प्राकृतिक और शहरी खूबसूरती का मिश्रण हैं झारखण्ड के यह शहर, दूर-दराज से आते है पर्यटक

झारखण्ड भारत का एक राज्य है। राँची इसकी राजधानी है। झारखण्ड की सीमाएँ पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार और दक्षिण में ओडिशा को छूती हैं। लगभग सम्पूर्ण प्रदेश छोटा नागपुर के पठार पर अवस्थित है। सम्पूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है। बिहार के दक्षिणी भाग को विभाजित कर झारखण्ड प्रदेश का सृजन किया गया था। अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और जंगलों के चलते झारखण्ड पर्यटन के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य है। यहाँ आने वाला हर पर्यटक इसकी प्राकृतिक खूबसूरती और सौंदर्य को देखकर हर्षोल्लास से पूर्ण हो जाता है। एक तरफ जहाँ झारखण्ड के वन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, वहीं दूसरी ओर इस राज्य के कुछ जिले अपनी प्राकृतिक व शहरी खूबसूरती के संगम के चलते पर्यटकों को अपने साथ जोडऩे में सफल होते हैं। आज इस आलेख में हम अपने पाठकों को झारखण्ड के उन शहरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो झारखण्ड को आर्थिक सम्बल प्रदान करने के साथ-साथ पर्यटकों की नजरों का आकर्षण हैं। इनमें धनबाद, बोकारो एवं जमशेदपुर जैसे शहर शामिल हैं।

झुमरी तलैया

एक दौर था जब रेडियो विविध भारती पर प्रसारित होने वाले आपकी फरमाइश कार्यक्रम में झारखंड के झुमरी तलैया का नाम कमोबेश हर गीत के लिए सुनाई देता था। विविध भारती के प्रोग्राम प्रस्तुतकर्ताओं को हैरानी होती थी जब कभी झुमरी तलैया से किसी ने किसी गीत की फरमाइश न की हो। आज दौर बदल गया है लोग झुमरी तलैया को भूल गए हैं। झुमरी तलैया सिर्फ रेडियो श्रोताओं के लिए ही प्रसिद्ध नहीं रहा, अपितु यह कस्बा एक समय अपनी अभ्रक की खदानों के लिए भी बहुत मशहूर था। 1890 में कोडरमा के आसपास रेल की पटरी बिछाने के दौरान यहाँ अभ्रक की खानों का पता चला, इसके बाद ही यहाँ कई खनन उद्योग अस्तित्व में आए। सबसे ज्यादा अभ्रक यूएसएसआर को निर्यात किया जाता था, जिसका प्रयोग वहाँ अन्तरिक्ष और सैनिक उपकरणों में होता था। झारखंड के कोडरमा शहर में मौजूद झुमरी तलैया/झुमरी तिलैया एक नहीं बल्कि कई अद्भुत जगहों के लिए प्रसिद्ध है। घने जंगल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और खनिज सम्पदा से भरपूर यह गांव ध्वजाधारी पहाड़ में मौजूद है। यह पहाड़ भगवान शिव को समर्पित है और हर महाशिव रात्रि को यहाँ पूजा होती है। बरसोती नदी के नजदीक बसे इस जिले में चंचल धाम नाम की एक जगह भी है जहाँ पर प्रसिद्ध माँ चंचलानी देवी की पूजा होती है। पर्यटकों की नजरों से अंजान प्राकृतिक खूबसूरती को अपने अंक में समाये इस स्थान को जो एक बार देख लेता है उसका मन झूमरी तैलया को बार-बार देखने का होता है।

नेतरहाट

नेतरहाट को प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना कहा जा सकता है। इसलिए इसको नेचर हाट भी कहा जाता है। इस जगह को देखने के लिए साल भर लोग आते रहते हैं। नेतरहाट का मौसम सालभर खुशनुमा बना रहता है जिसकी वजह से झारखंड की ये जगह घुमक्कड़ों को खूब पसंद आती है। नेतरहाट समुद्र ताल से 1128 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, यहाँ ज्यादातर लोग गर्मियों के समय आना पसंद करते हैं। नेतरहाट को छोटनगपुर की रानी भी कहा जाता है। यहाँ घूमने के लिए केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग आते हैं। नेतरहाट में घूमने के लिए एक नहीं बल्कि बहुत सारी जगहें हैं। यहाँ आप झरने देख सकते हैं। इन झरनों को सनसेट और सनराइज प्वॉइंट भी कहा जाता है। सनसेट देखने के लिए मैग्नोलिया प्वॉइंट जरूर जाना चाहिए। इसके अलावा आवासीय विद्यालय, घाघरी झरना, कोयल नदी भी देख सकते हैं। नेतरहाट पहुँचने के लिए आपको घने जंगलों और पहाडिय़ों से होकर गुजरना होता है। कुछ जगहों पर ये रास्ता डरावना जरूर है लेकिन पास बिखरी हरियाली देखकर आपका मन खुश हो जाएगा।

जमशेदपुर

टाटानगर और स्टील सिटी के नाम से मशहूर इस शहर को भारत का सबसे पहला नियोजित शहर होने का गौरव मिला हुआ है। राजधानी रांची के बाद जमशेदपुर एकमात्र ऐसा शहर है जो बाहरी लोगों के बीच लोकप्रिय है। जमशेदपुर की स्थापना स्वर्गीय जमशेदजी टाटा ने की थी। तब से लेकर अब तक इस शहर की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। इतना सब कुछ होने के बावजूद एक समय था जब जमशेदपुर को मात्र औद्योगिक क्षेत्र की तरह देखा जाता था। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद जमशेदपुर घुमक्कड़ों को भी खूब पसंद आने लगा। झारखंड के बाकी शहरों की तरह जमशेदपुर भी तमाम जंगल और पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। ये सभी जगहें इस शहर की सुंदरता को दोगुना कर देती हैं। अगर शहर के अंदर बने पर्यटन स्थलों की बात करें तो उसमें जुबली पार्क का नाम सबसे पहले लिया जाना चाहिए। ये पार्क टाटा स्टील की तरफ से जमशेदपुर के लोगों को तोहफा है। इसके अलावा जमशेदपुर में आप दिमना लेक, जूलॉजिकल पार्क, रीवेर्स मीट और चांडिल डैम भी देख सकते हैं।

हजारीबाग

झारखंड में पर्यटकों के घूमने के लिए सबसे ज्यादा स्थान जिस शहर में हैं वह हजारीबाग है। हजारीबाग शब्द का मतलब होता है हजार बागों वाला और इसी के चलते इस शहर का नाम रखा गया है। हजारीबाग में आप हजारीबाग झील, कैनेरी पहाड़, वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, सूर्यकुण्ड, इचाक जैसी जगहों की सैर कर सकते हैं। हजारीबाग में असंख्य पहाडिय़ों का जाल है। हर पहाड़ी के झील से घिरी है जिससे यहाँ पर्यटकों का तांता लगा रहता है। कैनेरी पहाड़ी पर एक रिजॉर्ट भी है जिससे नीचे बसे शहर का विहिंगम दृश्य दिखाई देता है। असल में ये एक हेल्थ रिजॉर्ट है जिसमें आप प्राकृतिक सौंदर्य के बीच रहते हुए अपने स्वास्थ्य को और अच्छा करने पर भी काम कर सकते हैं। हजारीबाग झील के किनारे बैठकर आप सनसेट देखने का मजा उठा सकते हैं। शाम के समय इस झील पर लोगों की भीड़ जरूर होती है लेकिन यहाँ से दिखाई देने वाला नजारा भी उतना ही शानदार होता है। इसके अलावा आप झील पर तमाम रोमांचक वॉटर स्पोट्र्स का मजा ले सकते हैं।

गिरिडीह

गिरिडीह यह स्थान जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। माना जाता है कि झारखंड राज्य का सबसे ऊँचा पर्वत गिरिडीह में है। यह भी कहा जाता है कि गिरिडीह 24 जैन तीर्थंकरों में से एक है। वैसे स्थानीय भाषा में गिरिडीह का मतलब होता है पर्वतों की भूमि जो इस शहर के भूगोल को देखते हुए एकदम सही भी है। गिरिडीह झारखंड की उन जगहों में से है जिसके आसपास आकर्षक पहाडिय़ों का घर है। यहाँ भारतीय सांख्यिकी स्थान भी है। धार्मिक स्थल और पहाडिय़ों के अलावा भी ऐसी बहुत सारी वजहें हैं जो गिरिडीह को खास बनाती हैं। गिरिडीह में आप उर्सी फॉल्स देख सकते हैं जो वीकेंड एन्जॉय करने के लिए बढिय़ा जगह है। आप स्टीवंस मेमोरियल चर्च, पाश्र्वनाथ हिल और जैन संग्रहालय भी देख सकते हैं। इसके अलावा गिरिडीह में कोयले की बड़ी खदान है जहाँ बहुत ज्यादा मात्रा में कोयला पाया जाता है।

देवघर

देवघर झारखंड का वो हिस्सा है जो धार्मिक नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण है। एक तरह से देवघर को मंदिरों की नगरी भी कहा जा सकता है। मयूराक्षी नदी के तट पर बसा ये शहर बाबा बैद्यनाथ मंदिर के लिए जाना जाता है जो हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। देवघर के बैद्यनाथ मंदिर के पास ही एक कुंड है जिसका नाम शिव गंगा कुंड है। कहा जाता है गर्म पानी के इस कुंड में डुबकी लगाने से सारी बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। भगवान शिव के भक्तों के बीच इस कुण्ड की बहुत मान्यता है। 12 ज्योतिर्लिंगों और 51 शक्ति पीठों में देवघर का नाम भी शामिल है। देवघर घूमने के लिए मार्च से जुलाई का समय सबसे अच्छा माना जाता है।

धनबाद

धनबाद को भारत की कोयला राजधानी कहा जाता है। झारखंड की यह जगह कोयला और खनन में भारत का सबसे संपन्न शहर है। पर्यटन के नजरिए से देखें तो उसके अनुसार भी ये खदानें काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन खदानों को देखने के लिए केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग अलग हिस्सों से लोग आते हैं। लेकिन धनबाद में केवल खदान ही नहीं हैं। धनबाद में आप पानर्रा, पंचेत डैम, बिरसा मुंडा पार्क, तोपचांची झील, पारसनाथ पहाड़ और मैथन डैम देख सकते हैं। इसके अतिरिक्त धनबाद शिक्षा के क्षेत्र में भी एक उल्लेखनीय नाम है। यहाँ देश का सर्वश्रेष्ठ आईआईटी कॉलेज है, जो विश्व भर में अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता के बूते पर प्रसिद्ध है।

रांची

किसी भी राज्य की लोकप्रियता में उसकी राजधानी का सबसे बड़ा हाथ होता है। झारखण्ड भी इससे अछूता नहीं है। झारखण्ड की राजधानी रांची प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा प्रमुख शहर है। राजधानी होने के साथ-साथ रांची झीलों का शहर है। रांची पर भी प्रकृति ने भर-भरकर प्यार बरसाया है। आधुनिकता की दौड़ में सबसे आगे चलने वाले इस शहर में प्राकृतिक सुन्दरता का अपना एक अलग मुकाम है। आधुनिक निर्माण के साथ प्राकृतिक हरियाली का तालमेल इसे देखने लायक बनाता है। रांची के मुख्य पर्यटन स्थलों में गोंडा हिल, रॉक गार्डन, बिरसा जैविक उद्यान, टैगोर हिल, मैक कलुस्किगंज और आदिवासी म्यूजियम हैं। इसके अतिरिक्त रांची के प्राकृतिक झरनों को देखने का मोह कोई नहीं छोड़ सकता है। रांची के सभी झरनों में सबसे शानदार झरना पाँच गाद्य झरना है। ये झरना पाँच धाराओं का समूह है जो एक साथ मिलकर इसको बेहद खूबसूरत बनाता है।