गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस साल 10 दिन तक चलने वाले इस उत्सव की शुरुआत 7 सितंबर 2024 से हो रही है। गणेश चतुर्थी के दिन घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है और अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को है। इस पर्व की धूम सबसे अधिक महाराष्ट्र और गुजरात में होती है। मुंबई शहर में गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है जहां कई छोटे-बड़े पंडाल सजते है और भक्तगण दर्शन करने पहुंचते हैं। बप्पा के भक्तों को गणेश चतुर्थी के मौके पर एक बार मुंबई जरूर जाना चाहिए जहां का नजारा आपको जिंदगीभर याद रहेगा। आज इस कड़ी में हम आपको मुंबई के कुछ प्रसिद्ध गणपति पंडाल के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपन भव्यता के चलते आकर्षण का केंद्र बनते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
लालबाग चा राजालालबाग में विराजमान किए जाने वाले गणपति बप्पा को सिर्फ लालबाग चा राजा ही नहीं बल्कि मुंबई का राजा भी कहा जाता है। शायद इतना काफी है लालबागचा राजा मंडल की भव्यता का अंदाजा लगाने के लिए। मुंबई के लोवर परेल इलाके में स्थित लालबागचा राजा मंडल की 1934 में स्थापना हुई थी। लालबाग चा राजा को मन्नतों का गणपति भी माना जाता है। इस दौरान मुंबई स्थित शायद ही ऐसा कोई सेलेब्रिटी होगा जो लालबागचा राजा के दर्शन करने नहीं आता। लालबागचा राजा के दर्शन करने के लिए चिंचपोकली या करीरोड में से किसी भी एक रेलवे स्टेशन पर उतरकर लालबाग मार्केट जाना होता है।
गणेश गली मुंबईचा राजा1928 में स्थापित हुए गणेश गली चा राजा मुंबई शहर के सबसे भव्य गणेश पंडालों में से एक है। गणेश गली चा राजा मुंबई के मशहूर लालबागचा राजा से कुछ ही दूरी पर स्थित है। गणेश गली चा राजा का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है क्योंकि यह मुंबई के सबसे पुराने गणपति मंडल में से एक है। यहां तक पहुंचने के लिए आप चिंचपोकली, कारीरोड या लोवर परेल रेलवे स्टेशन उतरकर कुछ मिनटों की पैदल यात्रा कर पहुंच सकते हैं। गणेश गली के राजा की मुख्य विशेषता यहां की गणेश मूर्ति और पंडाल की सजावट है। इस जगह पर हर साल नई-नई चीजें देखने को मिलती हैं, इसी वजह से ये जगह भारत में काफी प्रसिद्ध है।
खेतवाड़ी चा गणराजीयह पुरस्कार विजेता खेतवाड़ी गणराज मुंबई की सबसे आश्चर्यजनक गणेश मूर्तियों में से एक माना जाता है। इस मंडल का गठन 1959 में हुआ था। यह समूह 2000 के बाद भारत के इतिहास में सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा बनाने पर चर्चा में आया, जो 40 फीट विशाल है। इस पंडाल के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि गणेश की मूर्ति का आकार इतने सालों से वैसा का वैसा ही है और मूर्ती निर्माता भी काफी समय से मूर्तियां बना रहा है। एक बार आप जब आप इस जगह पर पहुंचेंगे तो आपको 13 लेन दिखेगी, प्रत्येक में आपको गणेश पंडाल दिखाई देगा। हालांकि, सबसे लोकप्रिय 12वीं लेन में पंडाल है।
अंधेरीचा राजाअंधेरीचा राजा का उतना ही महत्व है जितना कि लालबागचा राजा का दक्षिण मुंबई के लिए है। मंडल का गठन तीन प्रतिष्ठित कंपनियों के कार्यकर्ताओं द्वारा वर्ष 1966 में किया गया था। इस मंडल की मूर्ति इतनी विशाल नहीं है, लेकिन मनोकामना पूर्ण करने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। हर साल इस मंडल के अपने पंडाल की अलग-अलग थीम होती है। यह अष्टविनायक पथ के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं। यहां आपको कई मशहूर हस्तियां भी दिख जाएंगी। यहां की सजावट और वातावरण लोगों को मंत्रमुग्ध कर देगा।
तुलसीवाड़ा का महाराज पंडालसाउथ मुंबई के तारदो रोड पर लगने वाले तुलसीवाड़ा का महाराज गणेश पंडाल इस महोत्सव की सबसे सुंदर जगह है। ये मुंबई के सबसे छोटे पंडाल में से एक है लेकिन यहां गणपति बहुत ही यूनिक होते हैं। मुंबई के गणेश चौक पर मौजूद इस पंडाल में आकर लोगों को दिली सुकून मिलता है। चीरा बाजार में लगने वाले इस पंडाल की गणपति प्रतिमा को 2012 में बेस्ट मूर्ति का अवॉर्ड दिया गया था।
जीएसबी सेवा मंडल गणपतिजीएसबी सेवा मंडल गणपति को शहर का सबसे अमीर मंडल माना जाता है। हर साल यहां भगवान गणेश की मूर्ति को सबसे उत्तम सोने और चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है। हजारों भक्त यहां आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। यह एकमात्र ऐसा पंडाल भी है, जहां उत्सव की के दिनों में 24 घंटे अनुष्ठान विधि की जाती है। 1954 में कर्नाटक से आए एक ब्राह्मण परिवार द्वारा शुरू किए गए जीएसबी सेवा किंग सर्कल गणपति की कुछ बातें ऐसी हैं जो उसे मुंबई के सभी गणपति पंडालों से अलग खड़ा करती है। वैसे पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए यहां गणपति तो मिट्टी के ही बने होते हैं लेकिन मिट्टी से बनी मूर्ति की बनावट और सजावट ना सिर्फ खूबसूरत बल्कि जीवंत भी होती है। जीएसबी सेवा किंग सर्कल गणपति की दूसरी खासियत है गणपति की मूर्ति पर चढ़ाए जाने वाला बेशुमार सोना।
गिरगांवचा राजगिरगांव चौपाटी समुद्र तट के पास गिरगांवचा महाराजा बैठते हैं और यह शहर के सबसे लोकप्रिय पंडालों में से एक है। यह गिरगांवचा राजा गणपति के रूप में प्रसिद्ध है जिसकी स्थापना 1938 में रामचंद्र तेंदुलकर ने की थी। 2016 के बाद से यहां गणपति का अनुसरण किया जाता है और लोगों की भी यहां अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है।