देवी-देवताओं नहीं बल्कि राक्षसों के नाम पर रखे गए हैं इन शहरों के नाम

भारत एक विशाल देश हैं जिसका पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व रहा हैं। ऐसे में इसका असर यहां के शहरों और रास्तों पर भी देखने को मिलता हैं जिनमें से कई के नाम इनसे जुड़े प्रसिद्द शख्सियत पर रखे गए हैं। ये नाम उन शख्सियत पर रखे जाते हैं जिन्होनें अच्छे काम किए हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के कुछ शहर ऐसे हैं जिनके नाम किन्हीं देवी-देवताओं पर नहीं बल्कि राक्षसों के नाम पर रखे गए हैं। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ ऐसे ही शहरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम राक्षसों के नाम पर रखा गया हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

कोल्हापुर, महाराष्ट्र

कोल्हापुर, महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक है। इस शहर का नाम असुर कोल्हासुर के नाम पर रखा गया है, जो प्राचीन समय में यहां राज करता था। इस शहर की साड़ियां पूरे विश्व में काफी प्रसिद्ध है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह शहर काफी पवित्र और प्रसिद्ध माना जाता है। यहां घूमने के लिए आपको मंदिर, किला, झरना, संग्रहालय व वन्यजीव अभयारण्य मिल जाएंगे, जहां पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जाती है।

मैसूर, कर्नाटक

मैसूर, कर्नाटक का एक ऐतिहासिक शहर है। इसका नाम ‘महिषासुर’ राक्षस के नाम पर पड़ा है। महिषासुर के समय इसे महिषा-ऊरु कहा जाता था। फिर महिषा-ऊरु बाद में महिषुरु कहा जाने लगा। महिशुरु पर राक्षस महिषासुर का शासन था, लेकिन चामुंडेश्वरी देवी ने लोगों की रक्षा के लिए राक्षस का वध कर दिया था। इसके बाद कन्नड़ में इसे मैसुरु कहा गया, जो अब मैसूर के रूप में फ़ेमस हो गया है। मैसूर की ‘चामुंडी पहाड़ी’ की चोटी पर महिषासुर की एक विशाल मूर्ति भी बनाई गई है।

जालंधर, पंजाब

आपको जलंधर और वृंदा की कहानी तो याद ही होगी। ये वही वृंदा है जिसके सतित्व के कारण जलंधर का वध विष्णु भगवान भी नहीं कर पाए थे। जिसके बाद छल पूर्वक वृंदा का सतित्व तोड़कर जलंधर का वध किया गया था। इसी राक्षस के नाम पर भगवान राम के बेटे लव की राजधानी बनी थी जिसे जालंधर कहा गया।

गया, बिहार

बिहार में गया मुख्य तीर्थ स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि 'गयासुर' राक्षस के नाम पर इस शहर का नाम रखा गया है। माना जाता है कि जिस समय असुर स्वर्ग पहुंचने लगे थे तब उनको रोकने के लिए श्रीहरि ने ब्रह्मा जी के द्वारा यज्ञ के लिए गयासुर से उसका शरीर मांगा था। तब गयासुर लेटा गया और उसका शरीर पांच कोस तक फैल गया। इससे प्रसन्न होकर देवताों ने गयासुर को वरदान दिया की इस स्थान पर पितरों का श्राद्ध कर्म और तर्पण करने वाले को मुक्ति मिलेगी।

सुद्धमहादेव, जम्मू-कश्मीर

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में स्थित ये कस्बा शंकर जी के भक्त सुद्धांत राक्षस के नाम पर बसा है। सुद्धांत शंकर जी का भक्त था, लेकिन एक दिन वो पार्वती जी को डराने लगा और इससे गुस्सा होकर शिव जी ने त्रिषूल से उसका वध कर दिया। पर शिव जी ने उस राक्षस को दर्शन भी दिए और उसे वरदान के रूप में उस जगह का नाम उसके नाम कर दिया। यहां आज भी महादेव से पहले सुद्धांत राक्षस का नाम लिया जाता है और इसे सुद्धमहादेव कहा जाता है।

तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु

तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु में स्थित एक शहर है। इस शहर का नाम 'थिरिसिरन' नामक राक्षस के नाम पर है। माना जाता है कि एक समय में इसी स्थान पर इस राक्षस ने शिव जी की तपस्या की थी। फिर उसी के नाम से इस शहर का नाम थिरि-सिकरपुरम रखा गया। बाद में यह बदल कर थिरिसिरपुरम हुआ। मगर अब दुनियाभर में यह शहर तिरुचिरापल्ली के नाम से मशहूर है।

पलवल, हरियाणा

पलवल, हरियाणा का एक ज़िला और प्रमुख शहर भी है। इसका नाम ‘पलंबासुर’ राक्षस के नाम पर पड़ा है। ये वही शहर है जहां महात्मा गांधी को सबसे पहले गिरफ़्तार किया गया था। प्राचीन काल में इस शहर को पलंबरपुर भी कहा जाता था। लेकिन समय के साथ नाम बदला और ये पलवल हो गया। कहा जाता है कि, ‘पलंबासुर’ को भगवान कृष्ण के भाई बलराम ने मारा था। बलराम की याद में आज भी पलवल में ‘बलदेव छठ’ का मेला लगता है।

कुल्लू, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश की ‘कुल्लू घाटी’ अपनी ख़ूबसूरती के लिए देशभर में मशहूर है। इसका नाम ‘कुलान्त’ राक्षस के नाम पर पड़ा है। प्राचीनकाल में इस जगह का नाम ‘कुलंथपीठ’ हुआ करता था। इसका मतलब रहने लायक दुनिया का अंत। कहा जाता है कि एक दिन ‘कुलान्त’ राक्षस अजगर बन कुंडली मार कर ब्यास नदी के रास्ते में बैठ गया। ऐसा करके वो पानी में डुबोकर दुनिया का अंत करना चाहता था। जब भगवान शिव को इसका पता तो उन्होंने इस राक्षस का वध कर दिया। मरने के बाद ‘कुलान्त’ राक्षस का पूरा शरीर पहाड़ में बदल गया जो ‘कुल्लू घाटी’ कहलाया।