आने वाले दिनों में दिवाली का त्यौहार आने वाला हैं जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता हैं। दिवाली वाले दिन भगवान श्री राम युद्ध में रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे। प्रभु श्रीराम भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में जाने जाते हैं। दिवाली वाले दिन कई लोग भगवान राम के मंदिर में दर्शन करने पहुंचते हैं। जब भी कभी भगवान राम के मंदिर की बात की जाती हैं तो अयोध्या मंदिर की बात होती हैं। लेकिन इसी के साथ ही देशभर में भगवान राम के कई अन्य भव्य मंदिर भी हैं जो अपना विशेष महत्व रखते हैं। भारत में कई राम मंदिर विद्यमान हैं। यहां हम आपको भारत के प्रसिद्ध राम मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
अयोध्या राम मंदिर, उत्तर प्रदेशअयोध्या में राम मंदिर हमेशा हिंदुओं के लिए प्रमुख रहा है क्योंकि इसे भगवान राम की जन्मभूमि 'राम जन्मभूमि' कहा जाता है। फैजाबाद जिले में सरयू नदी के तट पर स्थित यह राम मंदिर हिंदुओं के बीच बहुत महत्व रखता है। जहाँ राजा श्री राम का जन्म हुआ था, उस स्थान की एक झलक पाने के लिए हर साल हजारों भक्त इस दिव्य भूमि की ओर आकर्षित होते हैं। शांत घाट, सुंदर मंदिर और भगवान राम में हिंदुओं की अपार आस्था अयोध्या में राम मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती है। अयोध्या हिंदुओं के लिए सात सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है।
राजा राम मंदिर, मध्य प्रदेशमध्य प्रदेश के ओरछा में स्थित है राजा राम मंदिर। यह देश ही नहीं बल्कि दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां श्रीराम को भगवान के रूप में नहीं बल्कि राजा के रूप में पूजा जाता है। यहां दिन में पांच बार पुलिस द्वारा गार्ड और ऑनर भी दिया जाता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि राजा राम को गार्ड ऑफ ऑनर देने की ये परंपरा 400 साल पुरानी है। राजा राम मंदिर बेहद भव्य और आलिशान है और यह देखने में मंदिर नहीं बल्कि महल की तरह प्रतीत होता है। कहा गया है कि पहले भगवान राम की मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में विराजमान किया जाना था लेकिन जिस जगह पर मूर्ति अभी स्थापित है, उस जगह से मूर्ति को कोई भी अभी तक हिला नहीं पाया है। राम राजा मंदिर संगमरमर का बना हुआ है जिसे देख कर भक्त आकर्षित होते है।
कालाराम मंदिर, नासिककालाराम मंदिर भी भारत का एक खूबसूरत राम मंदिर है जो नासिक, महाराष्ट्र के पंचवटी क्षेत्र में स्थित है। कालाराम का शाब्दिक अर्थ है 'काला राम' और मंदिर को यह नाम भगवान राम की 2 फीट ऊंची काली मूर्ति के कारण पड़ा है। मंदिर में देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां भी स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम को चौदह वर्ष के वनवास पर भेजा गया था, दसवें वर्ष के बाद, वे सीता और लक्ष्मण के साथ पंचवटी में गोदावरी नदी के किनारे रहने के लिए आए थे। इस मंदिर का निर्माण सरदार रंगारू ओधेकर ने किया था, जिन्होंने सपना देखा था कि राम की एक काली मूर्ति गोदावरी नदी में है जिसे उन्होंने अगले दिन नदी से निकालकर कालाराम मंदिर में स्थापित किया था।
रामास्वामी मंदिर, तमिलनाडुदक्षिण भारत के तमिलनाडु में भगवान राम का रामास्वामी मंदिर है। यह मंदिर भारत के सबसे खूबसूरत राम मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के अंदर की गई कलाकृति रामायण कि घटना को दर्शाती है। दक्षिण भारत का अयोध्या इसी मंदिर को बोलते है। आपको बता दें की यह एकमात्र ही ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथं भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी है। इस मंदिर के साथ वहां 3 और मंदिर है, जिनके नाम अलवर सन्नथी, श्रीनिवास सन्नथी और गोपालन सन्नथी हैं।
त्रिपायर श्रीराम मंदिर, केरलइस मंदिर में स्थापित मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि ये मूर्ति समुद्र में डूबी हुई थी जिसे केरल के एक मछुआरे ने यहां मंदिर में लाकर स्थापित कर दिया। इसके बाद वहां के उस समय के शासक ने उस मूर्ति को त्रिपायर मंदिर में स्थापित किया। ऐसी मान्यता है कि श्रीराम की इस मूर्ति में भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के तत्व हैं इसलिए इसकी पूजा त्रिमूर्ति के रूप में की जाती है।
रघुनाथ मंदिर, जम्मूजम्मू में रघुनाथ मंदिर उत्तरी भारत में एक बहुत ही प्रमुख मंदिर है। मुख्य मंदिर के अलावा, रघुनाथ मंदिर परिसर में लगभग सात अन्य मंदिर हैं जो हिंदू धर्म के अन्य देवताओं को समर्पित हैं। यह मंदिर लगभग हर हिंदू पंथ के आकर्षक चित्रों से बना है जो किसी अन्य मंदिर में देख पाना मुश्किल है। रघुनाथ मंदिर की वास्तुकला में मुगल शैली की वास्तुकला का भी रंग देखा जा सकता है।
सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर, तेलंगाना सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध राम मंदिर में से एक है, जो तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले के भद्राचलम में स्थित है। इस मंदिर का भगवान राम से संबंधित एक बहुत ही महत्वपूर्ण इतिहास है क्योंकि रामचंद्रस्वामी मंदिर वहां स्थित है जहां भगवान राम ने सीता को लंका से वापस लाने के लिए गोदावरी नदी पार की थी। मंदिर के अंदर स्थापित मूर्ति त्रिभंग के तेवर में खड़ी है जिसमें भगवान राम धनु और हाथ में बाण लिए हुए हैं और देवी सीता हाथ में कमल लिए उनके बगल में खड़ी हैं।