मातारानी के इन 5 मंदिरों में दर्शन को लगती है लम्बी कतारें, नवरात्रि में होती है विशेष पूजा

व्रात्री का त्योहार प्रारंभ हो चुका है और घर- घर में कलश स्थापना हो चुकी है। ऐसे में सभी लोग माँ दुर्गा की भक्ति में लीन है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर दुर्गा माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के इन दिनों में भक्तो की भीड़ न सिर्फ वैष्णो देवी मंदिर में देखने को मिलती है, बल्कि देश के हर मन्दिर में भक्तगण की भीड़ लगी रहती है। आज हम आपको दुर्गा माँ के कुछ विशेष मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं. आइये जानते हैं इनके बारे में।

* ज्वाला देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा है ज्वाला देवी का मंदिर। मां ज्वाला देवी तीर्थ स्थल को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है। शक्तिपीठ वह स्थान कहलाते हैं जहां-जहां भगवान विष्णु के चक्र से कटकर माता सती के अंग गिरे थे। शास्त्रों के अनुसार ज्वाला देवी में सती की जिह्वा गिरी थी।

* दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता

कोलकाता का मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर यहां के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण सन 1847 में शुरू हुआ था। कहते हैं जान बाजार की महारानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार मां काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए। उसके बाद इस भव्य मंदिर में मां की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई। सन् 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में स्थित है।

* रोहतास देवी मंदिर

बिहार के रोहतास जिले में यह मंदिर बना हुआ है। इसे चौरासन सिद्धि भी कहते हैं, क्‍योंकि यहां तक पहुंचने के लिये 85 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं।

* काली मंदिर

पावगढ़ पंचमहल जिले में पावगढ़ में काली माता का मंदिर है। यह शक्तिपीठ मानी जाती है।

* महाकाली मंदिर

हिमाचल प्रदेश के छैल जिले में महाकाली मंदिर। चंडीगढ़ से 100 किलोमीटर दूर 7000 फुट की ऊंचाई पर है यह मंदिर।