कोरोना के कहर के बीच भारत में जीका वायरस ने धीरे-धीरे करके लोगों को इंफेक्ट करना शुरू कर दिया है। आपको बता दे, जीका एक मच्छर जनित वायरस है जो संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है, जो दिन में काटता है। जीका वायरस को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे है।। जैसे जीका वायरस क्या है, इसके लक्षण, कारण, इलाज और बचाव क्या हैं। तो ऐसे में आज हम आपके लिए जीका वायरस से जुड़ी कुछ अहम जानकारी लेकर आए है...
जीका वायरस आमतौर पर एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन और रात दोनों समय काटते हैं। गर्भवती मां से उसके अजन्मे बच्चे में भी यह संक्रमण फैल सकता है। गर्भावस्था में जीका वायरस संक्रमण से बच्चा कई कमियों के साथ पैदा हो सकता है। सेक्स संबंधों के जरिए भी जीका वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद यदि मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो वह अन्य व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है। सबसे जरुरी बात जीका वायरस के लिए अभी तक कोई भी दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
WHO के अनुसार, जीका वायरस को पहली बार 1947 में युगांडा के बंदरों में पहचाना गया था। लेकिन इसके अफ्रीका, एशिया, दक्षिण और मध्यम अमेरिका के लोगों को ज्यादा प्रभावित किया। 2016 में टेक्सास और फ्लोरिडा में मच्छर जनित संचरण के मामले सामने आए।
जीका वायरस के लक्ष्ण अब हम आपको बताते है कि जीका वायरस के लक्ष्ण क्या होते है। जीका के लक्षण काफी हद तक फ्लू से मिलते -जुलते हैं। आमतौर पर यह लक्षण इतने हल्के होते हैं, कि किसी का भी ध्यान इस तरफ नहीं जाता। संक्रमण का शक होने पर डॉक्टर ब्लड या यूरिन टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं, ताकि जीका वायरस संक्रमण की पहचान हो सके। इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं –
- बुखार (Fever)
- चकत्ते (Rash)
- सिरदर्द या बेचैनी (Headache)
- जोड़ों में दर्द (Joint Pain)
- कंजेक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) यानी आंखें लाल होना
- मांसपेशियों में दर्द (Muscle pain)
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मच्छर के काटने के 3 से 14 दिनों के अंदर ज़ीका वायरस रोग के लक्षण दिखने लगते हैं। और यह लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक रहते हैं। WHO के अनुसार, ज़्यादातर लोग जिन्हें ज़ीका वायरस संक्रमण हो जाता है, उनमें इसके लक्षण नज़र नहीं आते।
कितने समय तक रहते हैं लक्षणअब सवाल उठता है कि जीका वायरस के लक्षण कितने समय तक रहते है। तो आपको बता दे, जीका वायरस के लक्षण बहुत मामूली होते हैं, जो कुछ दिनों और हफ्तों तक रह सकते हैं। आमतौर पर इसके संक्रमित इतने बीमार नहीं पड़ते कि वह अस्पताल में भर्ती होने के बारे में सोचें। जीका वायरस के कारण मौत के मामले भी कम ही सामने आते हैं। यही कारण है कि कई लोगों को जीका वायरस से संक्रमित होने का एहसास भी नहीं होता।
कब टेस्ट करवाना चाहिएसंक्रमित व्यक्ति के खून में जीका वायरस करीब एक हफ्ते तक रहता है। यदि आपने हाल ही में ऐसे इलाके का दौरा किया है, जहां जीका वायरस का प्रकोप है या फिर आप कुछ लक्षण महसूस करते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आपका डॉक्टर या स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला संस्थान आपसे खून की जांच या मूत्रजांच करवाने को कह सकता है।
जीका वायरस संक्रमण का इलाज क्या है?अमेरिका के CDC के अनुसार, ज़ीका वायरस की कोई ख़ास दवा या वैक्सीन नहीं है। इसलिए अगर आपको इससे जुड़े लक्षण या संकेत महसूस हों, तो फौरन यह काम करें:
- लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज शुरू करें।
- ज़्यादा से ज़्यादा आराम करें।
- शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए खूब सारा तरल पदार्थ पिएं।
- बुख़ार और दर्द को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) जैसी दवा लें।
- रक्तस्राव के जोखिम को कम करने के लिए जब तक यह साबित न हो जाए कि डेंगू नहीं है, तब तक एस्पिरिन और अन्य गैर-स्टेरायडल विरोधी भड़काऊ दवाएं (एनएसएआईडी) न लें।
- CDC सलाह देता है कि जिन गर्भवती महिलाओं को जीका का निदान किया जाता है उन्हें हर 3 से 4 सप्ताह में भ्रूण के विकास की निगरानी करनी चाहिए।
- अगर आप पहले से किसी बीमारी की दवाइयां ले रहे हैं, तो और दवाइयां लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर कर लें।
जीका वायरस से बचाव- इंसेक्ट रिपेलेंट का यूज करें।
- फुल स्लीव्स के कपड़े पहनें।
- विंडों और डोर स्क्रीन का इस्तेमाल करें।
- बिस्तर में मच्छरदानी लगाएं।
जीका वायरस से संक्रमित मरीज की देखभाल कैसे करें
- आप उसके खून और अन्य बॉडी फ्लूइड (मल-मूत्र और उल्टी आदि) के संपर्क में न आएं।
- किसी भी प्रकार से संक्रमित के संपर्क में आने के बाद तुरंत साबुन और पानी से हाथ धो लें।
- कपड़ों को धोने के लिए लॉन्ड्री डिटरजेंट और गर्म पानी का इस्तेमाल करें।
- मरीज के कमरे की नियमित तौर पर सफाई करें।
- यदि जमीन पर खून, उल्टी या कोई अन्य बॉडी फ्लूइड गिर जाता है तो उसे तुरंत साफ कर दें।
- मरीज को बैठने और लेटने में मदद कर रहे हैं तो उन्हें पीछे से पकड़ें, ध्यान रखें कि उनका मुंह आपकी ओर न हो।