क्षेत्रफल के लिहाज से भारत के सबसे बड़े राज्य की बात करें तो राजस्थान का नाम सामने आता हैं। राजस्थान भारत के पश्चिमी भाग में मौजूद एक सुंदर राज्य है, जो ज्यादातर अपने शाही अतीत के लिए जाना जाता है। वीरों की भूमि राजस्थान को अपने रेगिस्तान के लिए जाना जाता हैं, लेकिन इसी के साथ ही यह झीलों के लिए भी प्रसिद्द हैं। इन झीलों का इस्तेमाल शहरों व गावो में जल की आपूर्ति के लिए भी किया जाता हैं। कई स्थानों पर पर राजा महाराजाओ में अपने ऐशो-आराम एवं मनोरंजन के लिए झीलों का निर्माण करवाया तो कई बार सेठ साहूकारों ने अपनी मन्नत पूरी होने पर जन साधारण के लिए लाभार्थी झीले बनवाई। मॉनसून के इन दिनों में इन झीलों का नजारा बेहद आकर्षक हो जाता हैं और यहां घूमने के लिए जाया जा सकता हैं। तो आइये जानते हैं राजस्थान की इन झीलों के बारे में...
उदय सागर झीलउदयपुर के पूर्व में लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उदय सागर झील उदयपुर की पाँच अनोखी झीलों में से एक है। जिसका निर्माण 1559 में महाराणा उदय सिंह द्वारा शुरू किया गया था। झील वास्तव में महाराणा के राज्य को पर्याप्त पानी की आपूर्ति करने के लिए बेरच नदी पर बनाए जा रहे एक बांध का परिणाम है। आपको बता दे उदय सागर झील की लंबाई 4 किलोमीटर, चौड़ाई 2।5 किलोमीटर और इसकी गहराई 9 मीटर है जो उदयपुर की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए लोकप्रिय जगह बनी हई है।
मान सागर झीलनाहरगढ़ की पहाड़ियों की सुंदरता बढ़ाती मान सागर झील एक कृत्रिम झील है। इस झील के बीचोंबीच बना है ऐतिहासिक जल महल है, जो देखने में बेहद खूबसूरत है। यहां झील पर नौका विहार की अनुमति नहीं है। हालांकि, इसके तटबंध पर अच्छा-खासा स्पेस है, जहां आप फटॉग्रफी करा सकते हैं। जैसे-जैसे शाम ढलने लगती है, यहां फास्टफूड और चाट की दुकाने सजने लगती हैं। हस्तकला और पारंपरिक परिधान बिकने लगते हैं। आप इसे हर शाम लगनेवाला मेला कह सकते हैं।
पिछोला झीलपिछोला झील राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक है। इस झील में दो द्वीप हैं और दोनों पर महल बने हुए हैं। जहां एक है जग निवास, जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और दूसरा है जग मंदिर। आप इन महलों तक नावों के माध्यम से पहुंच सकते हैं। इसके साथ ही अरावली की पहाड़ियों का नजारा मनमोहक होता है और आप यहां शानदार सिटी पैलेस के नजारे का लुत्फ उठा सकते हैं। ये शहर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी झीलों में से एक है और हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।
आनासागर झील अजमेर शहर के मध्य स्थित इस झील का निर्माण अजयराज के पुत्र अनिराज (पृथ्वीराज चौहान के दादा आनाजी) ने 1137 ई। में करवाया। जयानक ने अपने ग्रन्थ पृथ्वीराज विजय में लिखा है कि अजमेर को तुर्कों के रक्त से शुद्ध करने के लिए आनासागर झील का निर्माण कराया था' क्योंकि इस विजय में तुर्का का अपार खून बहा था। पहाड़ो के मध्य स्थित होने के कारण यह झील अत्यन्त मनोरम दृष्य प्रस्तुत करती है अतः मुगल शासक जांहगीर ने इसके समीप नूरजहां(रूठी रानी) का महल बनवाया। दौलतबाग का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान कहते है। इस उद्यान में नूरजहां की मां अस्मत बेगम ने गुलाब के इत्र का आविष्कार किया।इसके किनारे जहांगीर ने चश्मा-ए-नूर झरना बनवााया। शाहजहां ने इसी उद्यान में पांच बारहदरी का निर्माण करवाया।
डीडवाना झील यह झील नागौर जिले में डीडवाना में स्थित है। यह झील सांभर झील से 65 किमी दूर उत्तर पश्चिम में स्थित है। इस झील की लंबाई 4 किमी तथा चौड़ाई 3 से 12 किमी है। इस झील से वर्ष भर नमक तैयार किया जाता है लेकिन यहां का नमक उत्तम किस्म का नहीं होता है इस कारण इस नमक का प्रयोग सामान्य खाने में नहीं किया जाता इसका उपयोग चमड़ा और रंगाई उद्योग में किया जाता है। डीडवाना नगर से 8 किमी दूर पर सोडियम सल्फेट का एक संयंत्र स्थापित किया गया है इस झील से प्राप्त नमक की खपत बीकानेर एवं जोधपुर जिले में होती है।
दुध तलाई झीलछोटी-छोटी अद्भुद पहाड़ियों के बीच स्थित दुध तलाई झील उदयपुर का आकर्षक पर्यटक स्थल है। चारों ओर अद्भुत पहाड़ियों से घिरी हुई यह झील ऊंट और घोड़े की सवारी की आकर्षक गतिविधियाँ आयोजित करती है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। दीन दयाल उपाध्याय पार्क और माणिक्य लाल वर्मा गार्डन भी दुध तलाई लेक का हिस्सा हैं जहाँ माणिक्य लाल वर्मा गार्डन, पिछोला झील और दुध तलाई झील पर्यटकों के लिए अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। इसके अलावा पहाड़ी पर करणी माता का पवित्र मंदिर भी स्थित है जिसमे माता करणी की दूधिया सफेद मूर्ति स्थापित है।
गड़ीसर झीलजानकारी के अनुसार, महाराज गड्डी सिंह द्वारा 14 वीं शताब्दी में इस झील की खुदाई कराई गई। उन्हीं के नाम पर झील का नाम गड़ीसर झील पड़ा। ऐतिहासिक स्मारकों से घिरी यह झील बेहद सुंदर लगती है। मॉनसून के समय यहां का नजारा और भी खूबसूरत हो जाता है। एक समय में यह झील जैसलमेर का मुख्य जल स्रोत हुआ करती थी। आज यह शहर के सबसे पसंदीदा आकर्षणों में से एक है। यहां बड़ी संख्या में सैलानी और स्थानीय लोग घूमने आते हैं।
पुष्कर झीलपुष्कर में स्थित इस झील को हिंदू शास्त्रों में पवित्र झील माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा के हाथों से गिरे कमल की एक पंखुड़ी द्वारा किया गया था। ये झील 300 मंदिरों से घिरी हुई है और इसमें 52 घाट हैं। ये न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि इसके पानी को औषधीय भी माना जाता है जो त्वचा संबंधी सभी समस्याओं को ठीक कर सकता है। ये भी कहा जाता है कि जो लोग इस झील में स्नान करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जयसमंद झीलइस झील को ढेबर झीलके नाम से भी पुकारा जाता है। यह झील उदयपुर शहर से 50 किमी दक्षिण पूर्व में स्थित है इसका निर्माण राजा जयसिंह ने 1685 -1691 में गोमती नदी पर बांध बनाकर बनाया था। यह बांध 375 मीटर लंबा एवं 35 मीटर ऊंचा है यह झील लगभग 15 किमी लंबी और 8 किमी चौड़ी है इस झील में लगभग सात दीप (टापू) है। जिस पर भील एवं मीणा जाती के लोग रहते हैं। सबसे बड़े टापू का नाम ‘बाबा का भांगड़ा’ तथा सबसे छोटे टापू का नाम ‘प्यारी’ है। इस झील में 6 कलात्मक छतरिया एव प्रासाद बने हुए हैं जो अत्यंत ही सुंदर है। यह झील पहाड़ियों से घिरी हुई है यह झील शांत एवं मनोरम वातावरण में स्थित है इस झील का प्राकृतिक सौंदर्य मनोहारी है जो पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इस झील राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील की झील है। इस झील से सिंचाई हेतु दो नहरे निकाली गई है जिसका नाम श्यामपुरा एवं भाट नहरे है।
सिलीसेढ़ झील7 किलोमीटर के क्षेत्र में फेली हुई सिलीसेढ़ झील राजस्थान की सबसे खुबसूरत झीलो औरअलवर की लोकप्रिय जगहों में से एक है। पूर्व में 1845 में अलवर शहर को पानी की आपूर्ति के लिए सिलीसेढ़ झील को बनाया गया था जिसकी स्थापना का श्रेय महाराजा विनय खान को दिया जाता है| इस झील में एक शानदार झील महल है। जो कि महाराजा का प्रिय माना जाता था। अलवर शहर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलीसेढ़ झील पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है।