पूरे देश में प्रसिद्ध हैं शनिदेव के ये 5 मंदिर, बनते हैं भक्तो की आस्था का केंद्र

भगवान शनिदेव को ग्रहों में सबसे प्रभावशाली माना गया है और वह मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यही एक वजह हैं कि लोग उनकी पूजा में बहुत सावधानी बरतते हैं और उनकी प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन उनकी पूजा करते हैं। देश के हर कोने में शनिदेव को पूजा जाता है और उनके ये पांच मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध हैं।

शनि मंदिर (कोसीकलां)

दिल्ली से 128 किमी की दूरी पर कोसीकलां नाम में शनिदेव का मंदिर है। यह उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में आता है, इसके आसपास ही नंदगांव, बरसाना और श्री बांकेबिहारी मंदिर भी है। कहा जाता है कि यहां की परिक्रमा करने पर मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसके बारे में लोक मान्यता है कि यहां पर खुद भगवान कृष्ण ने शनिदेव को दर्शन दिए थे और वरदान दिया था कि जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस वन की परिक्रमा करेगा उसे शनि कभी कष्ट नहीं पहुचाएंगे। कैसे पहुंचें - मथुरा से कोसीकलां की दूरी लगभग 21 कि।मी। की है। मथुरा तक रेल मार्ग से आकर बस या निजी वाहन से कोसीकलां पहुंचा जा सकता है। कोसीकलां से लगभग 90 कि।मी। की दूरी पर खेरिया एयरपोर्ट है।

शनि शिंगणापुर

शनि देव के तीर्थ स्थल के रूप में महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर में विराजे शनिदेव का अलह ही महत्व बताया जाता है। यहां पर शनि देव तो हैं लेकिन मंदिर नहीं, शनि देव पेड़ की छाया में विराजे हैं। इस गांव में लोगों को चोरों का डर नहीं होता, शनि देव रखवाली करते हैं, इसी वजह से लोग घरों में दरवाजा नहीं लगाते हैं।कैसे पहुंचें - शनि शिगणापुर पहुंचने के लिए मुंबई, औरंगाबाद या पुणे आकर शिंगणापुर के लिए बस या टैक्सी ली जा सकती हैं। यहां से सबसे पास में औरंगाबाद एयरपोर्ट है। यहां से औरंगाबाद की दूरी लगभग 90 कि।मी। है।

शनि मंदिर इंदौर

इंदौर में शनिदेव का प्राचीन व चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है। यह मात्र हिंदुस्तान का ही नहीं, दुनिया का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि जूनी इंदौर में स्थापित इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे।कैसे पहुंचें - इंदौर, मध्य प्रदेश के मुख्य शहरों में से एक है। यहां से नियमित रेल गाड़ियां और बसें चलती हैं। यहां एयरपोर्ट भी है, तो हवाई मार्ग की मदद से भी यहां पहुंचा जा सकता है।

त्रिवेणी शनि मंदिर, उज्जैन

मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। सांवेर रोड पर प्राचीन शनि मंदिर भी यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। लगभग 5000 साल पुराने इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां शनि देव के साथ-साथ अन्य नवग्रह भी हैं, इसलिए इसे नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। यहां शनिदेव की दो प्रतिमाएं राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित की गई थी। एक शनिदेव की है, तथा दूसरी ढैया शनि देव, जो लोग शनि की ढैया से परेशान होते हैं, वे यहां दर्शन करने आते हैं। कैसे पहुंचें - उज्जैन देश के लगभग सभी बड़े शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहां से नियमित रूप से रेल गाड़ियां और बसें चलती हैं। उज्जैन से लगभग 50 कि।मी। की दूरी पर इंदौर का एयरपोर्ट है।

शनिश्चरा मंदिर, ग्वालियर

यह शनि मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में है। यह शनि मंदिर भारत के पुराने शनि मंदिरों में से एक है। लोक मान्यता है कि यह शनि पिंड भगवान हनुमान ने लंका से फेंका था जो यहां आकर गिरा। तब से शनि देव यहीं पर स्थापित हैं। यहां शनि देव को तेल चढ़ाने के बाद उनसे गले मिलने की प्रथा भी है। जो भी यहां आता है वह बड़े प्यार से शनि देव से गले मिलकर अपनी तकलीफें उनसे बांटता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से शनि उस व्यक्ति की सारी तकलीफें दूर कर देते हैं। कैसे पहुंचें - ग्वालियर, मध्य प्रदेश के मुख्य शहरों में से एक है। यहां से नियमित रेल गाड़ियां और बसें चलती हैं। ग्वालियर में एयरपोर्ट भी है, तो हवाई मार्ग की मदद से भी यहां पहुंचा जा सकता है।