दिमाग़ और शरीर के दूसरे अंगों को पर्याप्त आराम देकर तरोताज़ा करने के लिए अच्छी नींद बहुत ज़रूरी है। जब हम गहरी नींद में होते हैं तो शरीर टॉक्सिक पदार्थों को साफ़ करने का काम करता है, जिसके चलते सोकर उठने पर हम हल्का महसूस करते हैं। अच्छी नींद अंदरूनी अंगों की सेहत के लिए नहीं, बल्कि दमकती हुई त्वचा के लिए भी बहुत ज़रूरी है। यही कारण है कि नींद पूरी न होने पर सबसे पहले त्वचा पर असर दिखना शुरू हो जाता है। आंखों के नीचे के काले घेरे नींद पूरी न होने की कहानी बयां कर देते हैं। नींद की कमी का प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
बढ़ जाती है मूड डिसऑर्डर की संभावना
आपने भी महसूस किया
होगा कि जब नींद ठीक से पूरी नहीं होती तो हम चिड़चिड़े हो जाते हैं। यदि
लगातार कई दिनों तक हमारे साथ ऐसा ही होता रहा तो हम मूड डिसऑर्डर का शिकार
होने लगते हैं। दरअसल, जब हम सोते हैं तब हम अपने इमोशनल इंफ़ॉर्मेशन्स
यानी भावनात्मक सूचनाओं को प्रोसेस करते हैं। जिससे ये सूचनाएं यादों के
रूप में हमारे दिमाग़ में स्टोर हो जाती हैं।
जब हमारी नींद पूरी नहीं होती
तब यह प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है और मूड डिसऑर्डर और दूसरी भावनात्मक
समस्याएं हमें परेशान करना शुरू कर देती हैं। यही कारण है कि नींद की कमी
का असर हमारी मानसिक स्थिति पर पड़ता है। हम चिड़चिड़े और उखड़े-उखड़े से
रहने लगते हैं। दिमाग़ तरोताजा नहीं हो पाता, जिसके कारण कई बार याददाश्त
से जुड़ी परेशानियां भी हो जाती हैं।
बढ़ता है डायबिटीज़ का ख़तरा
अक्सर
देखा गया है कि जब हमारी नींद पूरी नहीं होती तो हम जंक फ़ूड और शक्कर की
अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का जाने-अनजाने ज़्यादा सेवन कर लेते हैं।
ऐसा करके हम डायबिटीज़ जैसी लाइफ़स्टाइल के चलते होने वाली बीमारी को
निमंत्रण देते हैं।
याददाश्त पर पड़ता है फ़र्क़
कई
शोधों से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि नींद पूरी न होने का याददाश्त के
कम होने से सीधा संबंध होता है। दरअसल, जब हम गहरी नींद में सोते हैं तब
दिमाग़ ख़ुद को रीसेट करता है। नींद पूरी न होने पर दिमाग़ की यह प्रक्रिया
बाधित होती है। नींद की कमी से तंत्रिकाओं को तेज़ी से नुक़सान पहुंचता
है। जिसके कारण उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और अंतत: हमारी याददाश्त
पर फ़र्क़ पड़ता है। यदि आप लंबे समय तक भरपूर नींद नहीं ले पा रहे हैं तो
भविष्य में अल्ज़ाइमर जैसी दिमाग़ी बीमारियों के होने के ख़तरे बढ़ जाते
हैं।
नींद की कमी यानी मोटापे का बढ़ना
आपको भी इस
बात का अनुभव ज़रूर होगा कि जब आप देर रात तक सो नहीं पाते तो सुबह जल्दी
उठ पाना आपके लिए संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में आपके खानपान की साइकिल
बिगड़ जाती है। नींद पूरी ना होने से व्यक्ति को हाई कैलोरी फ़ूड खाने का
मन करता है। कई शोधों का कहना है कि जो सुबह देर से उठते हैं वे सुबह-सुबह
क़रीब 670 कैलोरीज़ ज़्यादा खाते हैं। यही नहीं, नींद की कमी के चलते शरीर
में वज़न को नियंत्रित रखने वाले लेप्टिन नामक हार्मोन का स्तर कम हो जाता
है और मोटापा तेज़ी से बढ़ता है।
नींद की कमी, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक को न्यौता
जब
हम पर्याप्त रूप से अपने शरीर को आराम नहीं देते हैं, तब शरीर में बैड
कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है। जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की आशंका
बढ़ जाती है। और आगे चलकर हार्ट अटैक, हार्ट फ़ेलियर, स्ट्रोक, अनियमित
धड़कन का ख़तरा भी बढ़ जाता है।
दिनभर की थकान का कारण है नींद की कमी
नींद
की कमी शरीर में थकान पैदा करने वाले केमिकल का प्रोडक्शन बढ़ा देती है।
शरीर के अंग शिथिल महसूस करते हैं। पूरे दिन थकान का अनुभव होता है।
बार-बार जम्हाई आती है। आपको आंखों में दर्द होना, सिर भारी होना,
सिर-दर्द, भूख न लगना, बदन दर्द, काम में मन नहीं लगना, पेट साफ़ नहीं होना
जैसी समस्याओं से दो-चार होना होगा।