ज्यादा रोमांच और कम खतरे के चलते पर्यटकों की पहली पसंद है कुल्लू का चंद्रखणी पास, बर्फीली वादियों में ट्रैकिंग का उठाए आनंद

हिमाचल प्रदेश अपनी सुंदरता और पर्यटन स्थलों के चलते पर्यटकों के लिए हमेशा से पसंदीदा रहा है। निर्मल झीलों, ऊँचे पहाड़ों और प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात हिमाचल प्रदेश एक अविश्वसनीय स्थान है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, ऊँची घाटियों और पहाड़ों के साथ, आने वाले लोगों को शांति और सुकून की अनुभूति प्रदान करती है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की पार्वती घाटी ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग मानी जाती है। खासकर, यहाँ का चंद्रखणी पास ट्रैकरों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। इस पास को चंद्रखणी पास के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसका आकार चंद्रमा के समान होता है।

चंद्रखणी पास समुद्र तल से लगभग 3660 मीटर (Chandrakhani Pass trek height) की ऊंचाई पर स्थित है। हर साल देश-विदेश से इस खूबसूरत ट्रैक पर ट्रैकिंग करने के लिए पहुंचते हैं। प्रकृति की कभी ना भुला देने वाली खूबसूरती के बीच ट्रैकिंग करने के शौकीन चंद्रखणी पास का रुख करते हैं। चंद्रखणी पास से देव टिब्बा और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के शानदार एवं मनमोहक नज़ारे देखे जा सकते हैं। इस ट्रैक की शुरुआत मनाली के नजदीक नग्गर गांव से होती है। ज्यादा रोमांच और कम खतरा होने के चलते भी चंद्रखणी पास को काफी पसंद किया जाता है। यहां ट्रैकिंग करते समय प्राचीन धार्मिक स्थलों, लकड़ी के घरों, जंगलों और बर्फ से ढकी पर्वत चोटियों पर से गुजरना होता है। अगर आपको बर्फीली वादियों में ट्रैकिंग करना पसंद है, तो यकीन मानिए कि आप इस जगह को कभी नहीं भूल पाएंगे। चंद्रखणी पास पर रात का नजारा भी बेहद खूबसूरत नजर आता है। कई पर्यटक यहां कैंप लगाकर रात गुजारना पसंद करते हैं।

चंद्रखणी पास से प्रकृति के खूबसूरत नजारों के दीदार होते हैं। यहां से देव टिब्बा, पार्वती घाटी और पीर पंजाल चोटियों के दृश्य देखे जा सकते हैं। देवदार, गोल्डन ओक और चेरी के पेड़ों के कारण चंद्रखणी पास की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है। जैसा की हम आपको बताया कि चंद्रखणी पास के लिए ट्रैकिंग की शुरुआत नग्गर गांव से होती है। ऐसे में पर्यटक चंद्रखणी पास की यात्रा के दौरान नग्गर गांव की सैर भी कर सकते हैं जो अपनी प्राचीन और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। इसे कुल्लू की प्राचीन राजधानी भी माना जाता है। नग्गर को देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसे प्रकृति ने इसे बड़ी ही फुर्सत में तराशा है। नग्गर को रूसी चित्रकार निकोलस रोरिक के घर के रूप में भी प्रसिद्धि मिली है। यहां पर निकोलस रोरिक लंबे समय तक रहे हैं। वर्तमान समय में उनके घर को एक संग्राहलय में बदल दिया गया है। यहां आज भी आप निकोलस रोरिक के जुड़ी चीजों और चित्रों को उनके घर में देख पाएंगे।

नग्गर से निकलती व्यास नदी भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। नदी की सुंदरता और साफ-सफाई देख पर्यटकों का मन इसमें डुबकी लगाने का हो उठता है। यहां आने वाले पर्यटक व्यास नदी के तट पर स्थित दपगो शिड्रपुलिंग मठ भी आते हैं। इस मठ का उद्घाटन दलाई लामा ने किया था। इसके अलावा यहां श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, चामुंडा भगवती मंदिर और मुरलीधर मंदिर हैं।

कैसे पहुंचें चंद्रखणी पास?

चंद्रखणी पास जाने के लिए नग्गर गांव से ट्रैकिंग की शुरुआत होती है। नग्गर गांव, कुल्लू से लगभग 26 किलोमीटर और मनाली से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों के लिए बसें चलती हैं। अगर आप हवाई मार्ग की मदद से नग्गर जाना चाहते हो, तो यहां से निकटतम हवाई अड्डा 32 किलोमीटर दूर भूंतर हवाई अड्डा है। भूंतर से नग्गर आने के लिए आप बस या टैक्सी की मदद ले सकते हैं।