भारत के सबसे पूजनीय और रहस्य से भरे तीर्थस्थलों में से एक, अमरनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। जम्मू और कश्मीर के मनोरम और बर्फीले वातावरण में स्थित यह मंदिर 3,888 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। इतनी ऊंचाई और कठिन मार्गों के चलते अमरनाथ यात्रा केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि श्रद्धा, आस्था और हिम्मत की परख भी बन जाती है। यही कारण है कि यहां पहुंचने वाले हर श्रद्धालु की आंखों में भक्ति के साथ-साथ सुकून की चमक भी होती है।
क्या है अमरनाथ मंदिर की खासियत?अमरनाथ मंदिर को सामान्य मंदिरों से अलग बनाती है इसकी प्राकृतिक बनावट और आध्यात्मिक ऊर्जा। यह 40 मीटर ऊंची गुफा साल के अधिकांश समय बर्फ से ढकी रहती है। और सबसे खास बात यह है कि इसी गुफा के भीतर, बिना किसी मानव हस्तक्षेप के, प्राकृतिक रूप से बनने वाला बर्फ का शिवलिंग मौजूद होता है, जिसे श्रद्धालु स्वयंभू शिवलिंग के नाम से जानते हैं। हर साल यह शिवलिंग अपने आप बनता और फिर आकार लेता है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लाखों लोग खिंचे चले आते हैं।
कैसे बनी अमरनाथ गुफा इतनी पवित्र?पौराणिक कथाओं में दर्ज एक अनमोल कथा है – एक बार माता पार्वती ने भोलेनाथ से सवाल किया कि वह मुंडों की माला क्यों पहनते हैं। जवाब में भगवान शिव ने बताया कि हर बार पार्वती के पुनर्जन्म पर वह एक सिर अपनी माला में जोड़ लेते हैं। इसके बाद माता पार्वती ने अगला सवाल किया – आप अमर क्यों हैं? इस सवाल का उत्तर देने के लिए भगवान शिव ने समस्त संसार से दूर एकांत स्थान की तलाश की और अमरनाथ की पवित्र गुफा को चुना।
जब भगवान शिव माता पार्वती को अमरकथा सुनाने लगे, तो यह गुफा न सिर्फ एक तीर्थस्थल बल्कि अमरता का प्रतीक बन गई। तभी से अमरनाथ को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और यहां आने वाले हर भक्त को ऐसा लगता है जैसे उन्होंने किसी दिव्य शक्ति को नज़दीक से छू लिया हो।
कैसे बनता है बर्फ से शिवलिंग?यह शिवलिंग गुफा की छत से टपकते पानी की बूंदों से बनता है, जो नीचे गिरकर बर्फ में बदल जाती हैं। खास बात यह है कि शिवलिंग का आकार चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ बदलता रहता है। सावन की पूर्णिमा पर यह अपने पूरे आकार में दिखाई देता है, मानो भोलेनाथ स्वयं प्रकट हो गए हों। साथ ही, गुफा में दो और बर्फ की आकृतियां भी दिखाई देती हैं – जिन्हें देवी पार्वती और भगवान गणेश का रूप माना जाता है।