वैक्सीन आने के बाद भी नहीं मिलेगा मास्क से छुटकारा, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामले 1.77 करोड़ को पार कर चुके हैं और देश में यह आंकड़ा 17 लाख के करीब पहुंचने को हैं। दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन को लेकर प्रयास जारी हैं और कई जगह इनके सकारात्मक परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सभी चाहते हैं कि जल्द ही कोरोना की वैक्सीन आए और मास्क से छुटकारा मिले। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो वैक्सीन मिलने के बाद भी मास्क से छुटकारा मिलना आसान नहीं होगा। शोधकर्ता और चिकित्सा विशेषज्ञ वैक्सीन को जल्द से जल्द तैयार करने में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि 21 से ज्यादा वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल की फेज में हैं, जिनमें से पांच वैक्सीन तीसरे यानी आखिरी चरण में हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कोरोना का टीका हमारे लिए उपलब्ध होगा। लेकिन क्या यह काफी होगा?

कोरोना वायरस के खिलाफ जो पांच संभावित वैक्सीन अंतिम चरण के ट्रायल में है, उनसे उम्मीदें बढ़ गई हैं। अंतिम चरण में अलग-अलग उम्र के लोगों पर वैक्सीन का प्रभाव देखा जाता है कि यह कितनी सुरक्षित और कारगर है। भारत में आईसीएमआर और भारत बायोटेक द्वारा निर्मित वैक्सीन COVAXIN के अलावा जायडस कैडिला की वैक्सीन भी ह्यूमन ट्रायल फेज में है। रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और अन्य देश भी कई वैक्सीन को लेकर दावा कर रहे हैं। लेकिन सवाल वही है कि क्या वैक्सीन कोरोना से बचाने के लिए काफी होगी?

साइंस इनसाइडर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा कहना जल्दबाजी होगी कि वैक्सीन सुरक्षा देने के लिए काफी होगी। यह बात तो काफी लोग जानते हैं कि किसी भी बीमारी की वैक्सीन तैयार करने में सालों लग जाते हैं। कोरोना वायरस जिस तेजी से फैलता जा रहा है, आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर दी है और इसी वजह से इस वायरस पर नियंत्रण के लिए जल्दबाजी में वैक्सीन तैयार की जा रही है।

ऐसे में वैज्ञानिक भी संशय में हैं कि हर भौगोलिक स्थिति और वातावरण में रहनेवाले सभी उम्र के लोगों के लिए कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी को मज़बूत करने में पूरी तरह से असरदार हो। विशेषज्ञों के मुताबिक, इतना जरूर है कि वैक्सीन कोरोना मरीज को दोबारा संक्रमित होने की संभावना को कम कर सकती है। यहां तक कि लक्षण भी नहीं बढ़ेंगे, लेकिन कोरोना वायरस के खिलाफ तुरंत और पूरी सुरक्षा प्रदान करने और संक्रमण से बचाने में यह कितनी कारगर होगी, यह कहना जल्दबाजी होगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, वैक्सीन के विकास के लिए सफलता दर 10 फीसदी रही है। कोरोना की वैक्सीन के लिए भी सुरक्षा, प्रभावकारिता, दुष्प्रभाव जैसे कई दृष्टिकोण जरूरी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अबतक उपलब्ध वैक्सीन का लक्ष्य कोरोना संक्रमण को रोकने में कम से कम 60 से 70 फीसदी कारगर और प्रभावकारी बनाने का है।