दिल्ली के इन 10 मंदिरों में हमेशा लगा रहता है भक्तों का तांता, बेहद मनमोहक रहता हैं माहौल

भारत की राजधानी दिल्ली को भारत के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के तौर पर देखा जाता हैं। दिल्ली को अपनी आधुनिकता, प्राचीनता, संस्कृति, कला, वास्तुकला और आध्यात्मिकता के अद्भुत संयोजन के लिए जाना जाता हैं। देश की राजधानी दिल्ली का इतिहास अपने आप में बेहद खास है। यहां पर पर्यटकों के अनगिनत ऐसी जगहें हैं जहां वो फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकते हैं। इन्हीं जगहों में से कुछ हैं यहां के प्रसिद्द मंदिर। दिल्ली के ये धार्मिक स्थल यहां की शान बनते हैं और दिनभर यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको दिल्ली के कुछ प्रसिद्द मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी खूबसूरती आयर माहौल आपको मंत्र मुग्ध कर देंगे। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...

अक्षरधाम मंदिर

दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है अक्षरधाम मंदिर। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है। देखने में काफी आकर्षक होने के कारण यहां साल के 12 महीने लोगों की भीड़ लगी रहती है। अक्षरधाम मंदिर के इष्टदेव स्वामीनारायण जी हैं। इस मंदिर को बनवाने में लगभग 11000 कारीगरों का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही इसे बनाने में लगभग 5 साल का समय लगा था। ये दुनिया का सबसे विशाल हिंदू परिसर होने की वजह से 26 दिसंबर 2007 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया।

बिरला मंदिर

बिरला मंदिर जिसे लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, दिल्ली में स्थित यह एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर माता लक्ष्मी एवं भगवान नारायण को समर्पित दिल्ली का प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि इसे बनने के उपरांत इसका उद्घाटन महात्मा गांधी द्वारा किया गया था। यह मंदिर धार्मिक स्थल के लिए तो जाना ही जाता है, साथ ही साथ सुंदर नक्काशी एवं वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। यही कारण है कि यहां श्रद्धालुओं के अलावा पर्यटकों को भी देखा जाता है।

किलकारी भैरव मंदिर

दिल्ली का श्री किलकारी भैरव मंदिर भी काफी फेमस है। ये प्रगति मैदान में पुराने किले के पीछे बना हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर को पांडवों ने बनाया था। इसके अलावा इसकी खासियत ये है कि यहां पर भक्त देवता को शराब चढ़ाते हैं। इस मंदिर में दो पंख हैं, जहां एक विंग में आप शराब चढ़ा सकते हैं, जिसे किलकारी भैरव के नाम से जाना जाता है और दूसरी विंग में दूध चढ़ा सकते हैं, इस विंग को दूधिया भैरव कहा जाता है।

गौरी शंकर मंदिर

माता पार्वती और देवा दी देव महादेव को समर्पित गौरी शंकर मंदिर चंडी चौक रोड के पास स्थित भव्य मंदिर है। जहाँ दूर दूर से श्रद्धालु माता गौरी और महादेव के दर्शन तथा उनका आश्रीबाद प्राप्त करने के लिए यहाँ आते है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक सैनिक ने किया था जिसने युद्ध के दौरान इसे बनाने का संकल्प लिया था। यह भी माना जाता है कि मंदिर में विराजमान भगवान शिव का शिवलिंग 800 साल पुराना है। आप जब भी गौरी शंकर मंदिर की यात्रा पर आयेंगें तो गौरी शंकर के दर्शन के साथ साथ मंदिर की दीवारों पर पार्वती, गणेश, कार्तिक की अद्भुद चित्रकारी देख सकते है। वैसे तो प्रतिदिन ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु गौरी शंकर मंदिर के दर्शन के लिए आते है लेकिन यही भीड़ सोमवार के दिन कई सैकड़ो और महाशिवरात्रि के दौरान हजारों में पहुंच जाती है।

झण्डेवालान माता मंदिर

झण्डेवालान माता मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि यहां लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यहां बड़ी संख्या में भक्तजन माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं। खासतौर से नवरात्र में यहां भक्तों की भीड़ काफी ज्यादा बढ़ जाती है। इस मंदिर के बारे में ऐसी पौराणिक कथा है कि मंदिर की स्थापना से पहले इस स्थान पर काफी शांत वातावरण रहता था जिस कारण कई लोग यहां प्रशिक्षण करने के लिए आते थे। जिनमें से एक श्री बद्रीदास जी थे जो एक व्यापारी थे और माता रानी के भक्त भी थे। एक दिन बद्रीदास जी जब प्रशिक्षण में मग्न थे तब उन्हें भूमि में मंदिर के होने का एहसास हुआ। और उन्होंने भूमि की खुदाई शुरू करवा दी। खुदाई के दौरान उन्हें वहां से एक झण्डा और माता रानी की प्रतिमा मिली जिस कारण इसका नाम झंडेवाला रख दिया गया।

छतरपुर मंदिर

दिल्ली का छतरपुर मंदिर भी विश्व प्रसिद्ध है। ये मंदिर बहुत ही भव्य है जोकि 70 एकड़ भूमि में बना हुआ है। बता दें कि ये कोई एक मंदिर नहीं है बल्कि इसके अंदर 20 अलग-अलग मंदिर हैं जो अलग-अलग देवी-देवताओं के हैं। इस मंदिर के दरवाजे पर एक बड़ा पेड़ लगा हुआ है, जहां पर भक्त धागा, चुनरी या चूड़ी बांधते हैं। कहा जाता है कि इससे उनकी हर मन्नत पूरी होती है।

कालकाजी मंदिर

राजधानी दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है कालकाजी का मंदिर। जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली के कालका जी में स्थित है। इसे मनोकामना सिद्धपीठ और जयंती काली पीठ भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि असुरों द्वारा देवताओं को सताए जाने पर ब्रह्मा जी की सलाह से देवताओं ने यहां शिवा यानी शक्ति की आराधना की थी। देवी के प्रसन्न होने पर देवताओं ने उनसे असुरों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। साथ ही शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों को यहां लेकर आए थे। यहां पांडवों द्वारा माता काली की पूजा करके विजय प्राप्त करने का वर प्राप्त किया गया।

हनुमान मंदिर

करोल बाग और झंडेवालान मेट्रो स्टेशन दोनों से दिखाई देने वाले इस मंदिर में मंगलवार के दिन भक्तों की विशेष भीड़ रहती है क्योंकि इस दिन भगवान हनुमान का दिन माना जाता है। स्वयं भगवान हनुमान की मूर्ति के अलावा मंदिर का प्रवेश द्वार भी काफी अनोखा है। इसे देवता के मुख के रूप में बनाया गया है, जिसमें से चलकर आप मंदिर के गर्भगृह में पहुंचते हैं। अगर आप मंदिर में जाना चाहते हैं, तो हमारी सलाह है कि आप शाम की आरती के दौरान यहां जाएं।

लोटस टेंपल

दिल्ली में स्थित कमल मंदिर या लोटस टेंपल दिल्ली का एक प्रमुख एवं बहाई उपासना मंदिर है। इस बहाई उपासना मंदिर में किसी भी धर्म के कोई भी देवी-देवता की प्रतिमा को स्थापित नहीं किया गया है। इस मंदिर का नाम इसके संरचना एवं आकार के आधार पर किया गया है क्योंकि यह मंदिर बिल्कुल एक कमल के फूल जैसा डिजाइन कर बनाया गया है। यहां अक्सर लोग मन की शांति के लिए आया करते हैं। यह मंदिर इतना चर्चित है कि यहां पर दिल्ली के अलावा भारत के अन्य क्षेत्रों से लोग तो आते ही हैं, विदेशों से भी यहां पर आया करते हैं।

योगमाया मंदिर

दिल्ली के प्रमुख मंदिर में से एक योगमाया मंदिर दिल्ली के साथ साथ पूरे भारत का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो कुतुब परिसर के करीब महरौली, नई दिल्ली में स्थित है। योगमाया मंदिर एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जिसे जोगमाया मंदिर के रूप में भी जाना जाता है जो देवी योगमाया, कृष्ण की बहन को समर्पित है। बता दे यह मंदिर महाभारत काल के पांच जीवित मंदिरों में से एक माना जाता है। योगमाया मंदिर वास्तुकला, संस्कृति और आध्यामिकता से भरपूर है जो भारी संख्या में भक्तों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आप जब भी यहाँ घूमने के लिए आयेंगें तो देवी के दर्शन के बाद मंदिर की अद्भुद वास्तुकला और कारीगरी को देख सकेगें और भक्ति रस में डूबे दिल्ली के पवित्र मंदिर में सुकून भरा समय बिता सकते है।