World Aids Day : समाज में फैली हैं एड्स से जुड़ी ये अफवाहें, जानें इनकी हकीकत

आज दिसंबर महीने की पहली तारीख हैं जिसे एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस घातक बीमारी के चलते हर साल लाखों का संख्या में लोगों की मौत हो जाती है, इसके अलावा हर साल एचआईवी संक्रमण के लाखों नए मामलों की पहचान की जा रही है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है। एचआईवी अधिकतर पॉजिटिव असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक लोगों में जागरूकता बढ़ाकर एचआईवी संक्रमण/ एड्स के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है। देखा जाता हैं कि समाज में एड्स से जुड़ी कई भ्रांतिया फैली हुई हैं। आज इस कड़ी में हम आपको इन मिथ और उनसे जुड़ी सच्चाई के बारे में बताने जा रहे हैं।

मिथ - एचआईवी और एड्स एक ही चीज है, बस नाम अलग-अलग हैं।

अक्सर लोग एचआईवी और एड्स को एक ही चीज मान लेते हैं, पर यहां आपके लिए सच्चाई जानना जरूरी है। एचआईवी एक प्रकार का वायरस है जिससे संक्रमित होने पर एड्स का खतरा बढ़ जाता है। पर यह भी आवश्यक नहीं है कि एचआईवी से संक्रमित होने वाले सभी रोगियों को एड्स हो। एचआईवी संक्रमण का यदि समय पर इलाज हो जाए तो एड्स के खतरे से बचा जा सकता है। मतलब एचआईवी वायरस का नाम है और एड्स, इससे होने वाले रोग का।

मिथ - अगर मां संक्रमित है तो बच्चा भी एचआईवी संक्रमण के साथ ही जन्म लेगा।

एचआईवी संक्रमित मां से बच्चे में वायरस पहुंचने का खतरा होता है, हालांकि इसे रोका भी जा सकता है। डॉ ए के गडपाइले (प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन) बताते हैं, यदि गर्भवती महिला में एचआईवी संक्रमण का पता चलता है, तो उसे दवाइयां देकर बच्चे को संक्रमण से सुरक्षित किया जा सकता है। मतलब अगर समय रहते महिला में संक्रमण की पहचान हो जाए तो बच्चे को सुरक्षित किया जा सकता है।

मिथ - यदि महिला और पुरुष दोनों एचआईवी संक्रमित हैं तो उन्हें संभोग के दौरान सुरक्षात्मक उपायों को प्रयोग में लाने की जरूरत नहीं है।

अक्सर लोगों को इस सवाल को लेकर भ्रमित देखा गया है। इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एचआईवी संक्रमण कई प्रकार के हो सकते हैं इसलिए पुन: संक्रमण और इसकी गंभीरता का जोखिम हमेशा बना रहता है। यदि महिला और पुरुष दोनों एचआईवी संक्रमित हैं तो भी उन्हें सुरक्षात्मक उपायों को प्रयोग में लाते रहना चाहिए। ऐसा न करने से हर्पीज जैसे यौन संचारित रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

मिथ - एचआईवी होने के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, दवाइयों से यह ठीक हो जाएगा।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक एचआईवी संक्रमण को ठीक नहीं किया जा सकता है, एंटीरेट्रोवाइरल दवाएं (एआरटी) सिर्फ एचआईवी रोगियों के जीवन में सुधार करती हैं और उन्हें लंबे समय तक जीने में मदद कर सकती हैं। लेकिन इनमें से कई दवाएं महंगी हैं और उनके गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। यही कारण है कि लोगों को एचआईवी संक्रमण से बचाव करने की सलाह दी जाती है।

मिथ - जिन लोगों का एचआईवी उपचार चल रहा है उनसे वायरस फैलने का खतरा नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक एचआईवी संक्रमित जिन लोगों का इलाज चल रहा है उनसे भी संक्रमण फैलने का जोखिम हो सकता है। दवाइयों के माध्यम से सिर्फ वायरल लोड को कम किया जा सकता है, वायरस खत्म नहीं होता है। ऐसे में इलाज करा रहे लोगों को भी बचाव के सभी उपायों को प्रयोग में लाते रहना आवश्यक है।