वाले मिल जाएंगे।

लस्सी

अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं, तो लस्सी का मजा मथुरा में ले सकते हैं। दही और दूध के साथ तैयार किये गये इस पेय को चीनी, केसर और इलायची पाउडर के साथ बनाया जाता है, और इसे ठंडा करने के लिए उस में बर्फ के टुकड़े भी डाले जाते हैं। लस्सी में बादाम और पिस्ता के कतरनों को भी डाला जाता है, जिसे उत्तरी भारत में बेहद पसंद किया जाता है। लस्सी आमतौर पर दो स्वादों में उपलब्ध होती है-मीठी और नमकीन। दोनों स्वादिष्ट होती हैं और शरीर को ठंडा रखने में मदद करती हैं।

खुरचन

यह एक मिठाई है, जिसे उबलते दूध से तैयार किया जाता है। जब दूध को धीरे-धीरे उबाल कर गाढ़ा किया जाता है, तो इसकी छाली बर्तन की सतहों पर चिपक जाती है। जो तह बर्तन के किनारे और नीचे की सतह पर चिपक जाती है, उसे खुरेच कर निकाल लिया जाता है। इसमें फिर सूजी, गुलाब जल और चीनी के भूरे में मिलाया जाता है। बाद में, इसे सूखे मेवों और केसर के कतरन साथ सजाया जाता है। यह खुरचन, मीठे और नमकीन, दोनों स्वादों में उपलब्ध होते हैं।

खमन ढोकला

गुजरात का प्रसिद्ध व्यंजन मथुरा में भी चखने को मिलता है। इस व्यंजन को बेसन, सूजी, नींबू का रस, हरी मिर्च-अदरक का पेस्ट, और दही से बनाया जाता है। पुदीना और इमली की चटनी के साथ परोसा जाने वाला खमन ढोकला, नाश्ते के रूप में खाया जाता है। यह पचाने के लिए काफी हल्का होता है और इसके स्वाद में लाजवाब तीखापन होता है।