हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाने वाला पर्व दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। इस दिन पुरे देश में रावण ,मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलो को जलाया जाता है। हांलांकि रावण दहन हर स्थान पर जाना जाता है लेकिन फिर भी अलग अलग क्षेत्रो में इसे विभिन्न तरीको से मनाया जाता है। आइये जानते हैं कुछ विशेष स्थान जहां का दशहरा प्रसिद्द हैं।
# कुल्लू : कुल्लू दुनिया भर में दशहरा के उत्सव के लिए मशहूर है। कुल्लू में दशहरे का उत्सव, दशहरे के दिन, अर्थात् दशमी से शुरू होता है और सात दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि, कुल्लू में दशहरे का उत्सव रावण के पुतले को जलाकर नहीं मनाया जाता है। निष्पक्ष रूप से कुल्लू में यह उत्सव भारत के लोगों की संस्कृति का प्रदर्शन करके और जुलूस (प्रदर्शनियों) को निकालकर मनाया जाता है। इस जुलूस में भक्त अपने भगवान की और देवी की मूर्तियों को, भगवान रघुनाथ से मिलाने के लिए, अपने सिर पर रखकर ढालपुर तक ले जाते हैं।
# कोटा : कोटा का रावण दहन देश भर में प्रसिद्ध है। विषाल रावण, मेघनाद, कुम्भकर्ण के विषाल पुतले रंगीन कागज और बाँस की खपच्चियों से तैयार होते हैं। इनमें बड़ी मात्रा में पटाखे और बारूद भरा रहता है। एक ओर इनके निर्माण की तैयारियाँ चलती रहती हैं वहीं दूसरी ओर भव्य रामलीला का आयोजन होता है। वहाँ उपस्थित हजारों-लाखों की भीड़ आनन्दित होते हुए रावण दहन देखती है। अनेक विविध प्रकार की दुकानों, झूलों आदि से सज्जित यह मेला देर रात्रि तक चलता है एवम् जन-जन में शक्ति के महत्व और धर्म के प्रति आस्था को दृढ़ करता है।
# मैसूर :
मैसूर में दशहरे के समय खूब रौनक लगती है। यहां 10 दिनों तक बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। साथ ही फूड मेला, वुमेन दशहरा जैसे कार्यक्रम भी होते हैं। विजयदशमी के दिन मैसूर की सड़कों पर जुलूस निकलता है। इस जुलूस की खासियत यह होती है कि इसमें सजे-धजे हाथी के ऊपर एक हौदे में चामुंडेश्वरी माता की मूर्ति रखी जाती है। सबसे पहले इस मूर्ति की पूजा मैसूर के रॉयल कपल करते हैं उसके बाद इसका जुलूस निकाला जाता है। यह मूर्ति सोने की बनी होती है साथ ही हौदा भी सोने का ही होता है।
# वाराणसी :
भारत की सबसे आकर्षक और शानदार जगह वाराणसी, दुनिया के सबसे पुराने रामलीला प्रदर्शन के लिए मशहूर है। अन्य राज्यों की तुलना में वाराणसी में दशहरे का आयोजन, कुछ विशेष प्रकार से किया जाता है। पिछले 200 वर्षों से वाराणसी, दुनिया के सबसे पुराने रामलीला प्रदर्शन के लिए विख्यात है। भगवान राम के जीवन का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए, प्रत्येक वर्ष में एक महीने तक, यहाँ रामलीला का आयोजन किया जाता है।