आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं वाराणसी, जाएं तो जरूर घूमें ये 10 जगहें

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे स्थित वाराणसी घूमने की बहुत ही खूबसूरत और प्रसिद्ध जगह है। वाराणसी को बनारस या काशी के नाम से भी जाना जाता है और यह भारत के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। यह स्थान हिंदुओ के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है। वाराणसी अपने कई विशाल मंदिरों के अलावा घाटों और अन्य कई लोकप्रिय स्थानों से हर साल यहां आने वाले लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह धार्मिक स्थल केवल भारतीय यात्रियों के लिए ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों द्वारा भी काफी पसंद किया जाता है। आज इस कड़ी में हम आपको वाराणसी की कुछ प्रमुख जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जो घूमने के अलावा आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

काशी विश्वनाथ मंदिर

बहुत से लोग इसे वाराणसी में सबसे प्रमुख मंदिर के रूप में देखते हैं, और कुछ इसे पूरे देश में सबसे महत्वपूर्ण मंदिर मानते हैं। आपको बता दें, इस मंदिर की कहानी तीन हजार पांच सौ साल से भी अधिक पुरानी है। काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसके दर्शन करने के लिए हर साल लाखों संख्या में लोग यहां आते हैं। कई भक्तों का मानना है कि शिवलिंग की एक झलक आपकी आत्मा को शुद्ध कर देती है और जीवन को ज्ञान के पथ पर ले जाती है। हमारा मानना है कि आपको वाराणसी में घूमने की शुरुआत इसी जगह से करनी चाहिए।

अस्सी घाट

वाराणसी रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी स्थित अस्सी घाट एक ऐसी पवित्र जगह है जहां आने वाले तीर्थयात्री एक पीपल के पेड़ के नीचे स्थित एक विशाल शिव लिंग की पूजा करके भगवान शिव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। बता दें कि अस्सी घाट अस्सी और गंगा नदी के संगम पर स्थित है जो काशी की प्राचीनता को दर्शाता है। अगर आप वाराणसी की यात्रा करना आ रहे हैं तो आपको सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से अस्सी घाट की सैर जरुर करना चाहिए। इस घाट की आरती का आकर्षक नजारा वाराणसी शहर को देश की सबसे खूबसूरत जगह बनता है।

दशाश्वमेध घाट

वाराणसी का दशाश्वमेध घाट एक बहत ही पवित्र जगह है जो गंगा नदी तट पर स्थित एक मुख्य घाट है जिसको अपनी आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता है। इस जगह को इसलिए प्रसिद्ध कहा जाता है क्योंकि इस जगह पर भगवान ब्रह्मा ने दसा अश्वमेध यज्ञ किए थे जिसमें वो 10 घोड़ों की बलि दी थी। वाराणसी में दशाश्वमेध घाट का नाम पर्यटकों के लिस्ट में सबसे पहले आता है क्योंकि पर्यटकों वाराणसी आते हैं तो सबसे पहले दशाश्वमेध घाट ही आते हैं। यहां लोगों का भीड़ बहत ज्यादा देखने को मिलता है। शाम को यहां काफी ज्यादा भीड़ होता है क्योंकि शाम को इस घाट पर होने वाली गंगा आरती सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां तीर्थयात्री अपने पापों को धोने और प्रार्थना करने के लिए भी आते हैं।

सारनाथ मंदिर

सारनाथ मंदिर एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल है जो वाराणसी से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शांत वातावरण में कुछ समय बिताने के लिए यह स्थान काफी अच्छा है। इसी स्थान पर गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। सारनाथ में घूमने की जगह काफी लोकप्रिय है जिसमे अशोक स्तंभ, चौखंडी स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, तिब्बती मंदिर, धमेख स्तूप, मठ और थाई मंदिर आदि शामिल हैं।

रामनगर किला

तुलसी घाट से गंगा नदी के पार स्थित, यह उस समय बनारस के राजा बलवंत सिंह के आदेश पर 1750 ईस्वी में बलुआ पत्थर से बनाया गया था। 1971 में, सरकार द्वारा एक आधिकारिक राजा का पद समाप्त कर दिया गया था, लेकिन फिर भी पेलू भीरू सिंह को आमतौर पर वाराणसी के महाराजा के रूप में जाना जाता है। इसमें वेद व्यास मंदिर, राजा का निवास स्थान और क्षेत्रीय इतिहास को समर्पित एक संग्रहालय है।

संकट मोचन हनुमान मंदिर

संकट मोचन हनुमान मंदिर अस्सी नदी के किनारे स्थित है और 1900 के दशक में स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा बनाया गया था। यह भगवान राम और हनुमान को समर्पित है। वाराणसी हमेशा संकट मोचन मंदिर से जुड़ा हुआ है और इस पवित्र शहर का एक अनिवार्य हिस्सा है। वाराणसी आने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस मंदिर में जाता है और हनुमान के दर्शन जरूर करता है। इस मंदिर में चढ़ाए जाने वाले लड्डू स्थानीय लोगों के बीच अनिवार्य रूप से प्रसिद्ध हैं। संकट मोचन का दौरा करते समय उन बंदरों से सावधान रहें जो मंदिर परिसर में आते हैं और प्रसाद को चुरा लेते हैं।

तुलसी मानसा मंदिर

तुलसी मानसा मंदिर वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 1964 किया गया था जो भगवान राम को समर्पित है। बता दें कि इस मंदिर का नाम संत कवि तुलसी दास के नाम पर पर रखा गया है। बताया जाता है कि यह वो स्थान है जहां पर तुलसीदास ने हिंदी भाषा की अवधी बोली में हिंदू महाकाव्य रामायण लिखी थी। मंदिर में सावन के महीनों (जुलाई – अगस्त) में कठपुतलियों का एक विशेष प्रदर्शन होता है जो रामायण से संबंधित है। अगर आप एक मजेदार अनुभव का आनंद लेना चाहते हैं, तो सावन के महीनों में यहां की यात्रा करें।

दुर्गा मंदिर

अस्सी घाट के पश्चिम में सिर्फ 5 मिनट दूर पैदल जाने पर दुर्गा मंदिर नजर आता है। यह वाराणसी का एक बहत ही खूबसूरत और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां हर दिन इतने सारे बंदर आते है कि इसको अलग नाम से बंदर मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में एक बंगाली महारानी द्वारा किया गया था और यह मंदिर को पूरा लाल रंग से रंगा गया है। लोगों का कहना है कि यहां देवी दुर्गा का मूर्ति निर्माण नहीं किया गया था बल्कि यह अपने आप प्रकट हुए थे।

चुनार फोर्ट

बनारस में घूमने की जगह की सूची में चुनार का किला भी सबसे आकर्षक स्थलों में से एक है, यह शहर से 40 किलोमीटर दूर गंगा नदी के तट पर स्थित है। किला 34000 वर्ग फुट आकार में फैला हुआ है। किले का निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भरथरी के लिए करवाया था। किला ऐतिहासिक रूप से उल्लेखनीय है और हुमायूँ और शेर शाह के बीच युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में कार्य किया। किले का गढ़ वाला हिस्सा जिसमें तोपें हैं आज भी देखे जा सकते हैं और यहाँ की वास्तुकला स्पष्ट रूप से आगरा के किले से मेल खाती है।

नेपाली मंदिर

नेपाली मंदिर वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध और सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसे नेपाल के राजा ने उन्नीसवीं सदी में बनवाया था। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है। मंदिर की पारंपरिक वास्तुकला लकड़ी, पत्थर और टेराकोटा की नक्काशी से बनी है। मंदिर काठमांडू में नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर से मिलता जुलता है नेपाली मंदिर ललिता घाट पर मणिकर्णिका घाट से 100 मीटर दक्षिण में स्थित है। इसे नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने वाराणसी में अपने निर्वासन के दौरान बनवाया था।