भारत विविधताओं का देश है जहां आपको रहन-सहन, भौगोलिक संरचना, खानपान के अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं जिनमें विविधता देखने को मिलती हैं। ऐसी ही विविधता यहां के मंदिरों में भी देखने को मिलती हैं। भारत में हजारों मंदिर हैं जिनके दर्शन करने भक्त पहुंचते हैं और देवी-देवताओं को कई तरह के प्रसाद चढ़ाएं जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां प्रसाद के रूप में नॉन-वेजिटेरियन खाना बांटा जाता हैं। आपको ये जानकर काफी हैरानी होगी, लेकिन यह सच हैं। आज हम आपको यहां ऐसे ही मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां प्रसाद में भक्तों को मटन-चिकन दिया जाता है। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...
# विमला मंदिर, उड़ीसा विमला मंदिर ओडिश के पुरी में स्थित प्रसिद्ध मंदिर जगन्नाथ मंदिर परिसर के भीतर पवित्र तालाब रोहिणी कुंड के बगल में स्थित है। विमला को जगन्नाथ की तांत्रिक पत्नी और मंदिर परिसर की संरक्षक माना जाता है। इसलिए, इसका महत्व जगन्नाथ मंदिर से भी अधिक है। बता दें कि भगवान जगन्नाथ को कोई भी प्रसाद तब तक महाप्रसाद के रूप में नहीं चढ़ाया जा सकता, जब तक कि उसे पहली बार विमला देवी को नहीं चढ़ाया जाता। इस मंदिर में देवी को विशेष दिनों में मांस और मछली का भोग लगाने की परंपरा बदस्तूर जारी है।
# तरकुलहा देवी मंदिर, उत्तर प्रदेशतारकुल्हा देवी मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है। इस मंदिर में हर साल वार्षिक खिचड़ी मेला आयोजित किया जाता है। जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ती है। माना जाता है। यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। खासतौर से, चैत्र नवरात्रि में देश भर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं। इस खास समय पर वह लोग देवी को एक बकरा चढ़ाते हैं। जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। इसके बाद इस मांस को रसोइयों द्वारा मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है। भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
# मुनियांडी स्वामी मंदिर, मदुरै वडक्कमपट्टी तमिलनाडु के मदुरै जिले के पास एक छोटा सा गांव है। यह गांव अपने वार्षिक मंदिर उत्सव में एक दावत का आयोजन करता है जहां 2000 किलो बिरयानी पकाई जाती है और प्रसाद के रूप में उसे परोसा जाता है। वहां के स्थानीय लोगों का दावा है कि बिरयानी भगवान मुनियांडी का पसंदीदा भोजन है।
# कामाख्या देवी मंदिर, असम असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी का मंदिर देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। ये मंदिर तंत्र विद्या के लिए भी जाना जाता है। मंदिर में देवी को मछली और मीट का भोग लगाया जाता है।
# दक्षिणेश्वर काली मंदिर, पश्चिम बंगालइस मंदिर में भी मछली को पहले देवी काली को चढ़ाया जाता है और बाद में सभी भक्तों को भोग के रूप में परोसा जाता है। यह मां काली को मांसाहारी भोग लगाने की एक रस्म मानी जाती है।
# कालीघाट, कोलकाता कालीघाट कोलकाता की कुछ अलग मान्यताएं हैं, देवी के लिए बनाया जाने वाला भोग शाकाहारी ही होता है। लेकिन यहां पशु बलि होती है, और भक्त भी वहां वही लाते हैं। मांस को बाद में इसे पकाया जाता है और भक्तों को प्रसाद के रूप में परोसा जाता है।
# तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल के बीरभूमि जिले में स्थित तारापीठ मंदिर एक शक्तिपीठ है। यहां देवी के भक्तों की काफी भीड़ लगती है। इस मंदिर को भी नॉनवेज मंदिरों की श्रेणी में रखा गया है। यहां पर भक्तों द्वारा मछली और मीट का भोग लगाया जाता है।