दुनियाभर में जाने जाते हैं भारत के ये बौद्ध स्थल, इतिहास प्रेमियों के लिए है खास

ये कहना गलत नहीं होगा कि बौद्ध धर्म दुनिया में सबसे अधिक प्रिय धर्मों में से एक है। पूरी दुनिया में फैल चुकी बौद्ध धर्म की जड़ें भारत में जमी हैं। इसकी स्थापना भगवान गौतमबुद्ध ने की थी। गौतमबुद्ध अपने जीवन के अंतिम समय तक सत्य के मार्ग पर चले और लोगों को हमेशा सत्य पर चलने और सही मार्ग चुनने के लिए प्रेरित किया। आज देश भर में गौतमबुद्ध से जुड़े कई मठ, स्तूप, स्मारक और अन्य बौद्ध स्थल मौजूद है जो दुनियाभर में जाने जाते हैं। अगर आप भी गौतमबोद्ध के अनमोल वचनों, रहस्यों, दार्शनिक और आध्यात्मिक शिक्षाओं के बारे में जानने के लिए उत्सुक है तो इन जगहों पर जा कसते हैं। ये जगहें इतिहास प्रेमियों के लिए बहुत महत्व रखती हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

महाबोधि मंदिर, बिहार

महाबोधि मंदिर बिहार के बोध गया में स्थित है। बौद्ध धर्म मानने वाले लोग इसे बहुत पवित्र मानते हैं। यह वह स्थान है जहां गौतम बुद्ध ने प्राचीन बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर ज्ञान प्राप्त किया था। मंदिर की बनावट बेहद खूबसूरत है। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि विभिन्न धर्मों की कलाकृतियों के माध्यम से छवि देखने को मिलेगी। बौद्धों द्वारा बोधगया को दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसी स्थल पर बोधि वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त किया था। बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर को वर्ष 2002 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया था।

सारनाथ मंदिर, वाराणसी

सारनाथ मंदिर को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक, सारनाथ वह स्थान है जहां बुद्ध ने अपने शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था। वाराणसी में स्थित इस मंदिर का निर्माण राजा अशोक ने करवाया था। सारनाथ कई बौद्ध स्तूपों, संग्रहालयों, प्राचीन स्थलों और सुंदर मंदिरों के साथ ऐतिहासिक चमत्कार का एक शहर है जो पर्यटकों के लिए बहुत ही आश्चर्य और विस्मय का कारण साबित होता है। सारनाथ की यात्रा में आप चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, धमेख स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, मूलगंध कुटी विहार, चीनी, थाई मंदिर और मठ घूम सकते हैं।

कुशीनगर, उत्तरप्रदेश

उत्तर प्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में गोरखपुर के पास स्थित, कुशीनगर एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल है। माना जाता है कि भगवान बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर में हुई थी जिसके बाद सम्राट अशोक ने परिनिर्वाण स्थल को चिह्नित करने के लिए यहां एक स्तूप बनवाया था। स्तूप में बुद्ध की पुनर्जीवित निर्वाण प्रतिमा है, जिसमें दाईं ओर “मरने वाले बुद्ध” की लेटी हुई प्रतिमा को स्थापित किया गया है। कुशीनगर एक धार्मिक शहर जो बड़ी संख्यां में पर्यटकों और खासकर बोद्ध धर्म के अनुयायीयों को अपनी और आकर्षित करता है। कुशीनगर के अन्य प्रमुख स्थलों में आप चैत्य, रामभर स्तूप, मठ और कुछ लोकप्रिय छोटे-छोटे मंदिर देख सकते हैं।

केसरिया स्तूप, बिहार

केसरिया स्तूप एक प्राचीन धरोहर है, जो विश्व के सबसे बड़े प्राचीन बौद्ध स्तूप के नाम से प्रसिद्ध है। जानकारी के मुताबिक इस स्तूप को सम्राट अशोक महान ने बनवाया था। इतिहास और कला में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थल है, यहां भारतीय इतिहास के कई अहम पहलुओं को समझा जा सकता है। रिकॉर्ड में दर्ज तारीख के के मुताबिक यह विशाल स्तूप तीसरी शताब्दी से तालुकात रखता है। इस प्राचीन स्थल को पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के ओर से 1958 में खोजा गया था। सर्वेक्षण का पूरा काम पुरातत्वविद् के। मुहम्मद की देखरेख में हुआ। सर्वेक्षण से पहले इस स्थल को प्राचीन काल का शिव मंदिर माना जा रहा था लेकिन खुदाई के दौरान यहां प्राचीन काल की कई अन्य चीजें मिली। जिनमें बुद्ध की मूर्तियां, तांबे की वस्तुएं, इस्लामिक सिक्के आदि जिसके बाद से इसे बौद्ध स्तूप माना गया है।

तवांग मठ, अरुणाचल प्रदेश

तवांग भारत के सबसे मशहुर बौद्ध स्थलों के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो अपनी खूबसूरती से पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। लगभग 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तवांग कई महत्वपूर्ण और सुंदर मठों और दलाई लामा के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है। तवांग मठ भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ है, जो आध्यात्मिकता और ज्ञान के समृद्ध, केंद्र के रूप में लोकप्रिय है। स्थानीय लोग द्वारा तवांग मठ को गोल्डन नामग्याल ल्हासे के रूप में भी जाना जाता है। मठ की लाइब्रेरी में कुछ सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण शास्त्रों के विशाल संग्रह भी मौजूद है। और साथ ही यहाँ बौद्ध भिक्षुओं के लिए बौद्ध भारत सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र भी स्थापित है। जोकि 300 से भी अधिक भिक्षुओं के लिए आश्रय स्थल के रूप में जाना जाता हैं।

रेड मैत्रेय मंदिर, लेह

ये मंदिर सबसे शानदार भारतीय स्थानों में से एक में स्थापित है। आसमान को छूने वाले पहाड़ों और सुखदायक परिदृश्यों के ठीक बीच में। ये धार्मिक स्थल थिकसे मठ का एक हिस्सा है, और भगवान बुद्ध की 49 फुट ऊंची प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। तीर्थयात्री और दुनिया भर से यात्री इस स्थान की सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए यहां आते हैं।

साँची स्तूप, मध्यप्रदेश

साँची स्तूप मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से 46 किमी की दूरी पर उत्तर-पूर्व में बेतबा नदी के किनारे पर स्थित है। साँची स्तूप भारत के सबसे प्रमुख बोद्ध स्थलों में से एक है। साँची स्तूप को मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक की आज्ञानुसार तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था। जहाँ भगवान बुद्ध के अवशेषों को रखा गया है। और इस स्थान पर मौजूद मूर्तियों और स्मारकों में बौद्ध कला और वास्तु कला की अच्छी झलक देखी जा सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दे अपनी आकर्षित कला कृतियों के लिए विश्व विख्यात साँची स्तूप को यूनेस्को द्वारा 15 अक्टूबर 1982 को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है।