31 अगस्त को गणेश चतुर्थी के साथ ही गणेश उत्सव का आरंभ ही चुका हैं जो कि दस दिन तक जारी रहने वाला हैं और 9 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होता। इन दस दिनों में हर तरफ गणपति के जयकारे गूंजते हुए सुनाई देते हैं। इन दस दिन गणेश जी की प्रतिमाओं की रौनक से देश भर में उल्लास छाया रहता हैं। कुछ लोग खास गणेश उत्सव के लिए महाराष्ट्र जाते हैं जहां मुंबई में इसे बड़े लेवल पर सेलिब्रेट किया जाता हैं। लेकिन मुंबई के साथ ही देश की कुछ जगहें ऐसी हैं जहां आप गणेश उत्सव के शानदार नजारे का आनंद ले सकते हैं। आज हम आपको इन्हीं के बारे में बताने जा रहे हैं।
मुंबईपूरे भारत में गणेश चतुर्थी का उत्सव 1893 में मुंबई में शुरू हुआ था। बताया जाता है कि स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों के खिलाफ आम आदमी को एकजुट करने के लिए पहले सार्वजनिक गणेश चतुर्थी समारोह का आयोजन किया था। और यह परंपरा आज तक चली आ रही है। भगवान गणेश को वास्तव में पूरे महाराष्ट्र में संरक्षक देवता माना जाता है। मुंबई में हर साल लगभग 6000 गणपति की मूर्तियों की स्थापना की जाती है। यहां के कुछ प्रसिद्ध गणेश चतुर्थी पंडालों में लालबागचा राजा, सिद्धिविनायक मंदिर, खेतवाड़ी गणराज और मुंबईचा राजा शामिल हैं। मूर्ति के विसर्जन का प्रमुख स्थान मुंबई का चौपाटी बीच है।
हैदराबाददक्षिण भारत में गणेश चतुर्थी सेलिब्रेशन की बात आती है तो हैदराबाद का नाम जरूर लिया जाता है। गणेश उत्सव मनाने के लिए लोग यहां दूर-दूर से आते हैं। खास बात है कि यहां गणेश उत्सव विनायक चतुर्थी से शुरू होते हैं और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होते हैं। इसके बाद लोग गणेश की प्रतिमाओं को पानी में विसर्जित कर देते हैं। हैदराबाद में इस खास अवसर पर हजारों पंडाल लगाए जाते हैं। चैतन्यपुरी, दुर्गम चेरुवीयू, खैरताबाद, पुराने शहर आदि जगहों पर खूबसूरत पंडाल लगाए जाते हैं। अगर आप हैदराबाद में हैं तो इन जगहों पर जाकर गणेश उत्सव सेलिब्रेट कर सकते हैं।
दिल्लीवैसे तो दिल्ली में हर त्योहार की एक अलग रौनक देखने को मिलती है। गणेश चतुर्थी के लिए तैयारी लोग काफी पहले से ही शुरू कर देते हैं। इस दिन गणेश की प्रतिमाएं स्थापित करने के अलावा लोग गुलाल और फूलों से भी उत्सव सेलिब्रेट करते हैं। हालांकि दिल्ली में सरोजनी नगर में विनायक मंदिर है, जहां गणेश चतुर्थी के दिन सुबह से ही पूजा अर्चना के लिए लोगों की लाइन लग जाती है। यही नहीं यहां पंडाल भी बनाए जाते हैं। सरोजनी नगर के अलावा लक्ष्मी नगर, नेताजी सुभाष प्लेस और मधुबन चौक में भी पंडाल लगाए जाते हैं।
गोवागोवा जाने का सपना किसका नहीं है। लेकिन इस ड्रीम ट्रेवल के साथ अगर गणेश चतुर्थी का मजा भी ले लिया जाए तो क्या बुरा है। गोवा पर्यटन स्थल और उत्सवों केंद्र, दोनों के लिए मशहूर है। गणेश चतुर्थी गोवावासियों के लिए विशेष है। राज्य में इस त्योहार को मस्ती और उल्लास के साथ मनाया जाता है। आप सुपारी, बेंत, बांस और नारियल से बनी अनूठी गणेश मूर्तियों को देख सकते हैं। गोवा के मापुसा और मार्सेला इस उत्सव को पूरे उत्साह के साथ देखने के लिए बेहतरीन जगहें हैं। मापुसा में गणेशपुरी और खंडोला में प्रसिद्ध गणेश मंदिर हैं।
पुणेपुणे को प्यार से 'महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी' के रूप में जाना जाता है। पुणे गणेश चतुर्थी को रंग, और भक्ति के साथ बहुत धूमधाम से मनाता है। पुणे के कुछ प्रसिद्ध गणेश पंडालों में केसरीवाड़ा गणपति, कस्बा गणपति, तांबड़ी जोगेश्वरी गणपति, गुरुजी तालीम और तुलसी बाग गणपति शामिल हैं। प्रतिष्ठित दगडूशेठ हलवाई गणपति यहां का एक प्रमुख आकर्षण है क्योंकि यह भारत में प्रसिद्ध स्मारकों और मंदिरों की प्रतिकृतियां बनाता है। पुणे में दगडूशेठ हलवाई गणपति और चतुरशृंगी जैसे सुंदर गणेश मंदिर हैं।
कनिपक्कमजब गणेश चतुर्थी समारोह की बात आती है तो कनिपक्कम एक छिपा हुआ रत्न है। आंध्र प्रदेश का यह गांव चित्तूर जिले में बसा है। वरसिद्धि विनायक मंदिर में शानदार भगवान गणेश की मूर्ति है। इस गाव में एक भव्य वार्षिक उत्सव होता है जिसे ब्रह्मोत्सवम के नाम से जाना जाता है। यह 21 दिनों तक चलता है और गणेश चतुर्थी से शुरू होता है। गणेश चतुर्थी के दौरान यहां की यात्रा की योजना बनाने वाले पर्यटक मस्ती और आनंदमय वातावरण का आनंद ले सकते हैं।
तमिलनाडु गणेश चतुर्थी के दौरान, भक्त तमिलनाडु के विभिन्न मंदिरों में जाते हैं, और विशेष आरती और पूजा करके इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। दिल्ली और महाराष्ट्र की तरह ही यहां विशाल पंडाल भी स्थापित किए जाते हैं, जहां लोगों के लिए दर्शन करने और पूजा करने के लिए विशाल गणेश की मूर्तियाँ रखी जाती हैं। इसके अलावा, दक्षिण भारतीय राज्यों में, गौरी या गौरी हब्बा गणेश हब्बा या गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन, भगवान गणेश की मां, देवी गौरी की पूजा की जाती है, और उत्सव इस विश्वास पर आधारित है कि भक्त के घर में पहले देवी गौरी का स्वागत किया जाता है, और अगले दिन भगवान गणेश का स्वागत होता है। तमिलनाडु में भी सबसे पहले देवी गौरी की पूजा करके गणेश उत्सव की शुरुआत की जाती है।