कोरोना के कारण घरों में हैं कैद, हडि्डयां भी चुका रही है कीमत, मजबूती के लिए मानों ये बात...

कोविड-19 ने हमारी मानसिक सेहत को भी काफ़ी नुक़सान पहुंचाया है। कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान डिप्रेशन और घरेलू हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। पर इसके संक्रमण के डर से घर में क़ैद होने की क़ीमत हमारी हडि्डयां भी चुका रही हैं। हमारी शारीरिक गतिविधियों में कमी आई है, इससे हड्डियों का क्षरण हो रहा है।

यह तो हम बचपन से ही जानते हैं कि हडि्डयों की सेहत के लिए सबसे ज़रूरी विटामिन डी की प्राकृतिक रूप से पूर्ति सूरज की रोशनी से होती है। इन दिनों हम बाहर निकल नहीं रहे हैं तो सूरज की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी से भी वंचित हो गए हैं। यही कारण है कि आजकल लोग थोड़ी-सी भी शारीरिक गतिविधि से थकान का अनुभव करने लगते हैं।

जिस तरह हम कोरोना वायरस से अपने शरीर को बचाने के लिए जागरूक हैं, उसी तरह हमें अपनी हडि्डयों की सेहत के लिए भी सजग होना चाहिए। आख़िरकार हडि्डयों से न केवल हमारे शरीर का ढांचा तैयार होता है, बल्कि वे हमें सपोर्ट प्रदान करती हैं और उन्हीं की वजह से हम चल-फिर पाते हैं।

तो हडि्डयों की सेहत की ओर ध्यान देना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। वर्ना जैसे ही हम इस महामारी को हराकर बाहर निकलेंगे हडि्डयों की परेशानी ख़ासकर बोन डेंसिटी की समस्या हमें घेर लेगी। विशेष रूप से 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं और पुरुषों को ऑस्टियोपोरोसिस होने का ख़तरा बढ़ गया है।

सबसे पहले तो खानपान में कैल्शियम और विटामिन डी की अधिकता वाली चीज़ें शामिल करें

कैल्शियम के अच्छे स्रोत में शामिल हैं-लो फ़ैट डेयरी प्रॉडक्ट्स, हरी सब्ज़ियां और ड्राई फ्रूट्स। वहीं विटामिन डी प्रदान करने वाली चीज़ें हैं-फ़ोर्टिफ़ाइड सीरियल्स, अंडे की ज़र्दी, खारे पानी की मछलियां और दूध। कैल्शियम और विटामिन डी का यह साथ आपकी हड्डियों की सुरक्षा करता है। जहां कैल्शियम हड्डियों को मज़बूत बनाता है, वहीं विटामिन डी शरीर को ज़रूरी कैल्शियम एब्ज़ॉर्ब करने में मदद करता है।


जितना संभव हो सूरज की रोशनी का आनंद लें, ताकि पर्याप्त विटामिन डी मिल सके

नियमित रूप से सूरज की रोशनी का आनंद लेना विटामिन डी पाने का एक प्राकृतिक तरीक़ा है। सूरज की अल्ट्रावॉयलेट बी (यूवीबी) किरणें स्किन सेल्स में मौजूद कोलेस्टेरॉल को हिट करती हैं, इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। इतना ही नहीं कैल्शियम के अवशोषण में भी विटामिन डी की काफ़ी अहम् भूमिका होती है।


शारीरिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करें

मसल्स की तरह ही हडि्डयां भी एक्सरसाइज़ करने से मज़बूत बनती हैं। सेहतमंद हडि्डयों की बेस्ट एक्सरसाइज़ है स्ट्रेंथ-बिल्डिंग, वॉकिंग, सीढ़ियां चढ़ना, वेटलिफ़्टिंग और डांसिंग। रोज़ाना 30 मिनट इनमें से किसी एक गतिविधि में व्यतीत करें। इससे बोन सेल्स स्टिम्युलेट होते हैं और बोन मिनरल डेंसिटी बढ़ती है और ऑस्टियोपोरोसिस का ख़तरा कम होता है।


सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं

धूम्रपान और बहुत ज़्यादा अल्कोहल का सेवन बोन लॉस और हडि्डयों की कमज़ोरी के प्रमुख कारणों में हैं। इन अनहेल्दी गतिविधियों से हडि्डयों तक पहुंचने वाले रक्त की मात्रा में कमी आती है, जिससे हडि्डयों के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी बोन-फ़ॉर्मिंग सेल्स का प्रोडक्शन धीमा हो जाता है और कैल्शियम का अवशोषण ठीक तरीक़े से नहीं हो पाता। इन आदतों से तौबा करके आप अपनी हडि्डयों को मज़बूत कर सकते हैं।


हडि्डयों को सेहतमंद बनाने में आयुर्वेद की भूमिका

आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियां हैं, जिनका इस्तेमाल हडि्डयों को सेहतमंद बनाने के लिए होता आया है। हड़जोड़, सलाई गुग्गुल, अश्वगंधा, बाला जैसे हर्ब्स तो बोन सेल्स को बेहतर बनाने और बोन मिनरल डेंसिटी को बढ़ाने के लिए जांचे-परखे हुए हैं। वहीं अर्जुन, मेथी, लाख आदि में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम, फ़ॉस्फ़ोरस, विटामिन सी, म्यूकोपॉलिसैकेराइड्स, मिनरल्स और फ़ायटोएस्ट्रोजन मौजूद होते हैं, जो कि हडि्डयों को सेहतमंद बनाने के लिए बहुत ज़रूरी हैं। इन आयुर्वेदिक औषधियों की सबसे अच्छी बात यह है कि ये किसी भी तरह के साइड इफ़ेक्ट से मुक्त हैं। इनका लंबे समय तक इस्तेमाल करने से हडि्डयां सेहतमंद बनती हैं।