दोस्तों के संग बना रहे है एडवेंचर ट्रैवल का प्लान, भारत की ये 9 खूबसूरत जगह देगी रोमांच का मजा

दोस्‍तों के साथ घूमने का मजा ही अलग होता है। ऐसे में एडवेंचर ट्रैवल बहुत जोर पकड़ रहा है और इसमें सबसे पॉपुलर है ट्रेकिंग। सर्दियों के मौसम में ट्रेकिंग का अलग ही मजा है। हिमालय की वादियों में ऐसे कई शानदार ट्रेकिंग पॉइंट हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। अगर ठंड के मौसम में आप भी किसी ऐसी जगह को एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो नवंबर पड़ रही छुट्टियों में इसकी प्लानिंग कर सकते हैं। तो चलिए जानते है इन पॉइंट्स के बारे में...

दायरा बुग्याल

दायरा बुग्याल ट्रेक को अब तक बहुत कम लोगों ने देखा होगा। दयारा बुग्याल उत्तरकाशी में समुद्री तल 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग पर स्थित भट्वारी नामक स्थान से इस खूबसूरत घास के मैदान के लिए रास्ता कटता है। दायरा बुग्याल का नजारा देखकर आप धड़कनें तेज हो जाएंगी। यहां ट्रेकिंग करना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। सर्दियों के दौरान पर्यटक लगभग 28 वर्ग किमी में फैले इस क्षेत्र में ढलानों पर स्कीइंग का आनंद ले सकते हैं। यह जगह भी शक्तिशाली हिमालय का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। दयारा बुग्याल से 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित दोदीताल (एक ताजे पानी की झील) की यात्रा भी पर्यटकों के मध्य काफी लोकप्रिय है, इसलिए परिवार के साथ इसका लुत्फ उठा सकते हैं।

देवरिया ताल-चंद्रशिला

रूद्रप्रयाग से 49 किमी की दूरी पर स्थित देवरिया ताल एक सुंदर पर्यटन स्थल है। अगर आपने पहले कभी ट्रेकिंग नहीं की है और हिमालय में ट्रेकिंग का अनुभव करना चाहते हैं तो इससे बेहतर जगह आपको नहीं मिलेगी। ट्रेकर्स आमतौर पर चोपटा से चढ़ाई शुरू करते हैं, जो अपहिल ट्रैक से देवरिया ताल को और पास वाले ट्रैक से तुंगनाथ और चंद्रशिला को जोड़ता है।

क्वारी पास ट्रेक

चमोली जिले में क्वारी पास (कौरी पास) ट्रैक रोमांच से भरपूर है। बर्फ से लदे इस क्षेत्र से हिमालय का दीदार भी होता है। समुद्रतल से लगभग 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित क्वारी पास पहुंचने के लिए तहसील मुख्यालय जोशीमठ से ढाक तक 17 किमी की दूरी वाहन से तय करनी पड़ती है। इसके बाद शुरू होती है करछो व तुगासी गांव होते हुए 13 किमी लंबे ट्रैक की पैदल सैर। पैदल मार्ग पूरी तरह व्यवस्थित होने के कारण इसे ट्रैकिंग के लिए सुरक्षित माना जाता है। क्वारी पास ट्रैकिंग रूट पर करछी व तुगासी गांव भी पड़ते हैं, जो पर्यटकों के ठहरने के लिए मुफीद हैं। ग्रामीण घोड़े-खच्चरों से पर्यटकों को घुमाने अथवा उनका सामान ढोने की सुविधा मुहैया कराते हैं। इस ट्रैकिंग रूट का पहला पड़ाव पांच किमी की पैदल दूरी पर घुलिंग में पड़ता है, जहां जंगल के बीच कैंपिंग ग्राउंड है। क्वारी पास ट्रैक के लिए पर्यटकों को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन से ट्रेकिंग परमिट लेना पड़ता है। बिना स्थानीय टूर ऑपरेटर के यहां जाने की अनुमति नहीं है।

केदारकंठा

केदारकंठा, उत्तराखंड में है और ये समुद्र तल से 12,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। केदारकंठा ट्रेक सांकरी गाँव से शुरू होता है। देहरादून से सांकरी 180 कि।मी। की दूरी पर है। केदारकंठा ट्रेक, बर्फीला ट्रेक है। इसमें आपको बर्फ में रहना है, बर्फ में चलना है। केदाकंठा ट्रेक में गाइड के बिना एंट्री नहीं होती है। गाइड आपको सांकरी से हायर करना होता है, जो आपको पूरा ट्रेक कराता है और नीचे लाता है। केदारकंठा कोई नाॅर्मल ट्रेक नहीं है, बर्फ वाला ट्रेक है। अगर आप केदारकंठा ट्रेकिंग पर जा रहे हैं तो आपके पास क्वालिटी वाले जूते होने चाहिए। जो बर्फ में आपके पैर को तो बचाएँ ही और चलने में भी कोई दिक्कत ना हो क्योंकि बर्फ में नाॅर्मल जूते काम नहीं आते हैं। यह ट्रेक उत्तरकाशी में स्थित है।

हर की दून

उत्तराखंड के कोटगांव स्थित हर की दून ट्रेक को अब तक बहुत कम लोगों ने एक्सप्लोर किया है। हर की दून उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले मे यमुना की सहायक रुपिन व सूपिन नदियों के आस-पास फतेह पर्वत की गोद मे बसा क्षैत्र है। यह उच्च हिमालय के निकट स्थित एक अत्यन्त दुर्गम अन्चल है। इस इलाके में आपको सिर्फ पक्षी, जानवर ही देखने को मिलेंगे। यहां आप लंगूर की एक विशेष प्रजाति भी देख सकेंगे और काला हिरण मिलने की भी संभावना रहती है। इसके अलावा, आप यहां भालू और बारहसिंघा जैसे जानवरों को भी देख पाएंगे। इस घाटी का सौन्दर्य अलौकिक है। यहां से लगभग दस कि•मी• आगे स्वर्गारोहिणी पर्वत के चरणों मे स्थित जौन्धार ग्लेशियर ही सूपिन नदी का उद्गम है। इस पूरे पैदल यात्रा मार्ग मे गढ़वाल मन्डल विकास निगम द्वारा उचित मूल्य पर पर्यटकों के लिए रहने-खाने की पर्याप्त व्यवस्था है। पौराणिक मान्यता है कि स्वर्गारोहिणी पर्वत से होकर ही युधिष्टर स्वर्ग को गये थे। सितंबर से नवंबर के बीच ट्रेकिंग के लिए ये जगह बेस्ट है।

संदकफू ट्रेक

पश्चिम बंगाल की सबसे ऊंची चोटी है संदकफू। यहां से आप दुनिया के चार ऊंचे पर्वतों (माउंट एवरेस्ट, मकालू, माउंट कंचनजंघा और माउंट ल्होत्से) का नजारा देख सकते हैं। यह नेपाल की सीमा के काफी नजदीक है और सिंगलाला रेंज की भी सबसे ऊंची चोटी है। दार्जिलिंग जिले में स्थित संदकफू ट्रेक सिंगालीला नेशनल पार्क के बहुत करीब स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि ट्रैकिंग का सबसे अच्छा दृश्य कंचेंदज़ोंगा पर्वत से दिखता है। आप कार से या ट्रैकिंग करते हुए इस चोटी के शिखर तक पहुंच सकते हैं। मणिबंजन से शुरू होने वाली इस पहाड़ी का रास्ता करीब 51 कि.मी. लंबा और खूबसूरत है। यहां ट्रेकिंग के दौरान आप सिंगालिला नेशनल पार्क के जंगलों का भी आनंद ले सकेंगे।

गौमुख तपोवन

यह लाजवाब ट्रेक आपको गंगा नदी के स्रोत गौमुख ग्लेशियर तक लेकर जाता है। इतना ही नहीं, यह ट्रेक आपको माउंट शिवलिंग के सबसे नजदीकी क्षेत्र तक पहुंचाता है, जहां आप पर्वत को आधार से चोटी तक पूरा देख सकते हैं। तपोवन से आप माउंट मेरू का भी खूबसूरत नजारा देख सकेंगे। ये जगह उत्तराखंड के गंगोत्री में स्थित है। गौमुख ग्लेशियर भारत का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। गौमुख ग्लेशियर 30 किमी। लंबा और 4 किमी। चौड़ा है। यहाँ से दिखने वाले खूबसूरत दृश्य शायद ही आपने कहीं देखे होंगे। यहाँ होने का एहसास ही अलग है। इस ट्रेक के दौरान आपको हिमालय की शिवलिंग, सुदर्शन, मेरू, भागीरथी सिस्टर्स और खर्चकुण्ड जैसी चोटियाँ देखने को मिलेंगी।

गिदारा बुग्याल

उत्तराखंड के भंगेली में स्थित एक शानदार ट्रेकिंग सर्किल है गिदारा बुग्याल। इस सर्किल में आपको ऊंचाई पर सबसे बड़े घास के मैदान देखने को मिलेंगे। इसके मैदान दायरा बुग्याल से भी ज्यादा बड़े हैं। इस जगह ट्रेकिंग के बारे में भी बहुत कम लोग ही जानते हैं। आप यहां ट्रेकिंग के साथ-साथ कैंपिंग का मजा भी ले सकते हैं। यह ट्रेक उत्तराखंड के भंगेली में स्थित है।

बुरान घाटी

यह देखा गया है कि अधिकांश ट्रेवलर्स बर्फीला मौसम खत्म होने के बाद बुरान घाटी की तरफ रुख करते हैं। लेकिन इसके ट्रेकिंग प्वॉइंट्स पर लोग अगस्त का महीना शुरू होने के बाद भी जाते हैं। इस दौरान इसका घना जंगल संतरी रंग में ढक जाता है। यहां की खूबसूरती इतनी बढ़ जाती है कि इसके जंगल को छोड़ कर जाने का मन नहीं करेगा।यह ट्रेक हिमाचल प्रदेश में स्थित है।