अपनी कलात्मक शैली और वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं उत्तरप्रदेश के ये 7 ऐतिहासिक किले

आबादी के अनुसार देखा जाएं तो भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तरप्रदेश हैं जो पर्यटन के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता हैं। देश-दुनिया से लग उत्तरप्रदेश के प्रमुख स्थानों पर घूमने और यहां के खानपान का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं। पर्यटन की बात करें तो उत्तरप्रदेश में मुख्य रूप से आगरा के ताजमहल की चर्चा की जाती हैं। लेकिन इसके अलावा भी उत्तरप्रदेश में कई दर्शनीय स्थल हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उत्तरप्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक किलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी कलात्मक शैली और वास्तुकला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। आप जब भी इन किलों को करीब से देखेंगे कुछ पल के लिए आपको महसूस होगा जैसे आप पुरातन के समय में पहुँच गए हों। आइये जानते हैं इन किलों के बारे में...

आगरा किला

सूची में सबसे ऊपर भव्य आगरा किला है, जिसे लाल किले के नाम से भी जाना जाता है। आगरा का नाम सुनते ही लोगों के जहाँ में ताजमहल की तस्वीर बनने लगती है। लेकिन आगरा का किला भी पर्यटकों के लिए बेहतरीन जगह है। किला लाल बलुआ पत्थरों से बना एक वास्तुशिल्प सौंदर्य है। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल होने के नाते, किले का दौरा हर साल भारी संख्या में पर्यटकों द्वारा किया जाता है। आगरा का किला प्रसिद्ध मुगल राजा अकबर द्वारा 1565 में बनवाया गया था जो इसे इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।

इलाहाबाद (प्रयागराज) किला

गंगा-यमुना-सरस्वती 3 नदियों के संगम पर बना इलाहबाद किला देखने में बहुत ही अद्भुत और विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ पर गंगा-यमुना नदियाँ साफ तौर पर देखी जा सकती है, जबकि सरस्वती अदृश्य है। अपने समय में सबसे उत्कृष्ट समझे जाने वाले इस किले को मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में बनवाया था। वर्तमान में इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है। इस किले में तीन बड़ी गैलरी हैं जहां पर ऊंची मीनारें हैं। ऐसा कहा जाता है कि किले में अक्षय वट यानी अमर वृक्ष है। जिसको देखने के लिए यहाँ आने वाले लोग बेताब रहते हैं। हालांकि यह वृक्ष किले के प्रतिबंधित क्षेत्र में है, जहां पहुंचने के लिए अधिकारियों से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है।

झांसी किला

यह राजसी पहाड़ी किला 1613 में ओरछा के राजा बीर सिंह देव द्वारा बनवाया गया था। किला एक विशाल ग्रेनाइट दीवार से घिरा हुआ है जो इसके किलेबंदी का एक हिस्सा है। यहाँ दस द्वार हैं जिनमें से प्रत्येक का नाम एक शासक या राज्य के मील के पत्थर के नाम पर रखा गया है। कुछ द्वार समय के साथ खराब हो गए हैं, लेकिन कुछ अभी भी मौजूद हैं जैसे झरना गेट, चांद गेट, दतिया दरवाजा, लक्ष्मी गेट और सैनयार गेट।

रामनगर किला

रामनगर किला गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर वाराणसी में स्थित है। इस किले का निर्माण वर्ष 1750 में राजा बलवंत सिंह द्वारा निर्मित यह एक विशिष्ट मुगल वास्तुकला का नमूना है। यह यह किला मक्खन के रंग वाले चुनार के बालूपत्थर ने बना है। वर्तमान समय में यह किला अच्छी स्थिति में नहीं है। यह दुर्ग तथा इसका संग्रहालय बनारस के इतिहास का खजाना है। आरम्भ से ही यह दुर्ग काशी नरेश का निवास रहा है।

चुनार किला

उत्तर-प्रदेश में मीरजापुर से 35 किलोमीटर की दूरी पर गंगा तट पर स्थित चुनार गौरवशाली इतिहास का साक्षी रहा है। कहते हैं यह दुर्ग हजारों वर्ष पुराना है। बाद में इस दुर्ग का जीर्णोद्धार उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने कराया था। चुनार का ऐतिहासिक दुर्ग नगर की सुरक्षा का दायित्व निभाने के साथ ही नगर के अस्तित्व को भी बचाये हुए है। बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भर्तृहरि के लिए इस किले को बनवाया था। भगवान विष्णु के वामन अवतार जैसे पौराणिक कथानकों से इसका संबंध बताया जाता है, जबकि प्राचीन साहित्य में चरणाद्रि, नैनागढ़ आदि नामों से यहां का उल्लेख मिलता है। किले के अंदर 52 खंभों की छतरी और सूर्य घड़ी भी बनी हुई है।

बटलर पैलेस

बटलर पैलेस लखनऊ में स्थित एक भव्य महलनुमा इमारत है। इस शानदार इमारत की नींव 1915 में अवध के उपायुक्त सर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। प्रारंभ में राजा मोहम्मद अली मोहम्मद खान द्वारा निर्मित, इसे बाद में सर हरकोर्ट द्वारा अपने निवास के रूप में उपयोग किया गया था। हालांकि, गोमती नदी पर बाढ़ के कारण तीन बड़ी इमारतों का निर्माण अधूरा ही रह गया था। महल के सामने एक टैंक है जिसमें सुंदर दिखने वाली छतरियां और फव्वारे हैं।

कुचेसर किला

राव राज विलास के नाम से भी जाना जाने वाला यह किला 18वीं शताब्दी का किला है। यह पौराणिक धरोहर, अजीत सिंघ के परिवार की पैतृक संपत्ति है जिनकी कुचेसर में रियासत थी। सन् 1734 में बना यह किला चारों ओर से 100 एकड़ में फैले आम के बागों से घिरा हुआ है। यह किला कई सालों तक मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन भी रहा। अंत में इसे मुगल शासकों द्वारा जाट परिवार, अजीत सिंघ के परिवार को दान कर दिया गया और तब से यह उनकी पैतृक संपत्ति है। इस किले के कई हिस्सों में आपको मुगल आर्किटेक्चर की भी झलक दिख जाएँगी। किले का चारों ओर घने, हरे-भरे फार्म हैं।