डलहौजी धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित एक बहुत की खूबसूरत पर्यटक स्थल है। पांच पहाड़ों (कठलौंग, पोट्रेन, तेहरा, बकरोटा और बलुन) पर स्थित यह पर्वतीय स्थल हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का हिस्सा है। अंग्रेजों ने 1854 में इसे बसाया और विकसित किया तथा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डलहौजी के नाम पर इस जगह का नाम डलहौजी रखा गया। अंग्रेज सैनिक और नौकरशाह यहां अपनी गर्मी की छुट्टियां बिताने आते थे। मनमोहक वादियों और पहाड़ों के अलावा यहां के अन्य आकर्षण प्राचीन मंदिर, चंबा और पांगी घाटी हैं। चूंकि अंग्रेजों को गर्मी बरदाश्त नहीं थी इसलिए वे गर्मियों के वक्त इन्हीं पहाड़ी स्थलों पर अवकाश बिताया करते थे। समुद्र तल से डलहौजी लगभग 1,970 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिमाचल प्रदेश का यह खास स्थान अब देश के मुख्य हिल स्टेशनों में गिना जाता है। इस शहर में आप आज भी योजनाबद्ध सड़कें और प्राचीन भवन-इमारतों को देख सकते हैं। हिमालय के मनमोहक परिवेश और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच यह स्थान किसी जन्नत से कम नहीं।
आज हम इस लेख के जरिये आपको बताने जा रहे है कि डलहौजी में कौन-कौन जगह है जिनका आनंद आप ले सकते है
# सेंट पैट्रिक चर्चयह चर्च मुख्य बस स्टैंड से 2 किलोमीटर दूर डलहौजी कैंट की मिलिटरी हॉस्पिटल रोड पर है। सेंट पैट्रिक चर्च डलहौजी का सबसे बड़ा चर्च है। यहां के मुख्य हॉल में 300 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। इस चर्च का निर्माण 1909 में किया गया था। यह चर्च ब्रिटिश सेना के अफसरों के सहयोग से बनाया गया था। वर्तमान में इस चर्च की देखरेख जालंधर के कैथोलिक डायोसिस द्वारा की जाती है। इस चर्च के चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य बिखरा हुआ है। यह उत्तर भारत के खूबसूरत चर्चों में से एक है। पत्थर से बनी हुई बिल्डिंग भी कुछ अलग तरह की है।
# मणिमहेश यात्राअगस्त/सितंबर के महीने में चंबा के लक्ष्मीनारायण मंदिर से मणिमहेश की प्रसिद्ध यात्रा शुरु होती है। इस दौरान छड़ी को पवित्र मणिमहेश झील तक ले जाते हैं। यह झील जिले का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष यहां करीब एक लाख श्रद्धालु आते हैं और पवित्र कुंड में डुबकी लगाते हैं। समुद्र तल से 13500 फीट ऊपर स्थित यह झील मणि महेश कैलाश चोटी के नीचे है। झील से थोड़ी ही दूरी पर संगमरमर से बना एक शिवलिंग भी है जिसे चौमुख कहा जाता है।
# लक्ष्मीनारायण मंदिरलक्ष्मीनारायण मंदिर सुभाष चौक से 200 मी. दूर सदर बाजार में है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। 150 साल पुराने इस मंदिर में भगवान विष्णु की बहुत की सुंदर प्रतिमा देखी जा सकती है। इस मंदिर में स्थानीय लोग नियमित रूप से दर्शन करने आते रहते हैं। इसी मंदिर से अगस्त/सितंबर के महीने में मणि महेश यात्रा की शुरुआत होती है।
# कालाटोप वन्यजीव अभयारण्यसमुद्र तल से 2440 मी. की ऊंचाई पर स्थित यह जंगल बहुत ही घना है। विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देखने के लिए यह जगह बिल्कुल उपयुक्त है। यहां की खूबसूरती भी देखते ही बनती है। जो पर्यटक यहां रात भर रुकना चाहते हैं उनके लिए एक रेस्ट हाउस भी है। यहां ठहरने के लिए डलहौजी में आरक्षण कराना होता है। इस जंगल के पास ही लक्कड़ मंडी है।
# पंचफुल्लास्वतंत्रता सेनानी और शहीद भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह की मृत्यु भारत की आजादी के दिन हुई थी। उनकी समाधि डलहौजी के पंचफुल्ला में बनाई गई है। इस खूबसूरत जगह पर एक प्राकृतिक कुंड और छोटे-छोटे पुल हैं जिनके नाम पर इस जगह का नाम रखा गया है। पंचफुल्ला जाने के रास्ते में सतधारा है। यही से डलहौजी और बहलून को पानी की आपूर्ति होती है। इस पानी के बारें में यह भी कहा जाता है कि इसमें कुछ रोगों को दूर करने की क्षमता है।
इन सब के अलावा डलहौजी की याद को समटने के लिए आप यहां शॉपिग का आनंद ले सकते हैं। डलहौजी अपने खूबसूरत बाजारों के लिए जाना जाता है। यहां की तिब्बती मार्केट और सदर बाजार काफी ज्यादा मशहूर हैं। यहां आप पहाड़ी लोगों के हाथों से बने कालीन, स्वेटर, शॉल और अन्य हस्तशिल्प सामानों को खरीद सकते हैं। वैसे किसी भी स्थान की अच्छी यादों को समेटने के लिए वहां से कुछ खरीदना तो बनता है। खासकर यहां के बने स्वेटर और अन्य गर्म कपड़े आप जरूर खरीदें, जो आपको सर्दियों में काफी आराम देंगे। इसके अलावा महिलाएं हाथ से बने साज-सज्जा के सामान भी यहां से ले सकती हैं।
डलहौजी आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। डलहौजी का अपना कोई एयरपोर्ट नहीं है हवाई मार्ग के लिए आपको पठानकोट एयरपोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा। डलहौजी से पठानकोट लगभग 75 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा आप कांगड़ा जिले के गग्गल एयरपोर्ट का भी रूख कर सकते हैं। जो डलहौजी से लगभग 140 किमी की दूरी पर स्थित है। रेल मार्ग के लिए आप पठानकोट चक्की रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो डलहौजी सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। डलहौजी सड़़क मार्गों द्वारा आसपास के हिल स्टेशन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।