महिलाओं के शरीर में कई स्थानों पर अनचाहे बाल होते हैं। वेजाइना के इर्द-गिर्द बाल होना भी महिलाओं को कुछ खास पसंद नहीं है। इसलिए कई महिलाओं ने बिकिनी वैक्स को अपने ब्यूटी रूटीन में शामिल कर रखा है। मगर वेजाइना के पास बाल होना एक कुदरती प्रक्रिया है और हर कुदरती प्रक्रिया का कुछ महत्व होता है। रिसर्च के अनुसार 60% महिलाएं जो प्राइवेट एरिया को क्लीन करती हैं उन्हें SIT यानी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज का बढ़ जाता है। आपको बता दे, वेजाइना के आस-पास बाल आपकी वेजाइना को सुरक्षा प्रदान करते हैं क्योंकि यह बाल फिल्टर का काम करते हैं और वेजाइना के अंदर गंदगी को प्रवेश करने से रोकते हैं। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताने जा रहे है कि अगर आप प्राइवेट एरिया के बाल हटाते है तो आपको स्वास्थ्य से जुड़ी क्या-क्या परेशानियां हो सकती हैं...
बॉडी टेम्परेचरबदन के किसी भी हिस्से पर मौजूद बाल भले ही देखने में थोड़े भद्दे लगते हो लेकिन सच है कि ये हमारे शरीर के टेम्परेचर को मेंटेन रखने में मदद करते हैं। इसी तरह प्राइवेट एरिया के बाल भी यही काम करते हैं। लेकिन इनका ना होना परेशानी में डाल सकता हैं।
प्रोटेक्शनप्राइवेट एरिया के बाल बाहरी टेम्परेचर, बैक्टीरिया, इन्फेक्शन आदि से त्वचा की सुरक्षा करते हैं। ये इन चीजों को सीधा त्वचा के संपर्क में नहीं आने देते। लेकिन इनकी अनुपस्थिति से कई तरह के त्वचा से जुड़े कई इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
फेरोमोंसवेजाइना फेरोमोंस को रिलीज करता है लेकिन इस एरिया के आसपास के बाल इस खास तत्व को अपने भीतर बनाए रखते हैं। फेरोमोंस सेक्स परफॉरमेंस में मदद करता है और यह एक जरूरी चीज है।
सफेद दानेवेजाइनल एरिया को बार-बार शेव करने से इस जगह पर इन्फेक्शन का खतरा अधिक बढ़ जाता है। सफेद रंग के दाने हो जाते हैं जिनकी वजह से कई तरह की परेशानी होती हैं। और इसके बाद भी अगर शेव करना रोका ना जाए तो डॉक्टर और दवाओं की ही जरूरत पड़ सकती है।
इरीटेशनप्राइवेट एरिया को आप जितनी बार वैक्स या शेव करेंगे या करेंगी, उतनी बार यहां खुजली या जलने जैसी परेशानी महसूस होती है। धीरे-धीरे इसके बढ़ने से स्किन इन्फेक्शन को बढ़ावा मिलता है।
वजनी महिलाएं बिलकुल ना करें शेवअमेरिका में हुए एक शोध की मानें तो जिन महिलाओं का शारीरिक वजन अधिक होता है उन्हें प्राइवेट एरिया के बाल बिलकुल भी शेव नहीं करने चाहिए। क्योंकि ऐसी महिलाओं के लिए स्किन इन्फेक्शन का खतरा अन्य महिलाओं की तुलना में 2 से 3 गुना अधिक रहता है।