भारत के इन 6 मंदिरों में की जाती हैं जानवरों की पूजा, प्रचलित हैं कई किंवदंतीयां

भारत देश को अपनी खूबसूरती, संस्कृति व धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है। भारत में करोड़ों मंदिर हैं जहां आपको हर देवता के मंदिर देखने को मिल जाएंगे। इन मंदिरों के दर्शन करने श्रद्धालु देश-विदेश से पहुंचते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि इन मंदिरों में कई मंदिर ऐसे भी हैं, जहां जानवरों की पूजा की जाती है, तब आप क्या कहेंगे। आपको हैरानी जरूर होगी लेकिन यह बिलकुल सच हैं। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां जनवरों की मूर्तियों की पूजा की जाती है। इन मंदिरों में जानवरों को बेहद श्रद्धाभाव से देखा जाता है। इन मंदिरों में जानवरों की पूजा के पीछे कुछ किदवंतियां भी प्रचलित हैं। आइये जानते हैं उन मंदिरों के बारे में जहां जानवरों को पूजा जाता हैं।


डॉग टेम्पल, कर्नाटक

यह डॉग टेम्पल कर्नाटक के रामनगर जिले के चन्नापटना में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 2010 में एक व्यवसायी द्वारा किया गया था। इसी व्यवसायी ने केम्पम्मा मंदिर का निर्माण भी करवाया था, जो गांव की मुख्य देवी केम्पम्मा को समर्पित है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना तब हुई थी जब ग्रामीणों को देवी केम्पम्मा द्वारा दो कुत्तों को खोजने का निर्देश दिया गया था, जो बहुत पहले गांव से गायब हो गए थे, ताकि उनके मंदिर को बुराई से बचाया जा सके। चूंकि ग्रामीणों को कुत्ते नहीं मिले, इसलिए उन्होंने एक मंदिर बनाया और उसके अंदर दो कुत्तों की मूर्तियां लगा दीं। आज गांव वाले कुत्तों की इन मूर्तियों की पूजा करते हैं। वहीं एक अन्य किंवदंती के अनुसार, डॉग टेम्पल का निर्माण मनुष्यों के प्रति वफादारी कुत्तों के सम्मान के लिए किया गया था।

बंदर मंदिर, जयपुर

वैसे आपने आजतक मंदिरों में बंदरों का आंतक देखा होगा, जिनसे लोग अपना सामान बचाते हुए छुपकर निकलते हैं। लेकिन जयपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां बंदरों को बेहद पवित्र माना जाता है। शहर में गलताजी मंदिर को बंदर मंदिर के रूप में जाना जाता है जहां बंदरों की पूजा की जाती है। पर्यटकों के लिए यहां कोई एंट्री फीस नहीं है और अगर आप बंदरों को कुछ खिलाना पिलाना चाहते हैं तो यहां से आप ड्राई फ्रूट्स या केले जैसी चीजें खरीद सकते हैं। शाम के समय बंदरों को देखने के लिए यहां पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिल जाती है।


मन्नारसला नागराज मंदिर, केरल

केरल के हरिपद में स्थित है मन्नारसला नागराज मंदिर। यह एक बेहद ही प्राचीन मंदिर है और नागराज देव को समर्पित है। यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। यह भारत के केरल राज्य में अपनी तरह का एकमात्र मंदिर है। इस मंदिर में सुंदर सांप की मूर्तियों से लेकर बेहतरीन नक्काशी की गई है। मन्नारसला मंदिर में रास्तों और पेड़ों के बीच सांपों की 100,000 से अधिक छवियां हैं। यूं तो इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, लेकिन बच्चे की आस करने वाला जोड़ा यहां पर विशेष रूप से पूजा-पाठ करवाता है। साथ ही अपने बच्चे के जन्म पर यहां धन्यवाद समारोह आयोजित करने आते हैं और अक्सर सांप की छवियों को प्रसाद के रूप में यहां पर चढ़ाते भी हैं।

चूहा मंदिर, राजस्थान

जब भी हमें घर में चूहा दिखता है, उसे भगाने के लिए हम दिन रात की प्लानिंग में लग जाते हैं, लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर है, जहां चूहों की सच्चे दिल के साथ पूजा की जाती है। राजस्थान का करणी माता मंदिर चूहों के निवास के लिए जाना जाता है। दिलचस्प बात तो ये है कि चूहे यहां पूजा करने आने वाले लोगों के साथ खाना खाते हैं। मंदिर में 20,000 चूहों का घर है और रोचक बात तो ये है कि, इस क्षेत्र में अभी तक प्लेग या अन्य बीमारियों का कोई मामला भी सामने नहीं आया है।स्थानीय लोगों का मानना है कि करणी माता का जन्म उनकी मृत्यु के बाद चूहे के रूप में हुआ था। उनका यह भी मानना है कि जब क्षेत्र में चूहे की मृत्यु हो जाती है, तो उनका मंदिर में पुनर्जन्म होता है।

भालू मंदिर, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में स्थित है चंडी माता मंदिर। यह मंदिर कई मायनो में बेहद खास है। छत्तीसगढ़ के महासमुंद के इस मंदिर में आरती के समय कुछ भालू इस मंदिर में आते हैं, पुजारी से प्रसाद खाते हैं और नौ बार परिक्रमा करते हैं और चले जाते हैं। इतना ही नहीं, श्रद्धालु भी यहां पर भालूओं को भोजन व प्रसाद देते हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने मंदिर के लोगों को कभी चोट नहीं पहुंचाई। भालूओं की उपस्थिति के कारण चंडी माता मंदिर को भालू मंदिर के नाम से लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गया है।


बैल मंदिर, बेंगलुरु


केवल गाय ही नहीं, देश के कुछ हिस्सों में लोगों द्वारा बैल को भी काफी पवित्र माना जाता है। बेंगलुरु में ऐसा ही एक मंदिर है, जहां श्रद्धालुओं द्वारा बैल की पूजा की जाती है। बुल मंदिर नाम से मशहूर ये मंदिर, बेंगलुरु में प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। इस खूबसूरत मंदिर में नंदी (बैल) की एक विशाल ग्रेनाइट की मूर्ति रखी गई है। ऐसा माना जाता है कि विश्व भारती नदी का उद्गम इस प्रतिमा के चरणों से होता है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण एक बैल को नियंत्रित करने के लिए किया गया था, जिसने क्षेत्र की सभी फसलों को नष्ट कर दिया था।