भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: यहां शिवजी ने किया था कुंभकर्ण के पुत्र का वध, जाना जाता है मोटेश्वर महादेव के नाम से भी

मुंबई से पूर्व और पुणे से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग. इस ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मंदिर के समीप एक नदी बहती है, जिसका नाम भीमा नदी है। यह नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिलती है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, रावण के भाई कुंभकरण को सह्याद्रि पर्वत पर कर्कटी नामक राक्षसी से मुलाकात हुई। दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली। शादी के बाद कुंभकरण लंका वापस आ गया। लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रह गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। कुंभकरण के इस पुत्र का नाम भीम था। राम ने कुंभकरण का वध कर दिया। हालांकि कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं से दूर रखने का फैसला लिया। बड़ा होकर भीम ने अपने पिता कुंभकरण की मृत्यु का बदला लेने का सोचा।

भीम ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या करके उनसे ताकतवर होने का वरदान प्राप्त किया। एक राजा कामरुपेश्वर थे, जो भगवान शिव के भक्त थे। एक दिन भीम ने राजा को भगवान शिव की पूजा करते देख लिया। उसने राजा को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। पंरतु राजा कारागार में भी शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा करने लगे। जब भीम को इस बात का पता चला, तो उसने तलवार की मदद से राजा के बनाए शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया, जिसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव स्वयं प्रकट हो गए।

भीम और शिव जी के बीच भंयकर युद्ध हुआ। अंत में शिव जी ने भीम का वध कर दिया। फिर देवताओं ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे उसी स्थान पर रहें। देवताओं के कहने पर भगवान शिव उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। भीम से युद्ध करने की वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ा।

कैसे पहुंचे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग?

भीमाशंकर तक रास्ते द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। राज्य परिवहन की अनेक बसें तथा साथ ही साथ निजी टूर संचालकों की भी बसें उपलब्ध हैं जो महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों और कस्बों से भीमाशंकर के बीच चलती हैं। रास्ते द्वारा भीमाशंकर और पुणे के बीच की दूरी 127 किलोमीटर है और मुंबई और भीमाशंकर के बीच की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है।