हवामहल देखे बिना अधूरी हैं जयपुर की यात्रा, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

राजस्थान को कई राजाओं और रजवाड़ों की ऐतिहासिक भूमि के नाम से जाना जाता है। पर्यटन के तौर पर भी राजस्थान में ज्यादातर किलों और महलों को ही तरजीह दी जाती हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में पर्यटक कई इमारतों का दीदार करने पहुचते हैं जिसमें से एक हैं हवामहल जिसके बिना जयपुर की यात्रा अधूरी मानी जाती हैं। हवा महल को 'पैलेस ऑफ विंड्स' के नाम से भी जाना जाता है। यह अपनी गुलाबी रंग की बालकनियों और जालीदार खिड़कियों के लिए लोकप्रिय है, जहां से आप इस शहर का मनोरम दृश्य देख सकते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको हवामहल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको हैरान भी कर सकती हैं।

सर के ताज का आकार

क्या आपको मालूम है कि हवा महल को सर के ताज के आकर में बनाया है, और इसके पीछे एक कहानी है। नहीं जानते ना! तो चलिए जानते हैं। हवा महल को हमेशा भगवन श्री कृष्णा से जोड़ कर देखा जाता है। कहा जाता है कि इस इमारत को बनवाने वाले राजा सवाई प्रताप सिंह श्री कृष्णा भगवन के प्रति बहुत ही भक्ति और श्रद्धा रखते थे, जिसकी वजह से उन्होंने हवा महल को श्री कृष्णा के ताज के समान बनवाया।

बिना किसी नींव के बनी है इमारत

हवा महल के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि पूरी इमारत बिना किसी ठोस नींव के रखी गई है। हालांकि हवा महल दुनिया के गगनचुंबी इमारतों की तुलना में उतना लंबा नहीं है, लेकिन इसे बिना किसी नींव के दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक माना जाता है।

नामकरण का रहस्य

हवा महल का नाम हवा महल ही क्यों रखा गया इसका भी एक बड़ा रोचक तथ्य है। इतिहास में ऐसा उल्लेख है कि हवा महल का नाम यहां की 5वीं मंजिल के नाम पर रखा है, क्योंकि 5वीं मंजिल को हवा मंदिर के नाम से जाना जाता था, इसीलिए इसका नाम हवा महल पड़ा।

87 डिग्री के कोण पर झुकी इमारत

पिरामिड के आकार के कारण यह स्मारक सीधी खड़ी है। यह पांच मंजिला इमारत है, लेकिन ठोस नींव की कमी के कारण यह घुमावदार और 87 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है। इसके अलावा, इसका विशिष्ट गुलाबी रंग, जो प्राकृतिक बलुआ पत्थर की वजह से है, जयपुर को इसका उपनाम, यानी गुलाबी शहर इसी की वजह से मिला है।

खिडकियों की संख्या

क्या आपको मालूम है कि इस महल में कितनी खिड़कियां है। अगर नहीं जानते तो, अब ये जान के लिए इस महल में लगभग 953 खिड़कियां हैं। इतने सारे खिड़की को बनाने का अर्थ था कि इस महल में हमेशा साफ हवा आते रहे और कभी गर्मी का अनुभव नहीं हो। गर्मियों के मौसम में जयपुर में चिलचिलाती गर्मी होती है। लेकिन फिर भी ये महल खूब ठंडा रहता है। इसकी वजह है यहां कि खूब सारी खिड़कियां जहां से हवा अंदर आती है और इस जगह को ठंडा रखती है।

महिलाओं के लिए बनाई गई खिड़कियां

एक अन्य धारणा यह कि हवा महल को विशेष रूप से राजपूत परिवार के सदस्यों और खास कर महिलाओं के लिए बनवाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि जो 953 खिड़कियां बनाई गई थीं उन खिड़कियों से बिना किसी रोक-टोक के शहर के नजारों को महिलाएं देख सकें इसलिए इतनी सारी खिड़कियों को बनवाया गया है।

छत पर जाने के लिए नहीं है सीढ़ी

अभी तक तो आपको मालूम चल ही गया होगा कि हवा महल में 5 मंजिला इमारत है लेकिन, क्या आपको यह मालूम है कि इस इमारत में ऐसी कोई भी सीढ़ी नहीं हैं जिसके सहारे इसकी छत पर जाया जा सके। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। इस इमारत की सभी मंजिलों पर जाने के लिए ढलान किए हुए रास्ते के सहारे ही जाना होता है।

कला का अनूठा नमूना

एक ऐसा भी रोचक तथ्य है कि ये देश में कुछ उन महलों और इमारतों में से एक है जिन्हें हिंदू राजा ने मुगल और राजपुताना वास्तुकला शैली के इस्तेमाल से बनवाया है। इसलिए ये कला का अनूठा नमूना है। हवा महल में अंदर जाने के लिए सामने से प्रवेश द्वार नहीं है, आपको सिटी पैलेस की तरफ से एंटर करना होगा। फ्रंट में आपको कोई दरवाजा दिखाई नहीं देगा।

मरम्मत पर खर्चा


सवाई प्रताप सिंह द्वारा सन् 1799 में बनवाए गए इस महल की वर्ष 2005 में यानी लगभग 50 साल के बाद मरम्मत करवायी गई थी। जिसमें लगभग 45,679 लाख रुपये खर्च हुए थे। हालांकि, ये आंकड़ा राजस्थान के किसी अधिकारी से नहीं बल्कि एक लेख से लिया गया है, जो कम और अधिक भी हो सकता है।