जैन समाज के 24वें तीर्थंकर थे महावीर स्वामी, जानें राजस्थान में स्थित इनके प्रसिद्द मंदिरों के बारे में

हमारा देश कई धर्मों से मिलकर बना है जिसमें सभी धर्मों का समान स्थान दिया गया हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं जैन समाज की जिन्हें अपने अहिंसा के धर्म के लिए माना जाता है। जैन समाज के लोग महावीर स्वामी की पूजा करते हैं जो कि जैन समाज के 24वें तीर्थंकर थे। पूरे देश में महावीर स्वामी के कई मंदिर बने हुए हैं। लेकिन आज हम आपको राजस्थान में स्थित महावीर स्वामी के मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते है इनके बारे मे।

* दिलवाडा (आबू) तीर्थ

यहां आदेश्वर भगवान हैं, जोकि अरावली पर्वत श्रंखला की गोद में स्थित हैं। आबू पर्वत समुद्रतल से 4000 फीट उंचाई पर स्थित है। देलवाडा मंदिर अपनी शिल्प कला व हस्तकला की कारीगरी के कारण विश्वविख्यात है।

* अचलगढ तीर्थ

मूलनायक श्री आदेश्वर भगवान, देलवाडा से 4 कि।मी। की दूरी पर यह तीर्थ स्थित है। हरियाली से आच्छादित पहाड़ी की ऊंची चोटी पर श्री आदिनाथ भगवान का चौमुखी मंदिर जगविख्यात है। इस मंदिर का निर्माण राणकपुर तीर्थ के निर्माता श्री धन्नाशाह ने करवाया था।

* जीरावला तीर्थ

यहां जीरावला पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर है। यहां स्थित प्रतिमा लगभग 2800 वर्ष प्राचीन है। मान्यतानुसार रेत की बनी हुई इस प्रतिमा के दर्शन श्री महावीर स्वामी ने किए थे। 84 गच्छों के आचार्यों ने यहां विशिष्ट मंत्र साधना की।

* पावापुरी

यहां पार्श्वनाथ भगवान जी का मंदिर है। यहां पशुओं को भी जैन पद्धति अनुसार चारा (रात्री-त्याग) दिया जाता है, प्रभु फेरी एवं चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जाती है। यह पावापुरी तीर्थ जीव मौत्रीधाम के नाम से विख्यात है। सिरोही से 22 कि.मी. की दूरी पर है और सुमेरपुर से 59 कि.मी. दूरी पर है।

* शंखेश्वर सुखधाम पोसालिया

भगवान शंखेश्वर पार्श्वनाथ का यह मंदिर सुमेरपुर सिरोही के मध्य राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित है।