नालंदा विश्वविद्यालय की 9 अनसुनी बाते

भारत में बहुत से विश्वविद्यालय है जो अपनी ख्याति को दर्शाते है। इस विश्वविद्यालय ने अपनी अलग ही प्रसिद्धि है लेकिन इन सब में सबसे पुरानी है नांलदा विश्वविद्यालय जो की भारत का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। यह दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटियों में से एक है। इसकी स्थापना 450 ई. में हुई थी। नालंदा यूनिवर्सिटी प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र थी। पटना से 90 किलोमीटर दूर और बिहार शरीफ से करीब 12 किलोमीटर दक्षिण में, विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय, नालंदा के खंडहर स्थित है। आज हम आपको इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में बतायेंगे तो आइये जानते है इस बारे में.......

# यहां की लाइब्रेरी में हजारों किताबों के साथ 90 लाख पांडुलिपियां रखी हुई है। यहां पर बख्तियार खिलजी ने आक्रमण कर आग लगा दी थी जिसे बुझाने में 6 महीने से ज्यादा का वक़्त लगा था।

# तक्षशिला के बाद नालंदा को दुनिया की दूसरी सबसे प्राचीन यूनिवर्सिटी माना जाता है। ये 800 साल तक अस्तित्व में रही।

# यहां पर विद्यार्थियों का चयन मेरिट के आधार पर होता था और निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी। इसके साथ उनका रहना और खाना भी पूरी तरह निःशुल्क था।

# इस यूनिवर्सिटी में 10 हजार से ज्यादा विद्यार्थी और 2700 से ज्यादा अध्यापक थे।

# इसमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया समेत कई दूसरे देशो के विद्यार्थी भी पढ़ाई के लिए आते थे।

# नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी। नालंदा में ऐसी कई मुद्राएं भी मिली है जिससे इस बात की पुष्टि भी होती है।

# विश्वविद्यालय में ‘धर्म गूंज’ नाम की लाइब्रेरी थी। इसका मतलब ‘सत्य का पर्वत’ से था। लाइब्रेरी के 9 मंजिलों में तीन भाग थे जिनके नाम रत्नरंजक, रत्नोदधि, और रत्नसागर थे।

# विश्वविद्यालय में लोकतान्त्रिक प्रणाली थी। कोई भी फैसला सभी की सहमति से लिया जाता था। यानि सन्यासियों के साथ शिक्षक और विधार्थी भी राय देते थे।

# नालंदा शब्द संस्कृत के तीन शब्द ‘ना +आलम +दा’ के संधि-विच्छेद से बना है। इसका अर्थ ‘ज्ञान रूपी उपहार पर कोई प्रतिबंध न रखना’ से है।