अपने अनोखे प्रसाद के लिए प्रसिद्द हैं ये 7 मंदिर, जानकर होगा आश्चर्य

भारत को मंदिरों का घर कहा जा सकता है, यहां हर गली-मुहल्ले में छोटे-बड़े मंदिर देखने को मिलते हैं। लोग मंदिरों मे जाकर पूजा करते है और अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार प्रसाद चढ़ाते है। प्रसाद, भगवान को भक्तों की तरफ से दी गई पवित्र भेंट होता है। चरणामृत हो या प्रसाद सभी उसे आस्था और विश्वास के साथ ग्रहण करते हैं। मंदिरों में मुख्यत: भगवान को हलवा, पूरी, खीर, मिठाई, नारियल, फल या बताशा-मिश्री का ही भोग लगता है, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं, जहां भगवान को बहुत ही अलग और अनोखे प्रकार का भोग लगता है। कुछ मंदिरों में तो शराब का भोग भी लगाया जाता है। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे ही मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां का प्रसाद अपनेआप में बहुत अनोखा हैं। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...

खबीस बाबा मंदिर में मिलती हैं शराब

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित खबीस बाबा मंदिर में भक्तों की बहुत भीड़ लगती है। यहां प्रसाद के रूप में भगवान को शराब चढ़ाने की प्रथा है तथा बाद में यही शराब भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। उज्जैन के काल भैरव मंदिर में भी भैरव बाबा को शराब का भोग लगाया जाता है और वही प्रसाद मिलता है।

कामाख्या देवी मंदिर में मिलता हैं लाल कपड़ा

गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के समान अद्वितीय कोई प्रसाद नहीं है। कामाख्या देवी मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में एक है। मंदिर को अपने काले जादू के अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता है। हर साल मानसून के दौरान मंदिर 3 दिन के लिए बंद कर दिया जाता है। माना जाता है कि गर्भग्रह से बहने वाला झरना उन दिनों में लाल हो जाता है। साथ ही भक्तों को प्रसाद के रूप में पत्थर की मूर्ती को ढकने वाला लाल कपड़ा काटकर दिया जाता है। वहीं अन्य दिनों में भक्त जो भी श्रद्धा से देवी मां को अर्पित करते हैं मां उसे स्वीकार करती हैं। मंदिर के पास मिलने वाली प्रसाद की थाली लेकर आप भी माता को अपनी भेंट चढ़ा सकते हैं।

मझुवंचरी मंदिर में ज्ञान का प्रसाद

भगवान शिव का एक मंदिर मझुवंचरी में है। महादेव मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर में भगवान के भक्तों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए नहीं बल्कि पढ़ने के लिए प्रसाद मिलते हैं। यहां प्रसाद में भक्तों को सूचनात्मक ब्रोशर, पाठ्य पुस्तकें, डीवीडी, सीडी और भगवान से जुड़ी पुस्तकें मिलती हैं। मंदिर ट्रस्ट के अनुसार यहां भक्तों को ज्ञान का प्रसाद दिया जाता है और ये सबसे उत्तम प्रसाद है।

बालसुब्रमणिया मंदिर में चॉकलेट का प्रसाद

केरल के अलेप्पी जगह पर स्थिति बालसुब्रमणिया मंदिर भी अपने प्रसाद के रूप में काफी प्रसिद्ध है। बताया जाता है मंदिर में स्थिति बालामुरुगन भगवान को चॉकलेट बहुत पसंद है। इसलिए यहां भक्त भगवान को चॉकलेट का भोग लगाते हैं और प्रसाद के रूप में वही ग्रहण करते हैं।

करणी माता मंदिर में चूहों का जूठा प्रसाद

बीकानेर में करणी माता मंदिर अपने चूहों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर परिसर में अनगिनत चूहे स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। यहां प्रसाद पहले इन्हें दिया जाता है उसके बाद भक्तों को दिया जाता है। चूहों का जूठा भोजन बेहद पवित्र माना जाता है। भोजन को वहां प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है।

काली माता मंदिर में चाइनीज प्रसाद

कोलकाता के टांगरा (चाइनाटाउन) क्षेत्र में स्थिति काली माता के इस मंदिर में दूर दूर से लोग में दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर अस्मिता, एकता और स्वीकृति का उत्तम उदाहरण है। इस मंदिर में देवी के चरणों में भोग के रूप में चाइनीज नूडल्स, चॉप सुय, चावल और सब्जी के व्यंजन चढ़ाए जाते हैं और प्रसाद के रूप में भी यही मिलता है।

अमबलपुझा श्री कृष्ण मंदिर में पायसम का प्रसाद

केरल के तिरुवनंतपुरम के पास अमबलपुझा स्थित भगवान श्री कृष्ण के इस मंदिर का प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालु हमेशा ही लालायित रहते हैं। भगवान को लगने वाला ये भोग दूध, चीनी और चावल से बनता है जिसे पायसम भी कहते हैं। मीठा प्रसाद अपने दिव्य स्वाद के कारण भी अद्वितीय है। पारंपरिक रसोइये ही इस प्रसाद को तैयार करते हैं। प्रसाद बनाने का ये सौभाग्य कुछ लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी मिल रहा है।