हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day)मनाया जाता है। यह दिन एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने, इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को समर्थन देने और इसके कारण जान गंवाने वालों को याद करने के लिए समर्पित है। एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। यदि समय पर उपचार न मिले, तो यह एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम) जैसी गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है।
एड्स और एचआईवी के बारे में जागरूकता क्यों जरूरी है? समाज में भेदभाव कम करना: एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने से इससे जुड़े मिथकों को तोड़ने और पीड़ितों को समाज में समानता दिलाने में मदद मिलती है।
प्रारंभिक पहचान: एचआईवी संक्रमण का जल्दी पता लगने से इसे नियंत्रित करने और एड्स में बदलने से रोका जा सकता है।
रोग मुक्त भविष्य: विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य संस्थाएं हर साल इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई के लिए अलग-अलग थीम पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिससे एक एड्स-मुक्त दुनिया का सपना साकार किया जा सके।
एड्स के शुरुआती संकेत और लक्षणएचआईवी संक्रमण के शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे लग सकते हैं। लेकिन समय रहते इन लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी है:
1. लगातार बुखारयदि शरीर का तापमान बार-बार 100.4°F (38°C) से ऊपर रहता है, तो यह प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी का संकेत हो सकता है। यह लक्षण अक्सर संक्रमण के खिलाफ शरीर की सूजन प्रतिक्रिया के कारण होता है।
2. अत्यधिक थकानअगर पर्याप्त आराम के बाद भी थकान बनी रहती है, तो यह एचआईवी संक्रमण का संकेत हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली लगातार सक्रिय रहती है और ऊर्जा स्तर को बनाए नहीं रख पाती।
3. बार-बार संक्रमण होनानिमोनिया, ओरल थ्रश, त्वचा संक्रमण या बार-बार फ्लू जैसे संक्रमणों का होना एचआईवी से जुड़ा एक सामान्य संकेत है। यह तब होता है जब शरीर रोगों से बचाव करने में असमर्थ हो जाता है।
4. श्वसन संबंधी समस्याएंलगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ या बार-बार फेफड़ों के संक्रमण (जैसे टीबी या क्रोनिक ब्रोंकाइटिस) होना, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का संकेत है।
5. सूजे हुए लिम्फ नोड्सगर्दन, बगल और कमर में लिम्फ नोड्स लंबे समय तक सूजे रह सकते हैं। ये नोड्स शरीर के खतरनाक तत्वों को छानने का काम करते हैं और एचआईवी संक्रमण के दौरान इनमें सूजन आ सकती है।
6. त्वचा पर दाने और घावत्वचा पर बार-बार लाल चकत्ते या घाव दिखाई देना एचआईवी संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। ये लक्षण संक्रमण के बढ़ने के साथ गंभीर हो सकते हैं।
7. न्यूरोलॉजिकल लक्षणस्मृति हानि, ध्यान भटकना, भटकाव और तंत्रिका संबंधी समस्याएं भी एड्स के संकेत हो सकते हैं। यह वायरस के तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालने के कारण होता है।
एचआईवी संक्रमण से बचाव के प्रभावी उपाय सुरक्षित यौन संबंध बनाएं - हमेशा कंडोम का उपयोग करें
- एक से अधिक यौन संबंध रखने से बचें और अपने पार्टनर की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जागरूक रहें
संक्रमित सुइयों और उपकरणों से बचाव करें - केवल नई और स्टेरलाइज्ड सुइयों का उपयोग करें
- टैटू या पियर्सिंग करवाते समय साफ-सुथरे और प्रमाणित उपकरणों का ही इस्तेमाल करें
सुरक्षित रक्ताधान सुनिश्चित करें - रक्त चढ़ाने या प्राप्त करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि रक्त एचआईवी मुक्त है
- केवल मान्यता प्राप्त और सुरक्षित ब्लड बैंकों से रक्त प्राप्त करें
गर्भावस्था के दौरान सावधानी बरतें - एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं को उचित चिकित्सा परामर्श और दवाएं लेनी चाहिए
- यह संक्रमण को मां से बच्चे तक पहुंचने से रोकने में मदद करता है
पीईपी (PEP) का उपयोग करें - एचआईवी के संपर्क में आने के 72 घंटों के भीतर पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) दवा शुरू करें
- यह संक्रमण को रोकने में मदद करता है
प्रे-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PrEP) लें - उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए PrEP दवा एचआईवी संक्रमण से बचाव में प्रभावी हो सकती है
खून और अंगदान के दौरान सावधानी - सुनिश्चित करें कि खून और अंगदान करने वाले व्यक्ति एचआईवी नेगेटिव हों
शिक्षा और जागरूकता बढ़ाएं - एचआईवी/एड्स के बारे में खुद को और दूसरों को शिक्षित करें
- मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करने के लिए सही जानकारी साझा करें
स्वास्थ्य परीक्षण करवाएं
- नियमित रूप से एचआईवी टेस्ट करवाएं, खासकर यदि आप जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं
- शुरुआती पहचान और उपचार संक्रमण को गंभीर होने से रोक सकता है
अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं- पौष्टिक आहार लें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
- व्यायाम और तनाव प्रबंधन से अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें
नोट : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।