मृत्यु के देवता ‘यमराज देव’ का नाम सुन हर कोई थर-थर कांपता है। मृत्यु जीवन का एक ऐसा सत्य है, जिसे नकारा नहीं जा सकता और ना ही इसे घटित होने से रोका जा सकता है। जब यमदेव के मंदिर की बात चलती है तो लोगों को मुख्यत: केवल एक मंदिर की ही जानकारी होती है। लेकिन यमराज जी का एक नहीं, उन्हें समर्पित कई मंदिर बनाए गए हैं। आज हम आपको यमराज के मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
# यमुना-धर्मराज मंदिर यह मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा में यमुना तट पर विश्राम घाट के पास स्थित है। इस बहन-भाई का मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यमुना और यमराज भगवान सूर्य के पुत्री और पुत्र थे। इस मंदिर में यमुना और धर्मराज जी की मूर्तियां एक साथ लगी हुई है। ऐसी पौराणिक मान्यता है की जो भी भाई, भैया दूज (भाई दूज) के दिन यमुना में स्नान करके इस मंदिर में दर्शन करता है उसे यमलोक जाने से मुक्ति मिल जाती है। इसकी पुराणों में एक कथा भी है जोकि बहन भाई दूज अर्थात यम द्वितीया के दिन सुनती है।
# धर्मराज मंदिर, ऋषिकेश उत्तर प्रदेश के ऋषिकेश में स्थित यमराज का यह मंदिर भी बहुत ही प्राचीन है। यहां गर्भगृह में भगवान यमराज की स्थापित मूर्ति लिखने की मुद्रा में विराजित हैं और इसके आसपास स्थित अन्य मूर्तियों को यमदूत की मूतियां माना जाता है। हालांकि यमराज के बाईं ओर एक मूर्ति स्थापित है, जो चित्रगुप्त की मूर्ति है।
# श्रीऐमा धर्मराज मंदिर यह मंदिर तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह हजारों वर्ष पुराना है।
# वाराणसी का धर्मराज मंदिर काशी में यमराज से जुड़ी अनसुनी जानकारियां छिपी हैं। मीर घाट पर मौजूद है अनादिकाल का धर्मेश्वर महादेव मंदिर जहां धर्मराज यमराज ने शिव की आराधना की थी। मान्यता है कि यम को यमराज की उपाधि यहीं पर मिली थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अज्ञात वास के दौरान यहां धर्मेश्वर महादेव की पूंजा की थी। मंदिर का इतिहास पृथ्वी पर गंगा अवतरण के भी पहले का है, जो काशी खंड में वर्णित है।