आंतरिक शांति के साथ सुकून दिलाते हैं देश के ये प्रमुख 7 जैन मंदिर, मिलती हैं अहिंसा की शिक्षा

भारत के साथ दुनिया का सबसे पुराना धर्म माना जाता है जैन धर्म जो सभी जीवित प्राणियों के प्रति शांतिवाद और अहिंसा का रास्ता बताता है। जैन धर्म के संस्थापक पहले तीर्थंकर ऋषभ देव थे जिनका उल्लेख वेदों में मिलता हैं। आज इस कड़ी में हम बात कर रहे हैं देश के प्रसिद्द जैन मंदिरों की। जैन मंदिर में जाकर आपको आंतरिक शांति के साथ सुकून की प्राप्ति होती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ प्रसिद्द जैन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे है जिनकी खूबसूरत वास्तुकला पर्यटकों का मन अपनी ओर आकर्षित करती है। अद्भुद अहसास के लिए आपको इन जैन मंदिरों के दर्शन करने जीवन में एकबार तो अवश्य जाना चाहिए।

दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान

भव्य सुंदरता से बने दिलवाड़ा मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में हुआ था। यहां संगमरमर में की गई बारीक और खूबसूरत नक्काशी आज भी बहुत अच्छी तरह से संरक्षित है। राजस्थान की अरावली श्रृंखला में स्थित, यहां के 5 मंदिर अलग-अलग तीर्थांकरों को समर्पित हैं, और हर मंदिर में जैनी ऋषियों के चित्र, सुंदर नक्काशी वाले स्तंभ और 360 जैन तीर्थांकरों की मूर्तियां शामिल हैं। यह मंदिर परिसर कई लोगों द्वारा दुनिया का सबसे सुंदर जैन मंदिर माना जाता है। 11 से 13 वीं शताब्दी में बने ये मंदिर उस समय के चालुक्य वंश के शासनकाल के सबसे अच्छे मंदिरों के खूबसूरत नमूने हैं। ये साधारण पर आकर्षक मंदिर अपने संगमरमर की रचना नक्काशीदार खम्भे, दरवाज़े, छत और पैनल के लिए जाने जाते हैं जो हर एक मंदिर को अलग और विशेष चमक प्रदान करते हैं। दिलवारा के जैन मंदिर माउंट आबू से ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और यहाँ तक रास्ते द्वारा पहुँचा जा सकता है।

पार्श्वनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश

यहां हज़ारों साल पुराने कई जैन मंदिर मौजूद हैं। ये सभी जैन मंदिर शहर के पूर्वी इलाके में हैं और मध्ययुगी भारतीय वास्तुकला के सुंदर नमूने हैं। हालांकि खजुराहो एक छोटा सा शहर है, लेकिन यहां कई दर्शनीय मंदिर स्थल हैं। 'पार्श्वनाथ मंदिर' मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध जैन पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर खजुराहो में बने जैन मंदिरों की श्रेणी में सबसे ऊपर है।

रणकपुर मंदिर, राजस्थान

अलंकृत रणकपुर मंदिर अरावली श्रृंखला में 14वीं और 15वीं सदी में बनाया गया था। यहां की गई सभी नक्काशी बहुत सुंदर और अद्वितीय है, खास तौर पर एक संगमरमर की चट्टान पर बनी 108 फनों और पूंछों वाले सांप की मूर्ति। हल्के रंग के संगमरमर का बना यह मन्दिर बहुत सुंदर लगता है। किंवदंतियों के अनुसार, एक जैन व्यापारी सेठ धरना शाह और मेवाड़ के शासक राणा खम्भा द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था। मन्दिर के मुख्य परिसर चमुखा में कई अन्य जैन मंदिर शामिल हैं। मंदिर का तहखाना 48,000 वर्ग फुट पर फैला है। उस युग के कारीगरों की स्थापत्य उत्कृष्टता यहाँ के 80 गुंबदों, 29 हॉलों और 1444 खंभों पर दिखती है। खंभों की खास विशेषता यह है कि ये सभी अनोखे हैं। खंभों की नक्काशियाँ एक को दूसरे से अलग करती हैं। पार्शवनाथ और नेमिनाथ के मंदिर मुख्य मंदिर का सामने स्थित हैं। पर्यटक इन मंदिरों की सुंदर नक्काशी को देख सकते हैं जो उन्हें खजुराहो के मूर्तियों की याद दिलाते है।

पलिताना मंदिर, गुजरात

यह मंदिर गुजरात के भावनगर डिस्ट्रिक्ट के शत्रुंजय पर्वत में स्थित है। सबसे पवित्र जैन परिसरों में से एक माने जाने वाले, पलिताना में 3,000 से भी अधिक मंदिर हैं जो बहुत खूबसूरती से तराशे गए हैं। 11वीं सदी से बनने शुरू हुए इस मंदिर को पूर्ण होने में कई पीढ़ियां लगीं, और जैन धर्म में यह एक प्रतिष्ठित तीर्थ स्थल है। इस मंदिर में 3,800 से भी अधिक सीढ़ियां हैं, जिनको चढ़ना कठिन है, लेकिन इनकी वजह से यहां हर साल आने वाले हज़ारों श्रद्धालुयों की संख्या में कोई कमी नहीं आती। इसकी मान्यता के कारण हर जैनी की मनोकामना होती है कि वह जीवन में कम से कम एक बार पहाड़ी चढ़कर मंदिर तक जाये। जैनी यह भी मानते हैं कि कई लोगां ने इस पहाड़ी से ही मोक्ष प्राप्त किया हैं।

सोनागिरी जैन मंदिर, मध्यप्रदेश

यह ग्वालियर से करीबन 60 किमी की दूरी पर स्थित सोनागिरी में छोटी पहाड़ियों पर 9 वीं और 10 वीं शताब्दी के जैन मंदिर हैं। यह पवित्र स्थान स्वयं-अनुशासन, तपस्या के लिए अभ्यास करने के लिए भक्तों और संन्यासी संतों में लोकप्रिय है। दूर दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने को पहुंचते हैं।

गोमतेश्वर मंदिर, कर्नाटक

कर्नाटक के श्रवणबेलगोड़ा शहर में स्थित, इस मंदिर में सर्वप्रथम तीर्थांकर श्री गोमतेश्वर की 18 मीटर लंबी काली ग्रेनाइट पत्थर से बनी मूर्ति है। हर 12 साल, तीर्थयात्री यहां एक मुख्य जैन पर्व, महामस्तकाभिषेक, के लिए आते हैं, जहां इस मूर्ति का अभिषेक दूध, केसर, हल्दी, चंदन और सिंदूर से किया जाता है। यह मूर्ति ग्रेनाइट के एक ब्लॉक से बनाई गई है और जिसे इस क्षेत्र में कदम रखते ही आप देख सकते हैं। यह जैनियों का धार्मिक स्थल है, जहां भलत भगवान के दर्शन प्राप्त करने को पहुंचते हैं।

दिगम्बर जैन मंदिर, दिल्ली

दिल्ली में लाल किले के पार स्थित दिगंबर जैन मंदिर यहाँ का सबसे पुराना जैन मंदिर है। सुंदर लाल बलिया पत्थरों से बना यह मंदिर चाँदनी चौक और नेताजी सुभाष मार्ग के चौराहे पर स्थित है। ऐसा भी कहा जाता है कि यह दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर है जिसका निर्माण 1656 में किया गया। इस मंदिर में मुख्य देवता भगवान महावीर हैं - जो जैन धर्म के 24 वीं तीर्थंकर थे। इस मंदिर में भगवान आदिनाथ - जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर और भगवान पार्श्वनाथ - भगवान महावीर के पूर्ववर्ती की मूर्तियां भी हैं। एक बहुत पवित्र स्थान होने के कारण यह अनेक भक्तों को आकर्षित करता है और इसका प्रमुख भक्ति क्षेत्र प्रथम मंजिल पर मौजूद है। इस मंदिर की अलंकृत नक्काशी और सुंदर वास्तुकला पर्यटकों को हतप्रभ करती है।